संगीत के जिस जादूगर का नाम आज सारी दुनिया में जाना जाता है कभी उसके घर का खर्च म्यूजिकल इंस्ट्रुमेंट किराए पर देकर चलता था. बात उस दौर की है जब एआर रहमान के पिता का निधन हो गया था और उनके घर की माली हालत ठीक नहीं थी. रहमान महज 9 साल के थे जब उनके पिता गुजर गए, और कोई विकल्प नहीं था. मजबूरन घर में रखे उनके पिता के म्यूजिकल इंस्ट्रुमेंट्स को किराए पर देना शुरू कर दिया गया. आज उनके जन्मदिन के मौके पर जानिए कई दिलचस्प बातें.
रहमान के पिता आर.के. शेखर एक म्यूजिक कंपोजर थे. जन्म के वक्त रहमान का नाम उन्होंने ए.एस. दिलीप कुमार रखा था. ऐसा इसलिए क्योंकि रहमान के पिता को दिलीप कुमार की फिल्में पसंद थीं. 23 साल की उम्र में जब रहमान की तबीयत बिगड़ गई तभी पूरे परिवार ने धर्म परिवर्तन किया और ए एस दिलीप कुमार से रहमान का नाम "ए.आर. रहमान" कर दिया गया.
बहुत से लोगों को ए.आर. का अर्थ भी ठीक से नहीं मालूम है. बता दें कि रहमान के नाम में ए.आर. का मतलब अल्लाह रखा है. यानि उनका पूरा नाम अल्लाह रखा रहमान है. रहमान जितने म्यूजिकल हैं उतना ही उन्हें अपने परिवार से भी लगाव है. वह एक अच्छे पति और पिता हैं. रहमान की शादी सायरा बानो से हुई है और उनके तीन बच्चे हैं जिनके नाम- खतीजा, रहीमा और अमीन है.
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वर्ष 2000 में रहमान पद्मश्री से सम्मानित किए गए. फिल्म 'स्लम डॉग मिलेनियर' के लिए वह गोल्डन ग्लोब, ऑस्कर और ग्रैमी जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं. इस फिल्म का गीत 'जय हो' देश-विदेश में खूब मशहूर हुआ. रहमान ने कई संगीत कार्यक्रमों में इस गीत को गाया.
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रहमान चार राष्ट्रीय पुरस्कार, 15 फिल्मफेयर पुरस्कार, दक्षिण बारतीय फिल्मों में बेहतरीन संगीत देने के लिए 13 साउथ फिल्म फेयर पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं. फिल्म '127 आवर्स' के लिए रहमान बाफ्टा पुरस्कार से सम्मानित किए गए. नवंबर 2013 में कनाडाई प्रांत ओंटारियो के मार्खम में एक सड़क का नामकरण संगीतकार के सम्मान में 'अल्लाह रक्खा रहमान' कर दिया गया.
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