scorecardresearch
 

तुम मुझे यूं भूला न पाओगे...

साल 2011-2012 बॉलीवुड के लिए क्षति भरा रहा है. जहां फिल्म इंडस्ट्री ने देव आनंद, शम्मी कपूर और राजेश खन्ना जैसे महान अभिनेताओं को खोया. वहीं यश चोपड़ा के आकस्मिक निधन से पूरे देश सदमे में है.

Advertisement
X
यश चोपड़ा
यश चोपड़ा

साल 2011-2012 बॉलीवुड के लिए क्षति भरा रहा है. जहां फिल्म इंडस्ट्री ने देव आनंद, शम्मी कपूर और राजेश खन्ना जैसे महान अभिनेताओं को खोया. वहीं यश चोपड़ा के आकस्मिक निधन से पूरे देश सदमे में है.

Advertisement

ये तो बड़े नाम हैं पर चरित्र कलाकारों में ए के हंगल और दारा सिंह का इस दुनिया को अलविदा कह जाना भी किसी आघात से कम न था. कई पीढ़ियों को एक साथ जोड़ने वाले ये कलाकार अब हमारे बीच नहीं हैं पर इनकी यादें हमेशा हमारे बीच रहेंगी.

सच तो ये है कि जाने-अनजाने में ये कलाकार हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुके थे. पर्दे पर इनका रोना हमें भी रुलाता तो हंसना हमें गुदगुदाता. भले ही व्यक्तिगत तौर हम और आप इन कलाकारों से रूबरू न हों पर फिल्म और मीडिया के जरिए ही इनकी खबर जरूर रखते थे.

पर शायद यहीं जिंदगी का फलसफा है कोई जाता है तो कोई आता है और हमारे बीच उनकी यादें हमेशा के लिए अमर हो जाती हैं....

द रियल रॉकस्‍टार
शम्‍मी कपूर 1931-2011

Advertisement

अपनी बेजोड़ अदा के चलते पचास और साठ के दशक में बड़े पर्दे पर राज करने वाले जाने माने और वरिष्ठ अभिनेता शम्मी कपूर का 14 अगस्त 2011 को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया था. वर्ष 1953 में बॉलीवुड में दस्तक देने वाले शम्मी की पहली फिल्म ‘जीवन ज्योति’ थी. वर्ष 1961 में सुपरहिट फिल्म ‘जंगली’ ने उन्हें बड़े पर्दे की दुनिया में खास जगह दिला दी. शम्मी ने फिल्मों में अपनी खास अदायगी से अलहदा तरह की छवि बनायी. ‘जंगली’ ने भारत के एल्विस प्रेसली’ कहे जाने वाले कपूर की ‘याहू’ छवि को बनाया और यह फिल्म पहली रंगीन रोमांटिक फिल्म थी. यह फिल्म भारतीय फिल्म उद्योग में मील का पत्थर साबित हुई. शम्मी की दिलकश शख्सियत ने ‘चाइना टाउन’ ‘दिल तेरा दीवाना’ और ‘प्रोफेसर’ जैसी फिल्मों की सफलता में अहम योगदान दिया.

'जग जीत' ने वाली आवाज़
जगजीत सिंह 1941-2011

कभी जगजीत जी ने ही गाया था - 'होंठों से छूलो तुम, मेरा गीत अमर कर दो.' किसे पता था कि उनके करोड़ों चाहने वाले एक दिन सिसकते हुए कहेंगे - 'हम कैसे करें इक़रार, कि हां तुम चले गए?' दुनिया भर में रौशन ग़ज़ल गायिकी की एक मुक़द्दस किताब 10 अक्टूबर 2011 को बंद हो गई. कई भारतीय भाषाओं में अपनी गायिकी के चलते मील का पत्थर साबित हो चुके जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी 1941 को हुआ था.

Advertisement

झूमता-गाता हुआ चला गया एक दीवाना
देव आनंद 1923-2011

हर फिक्र को धुएं में उड़ाने वाले हिन्दी फिल्मों के जाने-माने सदाबहार अभिनेता देव आनंद का लंदन में 4 दिसंबर 2011 को हार्ट अटैक पड़ने से निधन हो गया था. वह 88 वर्ष के थे. अभिनेता के तौर पर देवानंद के करियर की शुरूआत वर्ष 1946 में ‘हम एक हैं’ फिल्म से हुई थी. दाबहार अभिनेता देवानंद ने ‘पेइंग गेस्ट’, ‘बाजी‘, ‘ज्वैल थीफ़’, ‘सीआईडी’, ‘जॉनी मेरा नाम’, ‘अमीर गरीब’, ‘वारंट’, ‘हरे राम हरे कृष्ण’ और ‘देस परदेस’ जैसी कई हिट फिल्में दी. भारतीय सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान देने वाले देवानंद वर्ष 2001 में प्रतिष्ठित ‘पद्म भूषण’ सम्मान से विभूषित किए गए और 2002 में उन्हें ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ प्रदान किया गया. वर्ष 1993 में उन्हें फिल्मफेयर ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ और 1996 में स्क्रीन वीडियोकॉन ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया.

