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कविता सेठ: सम्मोहन की कला

उन्होंने अपनी ताजगी और एहसास से लबरेज आवाज में 2009 में वेक अप सिड में गूंजा-सा कोई इकतारा  गाकर सबको सम्मोहित कर लिया. इस गीत ने देश के करोड़ों लोगों के दिलों को छुआ और शीर्ष गीतों की सूची में अपनी जगह तो बनाई ही, उन्हें सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका का फिल्मफेयर पुरस्कार भी दिलवाया.

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कविता सेठ
कविता सेठ

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कविता सेठ 40 वर्ष

उन्होंने अपनी ताजगी और एहसास से लबरेज आवाज में 2009 में वेक अप सिड में गूंजा-सा कोई इकतारा  गाकर सबको सम्मोहित कर लिया. इस गीत ने देश के करोड़ों लोगों के दिलों को छुआ और शीर्ष गीतों की सूची में अपनी जगह तो बनाई ही, उन्हें सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका का फिल्मफेयर पुरस्कार भी दिलवाया.

उन्हें आवाज की दुनिया का उभरता बड़ा सितारा कहना कतई अतिशयोक्ति नहीं होगी. यही नहीं, 2010 में फिल्म राजनीति के बहुत ही संवेदनशील गीत मोरा पिया के जादुई स्वर भी उन्हीं के थे. वे उत्तर प्रदेश के बरेली की रहने वाली हैं और ग्वालियर घराना के हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में प्रशिक्षित हैं.

सूफी स्टाइल को उनकी गायकी की विशेषज्ञता माना जाता है. उन्होंने 2005 में वादा से बॉलीवुड में कॅरियर शुरू किया, यह मौका उन्हें निर्देशक सतीश कौशिक ने दिया जिन्होंने उन्हें इंटरनेशनल सूफी फेस्टिवल में देखा था.      
जानते हैं: जब वे गायिकी सीख रहीं थीं तब बरेली की खानकाह-ए-निया.जिया दरगाह पर अपने सुरों का जादू बिखेरा करती थीं.
चर्चे हैं: वे लंदन, ओस्लो और स्टॉकहोम में सूफी महक बिखेर चुकी हैं 
''बचपन से संगीत से जुड़ी हूं. कई अच्छे पड़ाव आए हैं, पर अभी काफी सफर बाकी है.''

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वे मेरी गुरु बहन हैं. बहुत अच्छा गाती हैं. बहुत ही विनम्र हैं और जमीन से जुड़ी हैं.
तोची रैना, सूफी गायक

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