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राज शेखर: एक रौ का रचनाकार

तनु वेड्स मनु के एक गाने में पोस्ता, कलौंजी और मर्तबान जैसे शब्दों ने बड़े-बड़ों का कान इस ओर खींच लिया था. ऐसे में इसके रचयिता को चर्चा में आना ही था.

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राज शेखर
राज शेखर

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राज शेखर  30 वर्ष

तनु वेड्स मनु के एक गाने में पोस्ता, कलौंजी और मर्तबान जैसे शब्दों ने बड़े-बड़ों का कान इस ओर खींच लिया था. ऐसे में इसके रचयिता को चर्चा में आना ही था. मधेपुरा, जहां चाउमीन-डोसा अभी-अभी पहुंचा है, के इस युवक ने भी बिहार के दूसरे युवकों की तरह सिविल सेवा की सोची पर दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में थिएटर ने पूरा ट्रैक ही बदल दिया.

रंगरेज मेरे ट्रैक ने उनका वजन और बढ़ाया. नई पौध के वे उन चुनिंदा शब्दकारों में से हैं, जो मॉडर्न आवाजों में अब भी गहरे अर्थ वाली शब्दावली में लिखना पसंद करते हैं.
एहसास की बातः उनके पास थोक में ऑफर आए पर ज्‍यादातर को मना कर दिया क्योंकि उनकी जिंदगी के आसपास के न होने की वजह से ''उनके किरदारों को महसूस नहीं कर पा रहा था.''
मध्यमार्गः वे ऑडिएंस को अफीम बांटने के खिलाफ हैं. ''थोड़ा दर्शक की सुनो, थोड़ा अपने मन की. पर मेयार कायम रहे.''
हरे जख्मः प्रेम कई दफा हुआ पर एकतरफा. तभी यह सूफियाना लाइन दे सकेः तू अगर जो हां कहे तो बात  होगी और ही.
''शब्दों का अंकगणित, विज्ञापननुमा जुमलेबाजी मुझे नहीं आती भैया. महसूस करके एक फ्लो में लिखता हूं.''

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उनका रंगरेज गीत सुना आपने. क्या गहरा सूफियाना एहसास है.
कविता सेठ, सूफी गायिका

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