मोहम्मद रफी के बेटे शाहिद रफी ने लता मंगेशकर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है. उन्होंने लता के इस दावे को खारिज किया है कि रफी ने अपने व उनके (लता) बीच विवादों को दूर करने के लिए उन्हें माफी मांगते हुए पत्र भेजा था.
लता मंगेशकर के इस दावे के एक दिन बाद कि मरहूम गायक मोहम्मद रफी ने लिखित में उनसे माफी मांगी थी, रफी के पुत्र शाहिद रफी ने लता की आलोचना करते हुए इसे ‘लोकप्रियता का हथकंडा’ करार दिया है और कहा है कि वह इस संबंध में लता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं.
शाहिद ने कहा, ‘मेरे पिता राष्ट्रीय सम्पदा थे. मुझे चोट पहुंची है और उनके प्रशंसकों को भी. उनके प्रशंसकों की संख्या किसी अन्य कलाकार के प्रशंसकों से कहीं ज्यादा है. अगर वह यह साबित कर दें कि मेरे पिता ने उन्हें माफी का पत्र लिखा था तो मैं माफी मांगने को तैयार हूं.’
उन्होंने कहा, ‘उन्हें पत्र दिखाने दीजिए. मेरे पिता का बरसों पहले इंतकाल हो चुका है और अब वह इस पत्र की बात कर रही हैं. लोग तो कीमती दस्तावेज को पचासों साल संभालकर रखते हैं. उन्होंने उस कागज को संभालकर क्यों नहीं रखा, जिससे उनकी इज्जत बढ़ती.’
एक अखबार के साथ इंटरव्यू के दौरान लता मंगेशकर के हवाले से कहा गया था कि उनका और रफी का रॉयल्टी को लेकर झगड़ा हुआ था, जब रफी ने कहा था कि वह उनके साथ नहीं गाएंगे और उस वक्त वहां और संगीतकार भी मौजूद थे. इसपर लता ने जवाब में कहा था कि वह खुद उनके साथ नहीं गाएंगी.
लता ने कहा कि यह मामला संगीत निर्देशक जयकिशन की मदद से सुलझा लिया गया था. अखबार ने लता के हवाले से कहा, ‘मुझे रफी का पत्र मिला और झगड़ा खत्म हो गया, लेकिन मैं जब भी उसे देखती, मेरी टीस उभर आती.’
शाहिद ने आरोप लगाया कि मंगेशकर ने यह दावा इसलिए किया क्योंकि वह असुरक्षित हैं. शाहिद ने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह उनका लोकप्रियता हासिल करने का हथकंडा है क्योंकि वह मेरे पिता के इंतकाल के बाद भी उनके इतने सारे प्रशंसकों की वजह से असुरक्षित हैं.’
शाहिद ने कहा, ‘मैं आठ दस दिन इंतजार करूंगा. इस बारे में मुझे कानूनी राय लेनी होगी.’ उन्होंने कहा कि लता मंगेशकर जैसी वरिष्ठ कलाकार इस तरह के दावे करके युवा पीढ़ी को गलत संदेश दे रही हैं.
शाहिद ने कहा, ‘मेरे पिता और उनके बीच यह झगड़ा 1961 से 1967 के बीच हुआ था. उस समय मेरे पिता का कोई सानी नहीं था, शम्मी कपूर, धर्मेंन्द्र, जीतेन्द्र, राजेन्द्र कुमार जैसे अभिनेता चाहते थे कि मेरे पिता उनके लिए गाएं. जबकि उस समय सुमन कल्याणपुर, हेमलता और मुबारक बेगम जैसी कई अन्य गायिकाएं थीं, तो हो सकता है कि उस समय उनका करियर डांवाडोल रहा हो.’