ग्लैमरस छवि वाली समीरा रेड्डी अपनी छवि बदलने का मन बना चुकी हैं. वह आजकल गंभीर किरदार निभाने पर ध्यान दे रही हैं. अपनी इसी कोशिश को साकार करने के लिए समीरा ने साइन की रेड अलर्ट और वाकई उन का यह फैसला सही साबित हुआ. रेड अलर्ट भारत से बाहर प्रदर्शित की जा चुकी है और उसे पुरस्कार भी मिल चुके हैं. अब यह फिल्म भारत में प्रदर्शन को तैयार है, 16 जुलाई को ‘रेड अलर्ट’ भारत में रिलीज होने जा रही है. दो साल पहले बनी यह फिल्म आज भी उतनी ही सामयिक है. अंतरराष्ट्रीय समारोह में इस फिल्म को पुरस्कार भी मिले. हाल ही में जब समीरा दिल्ली आई, तो उन्होंने अपनी इस फिल्म के बारे में खुल कर बोला.
अपनी फिल्म के बारे में कुछ बताएं?
यह फिल्म नक्सलवाद पर आधारित है. किस तरह से लोग नक्सलवाद के चलते अपने जीवन को जी नहीं पाते और परेशानियों का सामना कर डर डर कर जीते हैं. यही सब हम इस फिल्म के जरिए लोगों को दिखाना चाहते हैं.
फिल्म को साइन करने के पीछे क्या वजह रही, क्या आप अपनी इमेज बदलना चाहती थीं या फिर कुछ और?
इमेज बदलने की कोई बात नहीं. मैं कभी एक इमेज में बंधी ही नहीं. और फिर मैं यहां काम करने आई हूं, इसलिए कोशिश यही करती हूं कि हर तरह के किरदार निभा सकूं. रेड अलर्ट यह बताती है कि लोग क्यों नक्सली बन जाते हैं. {mospagebreak}इस फिल्म ने मेरी इमेज बदली या नहीं यह तो मैं नहीं जानती, लेकिन हां व्यक्तिगत तौर पर इसने फिल्म के दौरान मैंने खुद में बहुत बदलाव महसूस किए हैं.
किस तरह के बदलाव ?
रेड अलर्ट करने से पहले मैं नक्सलवाद के बारे में ज्यादा नहीं जानती थी, लेकिन फिल्म के लिए हां कह देने के बाद मैंने अपने स्तर पर रिसर्च की तो पाया कि नक्सलवाद कितनी भयंकर समस्या है.
रेड अलर्ट में आप किस तरह का किरदार निभा रही हैं?
इस फिल्म में मैं एक लक्ष्मी का नाम की लड़की का किरदार निभा रही हूं, जिसका पुलिस स्टेशन में बलात्कार होता है. बाद में वह इंसाफ न मिलने के चलते नक्सलवादियों के साथ जुड़ जाती है.
रेस में एक नासमझ लड़की का किरदार और रेड अलर्ट की नक्सली लड़की में से कौन सा किरदार निभाना कठिन रहा?
किरदार तो दोनों ही मुश्किल थे. आप पढ़े लिखे होकर भी इनते नासमझ दिखें कि जैसे आप को कुछ आता ही न हो. और फिर जंगलों में जाकर बंदूक उठाना वाकई मुश्किल रहा.
गंभीर फिल्में चुनने की कोई बड़ी वजह?
हां, एक है तो. वह ये कि लोग अब गंभीर फिल्में भी पसंद करने लगे हैं और रेड अलर्ट एक बेहद गंभीर विषय पर बनी है. और फिर फिल्म की स्क्रिप्ट ने मुझे बहुत आकर्षित किया, क्योंकि इसमें एक बेहद गंभीर मुद्दे को उठाया गया है. डेढ़ साल पहले तक मुझे नक्सली समस्या के बारे में पता नहीं था. अब मैं उन की मदद के लिए कुछ करना चाहती हूं.