जावेद अली 29 वर्ष
हालांकि अपना कॅरियर उन्होंने करीब एक दशक पहले शुरू किया लेकिन ख्याति उन्हें 2007 में जोरदार पंजाबी गाने नगाड़ा बजा से मिली. जब वी मेट फिल्म के लिए इसे गाया था उन्होंने. जी ये जावेद अली हैं, जिन्होंने जोधा अकबर के रोमांटिक गाने जश्ने बहारां में हमको थिरकने पर मजबूर कर दिया था.
उसके बाद गजनी का वह गाना! तू मेरी अधूरी प्यास-प्यास. उन्होंने हिंदी ही नहीं बल्कि तमिल, तेलुगु, बांग्ला, मराठी जैसी दूसरी भाषाओं के गाने भी गाए हैं.
घर में उस्तादः गाने की तालीम उन्होंने अपने पिता कव्वाल उस्ताद हामिद हुसैन से सात साल की उम्र में ही लेनी शुरू कर दी थी. बाद में वे पाकिस्तान के मशर गजलगायक गुलाम अली के शागिर्द बने.
बदल दिया नामः जावेद हुसैन के रूप में जन्मे जावेद ने गुरु के सम्मान में अपना नाम अली कर लिया.
पहचाना जिन्होंनेः उनकी प्रतिभा को मशर संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी ने पहचाना था.
संघर्ष की राहः दूसरे गायकों की तरह उनका भी सफर संघर्ष के साथ शुरू हुआ. रेडियो-टीवी के लिए गाते रहे. आखिरकार बेटी नं.1 में पहली दफा गाने का मौका मिला.
जज साबः इन दिनों वे .जी टीवी के रियलिटी शो सारेगामापा लिट्ल चैंप्स के निर्णायक हैं और बाल प्रतिभाओं को निखारने में जुटे हुए हैं.
''हर गीतकार के अंदर एक संगीतकार मौजूद होता है लेकिन मैं गायन पर ही ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं.''