एकदम जांचा-परखा फॉर्मूला. चटख रंगीन सेट. धमाकेदार संगीत. सीटी मार संवाद. डांस का अलग अंदाज. जाबांज नायक. ऐसा ही कुछ देखने को मिलेगा आने वाली फिल्मों रेडी, सिंगम, फोर्स, बॉडीगार्ड और किक में.
इन फिल्मों की खास बात यह है कि ये सभी दक्षिण भारतीय फिल्मों का रीमेक हैं. बेशक ये फिल्में भी गजनी और वॉन्टेड जैसी फिल्मों की तरह ही सफलता के झंडे गाड़ने का इरादा रखती हैं.
साउथ के रीमेक के इस रुझान पर फिल्म विश्लेषक कोमल नाहटा कहते हैं, ''सालों से रीमेक बनते आए हैं. लेकिन अच्छा रुझान यह है कि इन फिल्मों को पसंद किया जा रहा है और फिल्में राइट्स खरीदने के बाद ही बन रही हैं.''
वॉन्टेड के साथ दर्शकों के दिलों में जबरदस्त दस्तक दे चुके सलमान खान एक बार फिर से कई रीमेक फिल्मों में नजर आएंगे. जून में रिलीज हो रही उनकी फिल्म रेडी इसी नाम वाली तेलुगु फिल्म का रीमेक है और बॉडीगार्ड (मलयालम) और किक (तेलुगु) के बारे में भी ऐसा ही कह सकते हैं.
हालांकि सलमान इसे महज इत्तेफाक बताते हैं, ''बॉलीवुड में बेहतरीन लेखक मौजूद हैं. यह इत्तेफाक ही है कि मैं दक्षिण आधारित फिल्में कर रहा हूं.'' वहीं, निर्देशक अनीस बद्ग़मी फिल्म को पूरी तरह से बॉलीवुड के रंग में रंगने की बात कहते हैं.
फिल्म के एक गीत ढिंका चिका को तेलुगु फिल्म आर्य 2 के रिंगा रिंगा की तर्ज पर तैयार किया गया है. देखने वाली बात यह है कि दबंग के बाद सल्लू मियां की यह पहली फिल्म है. ऐसे में फिल्म के प्रमोशन की बात करें तो यह पूरी तरह से सलमान के कंधों पर ही नजर आती है.
यही नहीं, उनकी अगस्त में रिलीज हो रही बॉडीगार्ड के मलयालम संस्करण में दिलीप और नयनतारा मुख्य भूमिकाओं में थे जबकि इसमें नायिका हैं करीना कपूर. मजेदार यह कि मूल मलयालम को निर्देशित करने वाले सिद्दीकी ही इसके हिंदी संस्करण के निर्देशन का जिम्मा संभाले हुए हैं जबकि किक का निर्देशन शिरीष कुंदर करेंगे और कहा जा रहा है कि यह फिल्म थ्री डी में बन सकती है.
दूसरी ओर, गोलमाल 1,2,3 और ऑल द बेस्ट जैसी लगातार चार हिट फिल्में देने वाले निर्देशक रोहित शेट्टी भी तमिल फिल्म सिंगम को हिंदी में इसी नाम से ला रहे हैं.
रोहित की पिछली फिल्मों की तरह ही इस फिल्म में भी अजय देवगन हैं और लंबे समय बाद वे एक्शन हीरो की रोल में नजर आएंगे. इसके लिए उन्होंने अच्छे खासे सिक्स पैक्स भी बनाए हैं. पुलिस अधिकारी की भूमिका निभा रहे अजय की नायिका दक्षिण की अभिनेत्री काजल अग्रवाल हैं. फिल्म के मूल फिल्म से अलग होने के बारे में पूछे जाने पर शेट्टी कहते हैं, ''हमने फिल्म को 60 फीसदी बदला है. कहानी असल फिल्म से अलग होगी. कुछ नए किरदार भी देखने को मिलेंगे.'' जुलाई में रिलीज हो रही सिंगम में गरजदार संवाद और मुक्कों से लड़ाई की बात कही जा रही है.
विपुल अमृत लाल शाह सूर्या-द्गयोतिका की तमिल हिट काखा-काखा को हिंदी में फोर्स के नाम से ला रहे हैं, जिसमें जॉन अब्राहम हैं और निर्देशन निशिकांत कामथ कर रहे हैं. फिल्म एक्शन से भरपूर है. दूसरी ओर, गोविंद मेनन अपनी ही तेलुगु फिल्म विन्नैतांडी वरुवाया को हिंदी में प्रेम कथा के नाम से बना रहे हैं.
इस रोमांटिक थ्रिलर में प्रतीक बब्बर और एमी जैक्सन प्रमुख भूमिकाओं में हैं. इनके अलावा, खबर है कि जीवा और कार्तिका नायर की तमिल पॉलिटिकल थ्रिलर को से अक्षय कुमार काफी प्रभावित हैं और फिल्म के रीमेक राइट्स को लेकर बातचीत कर रहे हैं तो वहीं सलमान भी पीछे नहीं है. वे रवि तेजा की तेलुगु एक्शन कॉमेडी मिरापकाया के रीमेक में नजर आ सकते हैं.
यहां सवाल पैदा होता है कि आखिर क्यों बॉलीवुड सफलता के लिए साउथ का सहारा लेता है. इस पर शेट्टी कहते हैं, ''हम अच्छी कहानी की तलाश में रहते हैं. मुझ्े कहानी अच्छी लगी इसलिए इस पर फिल्म बना रहे हैं.'' अगर देखें तो बॉलीवुड हमेशा से हॉलीवुड और क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों का सहारा लेता आया है.
नाहटा कहते हैं, ''रीमेक बनाना कोई गलत नहीं है लेकिन उसमें कुछ मौलिकता का पुट भी रहना चाहिए.'' अगर हम '80 के दशक पर नजर दौड़ाएं तो उस समय जीतेंद्र साउथ की फिल्मों के हिंदी रीमेक में नजर आते थे जिनमें जुदाई, मांग भरो सजना, हिम्मतवाला, ज्योति बने द्गवाला और लोक परलोक के नाम लिए जा सकते हैं.
यही नहीं, सरगम, सदमा, वो सात दिन, अंधा कानून और ईश्वर जैसी सफल फिल्में दक्षिण से ही प्रेरित थीं. निर्देशक प्रियदर्शन को खुद की मलयालम फिल्मों को हिंदी में बनाने के लिए जाना जाता है जिनमें भूलभुलैया, क्योंकि..., गरम मसाला और विरासत के नाम लिए जा सकते हैं. इस ट्रेंड के बारे में बॉक्स ऑफिस इंडिया के संपादक वजीर सिंह कहते हैं, ''रीमेक फिल्में ऐसी होती हैं जिन्हें दर्शकों की कसौटी पर कसा जा चुका होता है. इनके चयन की यही खास वजह होती है.''
मतलब यह कि बॉलीवुड के कुछ निर्देशक फिलहाल जांचे-परखे फॉर्मूलों को हाथ लगा रहे हैं और गजनी, वॉन्टेड और साथिया जैसी सफलता दोहराना चाहते हैं. लेकिन उन्हें हिंदीभाषी दर्शकों के जायके का ख्याल रखना होगा नहीं तो इन फिल्मों का हस्र कम्बख्त इश्क जैसा हो सकता है.