एक युग जिसका नाम राजेश खन्ना था...
राजेश खन्ना 1942-2012

18 जुलाई 2012 को बॉलीवुड के साथ इस देश ने अपना सुपस्टार खो दिया. ‘मेरे सपनों की रानी’ और ‘रूप तेरा मस्ताना...’ जैसे रोमांटिक गीतों के भावों को अपनी जज्बाती अदाकारी से जीवंत करने वाले राजेश खन्ना ने अपने जमाने में लगातार 15 हिट फिल्में देकर बालीवुड को ‘सुपर स्टार’ की परिभाषा दी थी. ‘आराधना’ और ‘हाथी मेरे साथी’ 29 दिसंबर 1942 को जन्मे राजेश खन्ना की ऐसी सुपरहिट फिल्में थीं जिन्होंने बॉक्स आफिस पर सफलता के सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए. उन्होंने 163 फिल्मों में काम किया जिनमें से 106 फिल्मों को उन्होंने सिर्फ अपने दम पर सफलता प्रदान की. 22 फिल्में ऐसी थीं जिनमें उनके साथ उनकी टक्कर के अन्य नायक भी मौजूद थे.

Advertisement

रुस्‍तम-ए-हिंद
दारा सिंह 1928-2012

रुस्‍तम-ए-हिंद दारा सिंह ने 12 जुलाई, 2012 को आखिरी सांसें ली. दूरदर्शन पर प्रसारित बेहद लोकप्रिय धारावाहिक ‘रामायण’ में हनुमान की कालजयी भूमिका निभाने वाले अभिनेता दारा सिंह अभिनय के अलावा कुश्ती की दुनिया भी दिग्गज हस्ती थे और हिंदी फिल्म जगत में आने से पहले ही अखाड़े में विश्व के प्रमुख पहलवानों को पटखनी दे चुके थे.रामानंद सागर के धारावाहिक ‘रामायण’ में हनुमान की भूमिका में लोगों ने उन्हें विशेष रूप से पसंद किया और उन्हें घर घर में लोकप्रिय बना दिया.

एक परफेक्शनिस्ट अदाकार
ए के हंगल 1917-2012

26 अगस्त 2012 बॉलीवुड के वयोवृद्ध अभिनेता ए. के. हंगल का निधन हो गया था. वर्ष 1967 से हिन्दी फिल्म उद्योग का हिस्सा रहे हंगल ने लगभग 225 फिल्मों में काम किया. उन्हें फिल्म ‘परिचय’ और ‘शोले’ में अपनी भूमिकाओं के लिए जाना जाता है. इसके अलावा नमक हराम, शोले, शौकीन, आईना, बावर्ची जैसी फिल्मों में भी उन्होंने यादगार भूमिका निभाई. हंगल वर्ष 2011 में उस समय एक बार फिर सुर्खियों में आ गए थे, जब यह बात सामने आई थी कि वह अपनी आय के साधन खत्म हो जाने के बाद आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उनके पास भोजन और दवाइयों तक के लिए पैसे नहीं बचे थे. इसके बाद अभिनेता अमिताभ बच्चन और आमिर खान जैसे फिल्म उद्योग के बहुत से लोगों ने उन्हें आर्थिक मदद की पेशकश की थी.

Advertisement

रोमांस का जादूगर
यश चोपड़ा 1932-2012

21 अक्टूबर 2012 को दुनिया को अलविदा कह गए प्रसिद्ध फिल्म निर्माता निर्देशक यश चोपड़ा ने अपने पांच दशक के बॉलीवुड करियर में कई फिल्मों के जरिए रोमांस की नई परिभाषा गढ़ी. चोपड़ा ने भारतीय सिनेमा की सबसे सफलतम फिल्मों का निर्देशन किया. ‘एंग्री यंग मैन’ अमिताभ बच्चन की ‘दीवार’ से लेकर ‘बादशाह’ शाहरुख खान की ‘दिल तो पागल है’ जैसी फिल्में देने वाले यश चोपड़ा ने कैमरे के पीछे जाकर दशकों तक दर्शकों की नब्ज को थामे रखा. चोपड़ा और बच्चन की जोड़ी ने बॉलीवुड की ‘कभी कभी’ और ‘त्रिशूल’ जैसी फिल्में भी दीं. यदि शाहरुख खान फिल्मों के बादशाह हैं, तो यश चोपड़ा ‘किंगमेकर’ हैं.


Advertisement
Advertisement