कला और लक्ष्मी में हमेशा से टेढ़ा रिश्ता रहा है. फिल्म की घोषणा करने के लिए भारी-भरकम बजट और मीडिया के ढेरों प्लेटफॉर्म को देखते हुए यह तनाव और भी बढ़ गया है. आज के अपने जमाने में फिल्म निर्माता और मनोरंजन परोसने वाले के तौर पर मैंने महसूस किया है कि फिल्म की मार्केटिंग इस पूरी प्रक्रिया का अभिन्न अंग बन गई है. इसके लिए पर्याप्त बजट होना जरूरी है, एक मीडिया योजना तैयार करनी पड़ती है कि किस तरह फिल्म का बढ़-चढ़कर प्रचार किया जाए. इससे ऐसे भी लोग जुड़े होते हैं, जो फिल्म के रिली.ज होने के बाद आर्थिक लाभ चाहते हैं, ऐसे लोग, जिन्होंने फिल्म की सफलता पर काफी पैसा लगा रखा होता है. इसमें रचनात्मक प्रक्रिया के साथ मार्केटिंग की सुनियोजित योजना जुड़ी होती है.
लेकिन एक निर्देशक के तौर पर फिल्म के प्रचार के पीछे उद्देश्य यह होता है कि सही लोग आपकी फिल्म के बारे में जानें, उन लोगों का ध्यान खींच सकें जिन्हें आप अपने काम से प्रभावित करना चाहते हैं. दर्शकों को खींचने के कारोबार ने भी सिनेमा को बहुत कुछ बदल दिया है और उपभोक्ता दर्शक को यह जानकारी देना जरूरी है कि आप उसे क्या दिखाने जा रहे हैं. उस सीमा तक मार्केटिंग फिल्म निर्माण का एक जरूरी हिस्सा है.
किसी निर्देशक के लिए फिल्म की कहानी ही सबसे अच्छा प्रचार है. वह फिल्म के कारोबारी पक्ष को इतना हावी नहीं होने देता कि कलात्मक पक्ष से समझैता करना पड़े. फिल्म की मार्केटिंग उसी बिंदु तक जरूरी है, जहां इसमें पैसा लगाने वाले लोगों को यकीन हो सके कि उन्हें अपने खर्च का वाजिब मुनाफा मिल जाएगा, क्योंकि फिल्म के निर्माण की तरह उसे देखने का खर्च भी कई गुना बढ़ गया है.
दर्शक को फिल्म के सार के बारे में जानना जरूरी है. मैंने निजी तौर पर अपनी फिल्मों के प्रचार के आर्थिक पक्ष और फिल्म बनाने के अपने तरीके के बीच किसी तरह के टकराव का अनुभव कभी भी नहीं किया, क्योंकि मैं अब भी फिल्म की कहानी को तरजीह देता हूं. मेरा तरीका एकदम स्पष्ट हैः पहले फिल्म बनाने दें, फिर तय करें कि कैसे उसका प्रचार करना है. किसी फिल्म की मार्केटिंग का सबसे अच्छा तरीका यह है कि अच्छी फिल्म बनाई जाए और आप पाएंगे कि फिल्म निर्माण की प्रक्रिया मार्केटिंग से कहीं ज्यादा बेहतर है.
यहां तक कि फिल्म रॉकस्टार के प्रचार में हमने तब तक कोई इंटरव्यू नहीं दिया, जब तक कि फिल्म की ताकत के बारे में हमें पूरी तरह से यकीन नहीं हो गया. मैं दोनों ही प्रक्रियाओं को अलग-अलग रखने में पक्का यकीन करता हूं. एक निर्देशक के तौर पर मेरा काम एक अच्छी फिल्म बनाना है. निर्देशक को फिल्म निर्माण के विभिन्न पहलुओं को देखना होता है. लेकिन मुझे इस बात का भी एहसास है कि इस प्रक्रिया पर मीडिया का काफी प्रभाव पड़ता है.
फिल्म की मार्केटिंग की नई रणनीति का सबसे मजेदार हिस्सा यह है कि योजनाकार दर्शक तक पहुंचने के लिए नए रास्ते निकाल रहे हैं. और दूसरी तरफ, दर्शक फिल्म निर्माताओं को उन क्षेत्रों की ओर ले जा रहे हैं, जिन्हें वे जानना चाहते हैं. भारतीय फिल्म दर्शकों में सबसे बड़ा बदलाव यह आया है कि वे ही फिल्म का निर्माण तय कर रहे हैं, उस तरह की फिल्म, जिन्हें वे देखना चाहते हैं.
इसलिए फिल्म के प्रचार में इस बात का ध्यान रखना होगा कि दर्शक पहले से ज्यादा जानकार हो गए हैं. अपनी फिल्म के प्रचार में एक निर्देशक के तौर पर मेरी जो भूमिका होती थी, अब वह पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है. मेरी पहली रिली.ज होने वाली फिल्म, सोचा न था, के समय मैंने कई इंटरव्यू दिए, लेकिन मेरा काम बस इतना ही था. हम एक ऐसे उद्योग का हिस्सा हैं, जिसकी किस्मत फिल्म की रिली.ज के पहले ही हफ्ते तक सीमित होती है. उस मापदंड से सोचा न था को फ्लॉप कहा जा सकता है. लेकिन मेरा मानना है कि फिल्म को अपनी रिली.ज से पहले चाहे कैसा भी प्रचार मिले, अगर वह अच्छी फिल्म है तो पसंद की जाती है और हमेशा उन दर्शकों को खींचती है, जिन्हें ध्यान में रखकर वह बनाई गई है. हिंदी फिल्म दर्शकों परअंदाज अपना अपना जैसी फिल्म के पड़ने वाले प्रभाव से कोई इनकार नहीं कर सकता लेकिन कारोबार के नजरिए से यह लड़खड़ा गई.
मार्केटिंग का लाभ फिल्म की शुरुआती बिक्री तक ही सीमित रहता है, वह दर्शकों की नजर में फिल्म का भविष्य नहीं तय कर सकती. निर्देशक को वही करना चाहिए जो उसके स्वभाव से मेल खाता हो और उसे फिल्म की सफलता को सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए, न कि उस मंच पर जाकर उसे नुक्सान पहुंचाना चाहिए, जहां वह असहज महसूस करता हो.
मेरे हिसाब से असहज होकर फिल्म का प्रचार करने से उसे नुक्सान ही पहुंचता है. यह असहजता आपकी उदासीनता दर्शाती है, जिससे तुरंत ही दर्शकों का फिल्म के साथ नाता टूट जाता है. मैं जानता हूं कि फिल्म के प्रचार के कई मंच हैं, उदाहरण के लिए कोई डांस शो, जिसके लिए रणबीर कपूर एकदम फिट बैठेंगे. मैं डांस शो के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन मैं उसमें असहज महसूस करूंगा.
इम्तियाज अली एक फिल्मकार हैं, जिनकी ताजा फिल्म रॉकस्टार अगले महीने रिलीज होने वाली है. यह लेख ओलिना बनर्जी के साथ उनकी बातचीत पर आधारित है.