त्रिपुरा के एक शाही परिवार में एक अक्टूबर 1906 को पैदा हुए सचिन देव बर्मन की रुचि बचपन से ही संगीत में थी और उन्होंने संगीत की विधिवत शिक्षा भी ली थी. हालांकि उनका मानना था कि फिल्म संगीत शास्त्रीय संगीत का कौशल दिखाने का माध्यम नहीं है. कई पुरुस्कारों से सम्मानित सचिन देव बर्मन चुने गए गीतों में ही बेहतरीन धुन देने में विश्वास रखते थे. इसके अलावा वह धुनों के दोहराए जाने को भी पसंद नहीं करते थे.
हिंदी और बांग्ला फिल्मों में सक्रिय सचिन देव बर्मन ऐसे संगीतकार थे जिनके गीतों में लोकधुनों, शास्त्रीय और रवीन्द्र संगीत का स्पर्श था, वहीं वह पाश्चात्य संगीत का भी बेहतरीन मिश्रण करते थे.
दर्जनों हिंदी फिल्मों में कर्णप्रिय यादगार धुन देने वाले सचिन देव बर्मन के गीतों में जहां रूमानियत है वहीं विरह, आशावाद और दर्शन की भी झलक मिलती है. हर वर्ग को अपनी धुनों से दीवाना बना लेने वाले मृदुभाषी सचिन देव बर्मन फिल्मों में आने के पहले रेडियो पर प्रसारित पूर्वोत्तर लोक संगीत के कार्यक्रमों के जरिए अपनी पहचान बना चुके थे. वह पूर्वोत्तर और बंगाल के विभिन्न हिस्सों में खूब घूमे थे. इससे उन्हें उन क्षेत्रों की संस्कृति खासकर लोकधुनों की अच्छी जानकारी मिली और इसका उपयोग फिल्मों में किया.
ऐसे प्रतिभाशाली संगीतकार को हिंदी फिल्मों में कदम जमाने में समय लगा और एक समय तो वह वापस कोलकाता लौटने का मन बना चुके थे. लेकिन अशोक कुमार के कहने पर वह रुके और फिर कर्णप्रिय संगीत का ऐसा दौर शुरू हुआ जो उनकी तबियत खराब होने तक जारी रहा.
सचिन देव बर्मन जब संघर्ष कर रहे थे, उन्हीं दिनों देव आनंद ने नवकेतन बैनर की शुरूआत की और उन्हें बतौर संगीतकार नियुक्त कर लिया. उनका यह साथ बाजी फिल्म से शुरू हुआ जो अगले कई सालों तक जारी रहा. इस दौरान उन्होंने गाइड, जाल, बहार, प्रेम पुजारी जैसी कई फिल्मों में संगीत दिया जो आज भी याद किए जाते हैं. सचिन देव बर्मन ने विमल राय, गुरू दत्त, श्रषिकेश मुखर्जी की कई फिल्मों में भी बेहतरीन संगीत दिया.
वर्ष 1969 में प्रदर्शित आराधना कई लिहाज से महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुयी. एक ओर सुपरस्टार के रूप में राजेश खन्ना का उदय हुआ वहीं किशोर कुमार प्रमुख गायक के रूप में उभर कर सामने आए. सचिन देव बर्मन ने इस फिल्म के प्रमुख गीत मेरे सपनों की रानी कब आएगी के लिए किशोर कुमार को चुना और इस गीत से किशोर कुमार के करियर को नयी ऊंचाई मिली.
सचिन देव बर्मन ने एक ओर ‘माना जनाब ने पुकारा नहीं', 'जाने वो कैसे लोग थे', 'अपनी तो हर आह एक तूफान है', 'जलते हैं जिसके लिए’ जैसे रूमानियत और विरह से भरे गीतों में संगीत दिया वहीं उन्होंने ‘वहां कौन है तेरा मुसाफिर', 'सफल होगी तेरी आराधना', 'क्या से क्या हो गया’ जैसे गीतों को भी संगीतबद्ध किया. इन गानों दर्शन की कुछ झलक मिलती है. सचिन देव बर्मन बदलते वक्त के साथ तालमेल बिठाए रहे और 1970 के दशक में 'शर्मिली', 'तेरे मेरे सपने', 'फागुन', 'अभिमान', 'मिली', 'चुपके चुपके' जैसे फिल्मों में ‘मीत ना मिला ना मन का', 'तेरी बिंदिया रे', 'खिलते हैं गुल यहां'’’ जैसे हिट गीत दिए.