हाल ही पिता में बने अभिषेक बच्चन का मानना है कि खुद के खोज की शुरुआत आत्मविश्वास और आत्मनिरीक्षण से होती है.
माइंड रॉक्स इंडिया टुडे यूथ समिट 2011 चेन्नई में अभिषेक ने अपने समीक्षकों के साथ अपने रिश्ते पर कहा कि समीक्षकों के साथ मेरा प्यार-नफरत का रिश्ता है. जिसमें मैं उनसे प्यार करता हूं और वे मुझसे नफरत.
युवा श्रोताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'शुरुआती दिनों में मैं एक ढीठ किस्म का नौजवान था. जो मेरे काम की सराहना नहीं करता था उसके प्रति मेरी भवानाओं में कड़वाहट रहती थी.' हालांकि अभिषेक ने माना कि उन्होंने अपने में बदलाव लाया क्योंकि उन्हें एहसास हो गया था कि दुनिया केवल अंतिम परिणाम में रुचि रखती है.
बॉलीवुड कलाकार ने कहा कि अगर आप आत्मनिंदा करना जानते हैं तो खुद की खोज करने के लिए 17 फ्लॉप फिल्मों की जरूरत नहीं होगी. यूथ समिट में बोलते हुए अभिषेक बच्चन ने कहा, 'खुद की खोज आत्मविश्वास और आत्मनिरीक्षण के साथ शुरू होती है.'
इंडिया टुडे ग्रुप की एडिटर कावेरी बामजई ने यह कहते हुए अभिषेक बच्चन का मंच पर स्वागत किया कि लगातार 17 फ्लॉप फिल्मों के बाद अभिषेक को पहली हिट मूवी बल्फ्मास्टर के रूप में मिली. जिसके बाद देश की नंबर एक समाचार मैग्जीन इंडिया टुडे ऩे उन पर कवर स्टोरी की थी. उन्होंने कहा कि अभिषेक बच्चन ने अपनी फ्लॉप फिल्मों में की गलतियों से सीखा जो उनकी सबसे बड़ी ताकत है.
जूनियर बी ने कहा कि शुरुआती करियर में ना मेरी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया था. यह पूछे जाने पर कि अगर वो एक्टर नहीं होता तो क्या करते. अभिषेक बच्चन ने कहा कि मैं एक संघर्ष करता हुआ अभिनेता होता.
उन्होंने कहा, 'जीवन में जरूरी है बिना किसी बैकअप प्लान के आपको अपने लक्ष्य पर नजर रखनी चाहिए.' अपने संबोधन के दौरान अभिषेक ने अपनी जिंदगी बदल देने वाले उस वाकये के बारे बताया जब एक महिला प्रशंसक ने उनकी खराब एक्टिंग से नाराज होकर चांटा चला दिया था.
उन्होंने कहा, यह मेरी जिंदगी बदल देने वाली घटना थी. एक समय मैंने एक्टिंग करियर छोड़ने का फैसला कर लिया था. हालांकि अमिताभ बच्चन के मार्गदर्शन के बूते ही वे एक बार फिर कैमरे के सामने लौटे.