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80 के दशक का वो मासूम चेहरा, जिसने छोटी सी उम्र में हास‍िल की बड़ी कामयाबी

सौ से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके एक्टर राजू श्रेष्ठ आज पर्दे पर कम ही नजर आते हैं. लेक‍िन उन्होंने जब बतौर चाइल्ड आर्ट‍िस्ट कर‍ियर की शुरुआत की थी, तो उन्हें बेशुमार शोहरत मिली. लोग उनके मासूम चेहरे से प्यार करने लगे थे.

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राजू श्रेष्ठ (बचपन की और वर्तमान की तस्वीर)
राजू श्रेष्ठ (बचपन की और वर्तमान की तस्वीर)

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चाहे टीवी हो या फिल्में, जब भी किसी के जहन में चाइड आर्टिस्ट का नाम आता है तो सबसे पहले मास्टर राजू या कहें राजू श्रेष्ठ का नाम आता है. राजू श्रेष्ठ 100 से ज्यादा फिल्मों में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम कर चुके हैं और 1976 में आई फिल्म ‘चितचोर’ के लिए बेस्ट चाइल्ड आर्ट‍िस्ट का नेशनल अवॉर्ड भी जीत चुके हैं.

सिर्फ इतना ही नहीं राजू ने टीवी सीरियल्स में काम करना उस दौर में शुरु कर दिया था जब दूरदर्शन में सिर्फ एक या दो धारावाहिक ही आया करते थे. उनका पहला सीरियल 1987 में आया था जिसका नाम था ‘चुनौती’. इसके अलावा उन्होंने सीरियल ‘अदालत’, ‘बड़ी देवरानी’, ‘भारत का वीर पुत्र –महाराणा प्रताप’, ‘CID’, ‘बानी- इश्क दा कलमा’ और ‘नजर-2’ जैसे सीरियल्स में काम किया है. आजतक के साथ खास बातचीत में राजू ने कई मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखी.

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सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद नेपोट‍िज्म पर उठ रहे सवाल को लेकर राजू श्रेष्ठ ने कहा- 'मुझे नहीं लगता है कि यहां नेपोटिज्म जैसी कोई चीज है, क्योंकि अगर नेपोटिज्म होता तो आयुष्मान खुराना और राजकुमार राव जैसे कलाकार इंडस्ट्री को नहीं मिलते. देखिए फिल्में देखने वाली पब्लिक होती हैं तो कौन पर्दे पर दिखेगा या कौन नहीं दिखेगा इसका अंतिम निर्णय पब्लिक ही लेती है इसलिए मैं नेपोटिज्म जैसी चीजों पर यकीन नहीं करता हूं.'

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Chitchor trio Amol Palekar, Zarina Wahab and Master Raju reunite for Agar (1977) #AmolPalekar #ZarinaWahab #MasterRaju #RajuShrestha #Bollywoodactors #Bollywoodactress #Childartist #Mainstreamcinema #Parallelcinema #Hindimovie #hindifilm #Hindicinema #BombayBasanti

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फिल्म इंडस्ट्री में बढ़ते हुए सुसाइड केसेज पर राजू ने अपनी राय कुछ इस तरह दी. एक्टर ने कहा- 'मुझे लगता है कि कोई कलाकार जब मुंबई में काम करने आता है तो उसे उसी वक्त ही अपने स्ट्रग्ल का एक समय निश्चित कर देना चाहिए कि मैं इतने साल स्ट्रगल करूंगा और अगर काम नहीं मिला तो मैं ये काम छोड़कर कोई दूसरा काम करूंगा.

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दूसरी बात मैं ये कहना चाहता हूं कि यहां हजारों ऐसे लोग एक्टिंग करने आते हैं जिन्हें एक्टिंग का एबीसीडी भी नहीं मालूम लेकिन वो टीवी पर दिखने की चाह में कलाकार बनने आ जाते हैं. तो मेरा ये कहना है कि पहले आप अपने आपको परख लीजिए और इसके साथ ही अपने आपको एक निश्चित समय दीजिए और तीसरी और आखिरी बात ये है कि टीवी और फिल्म लाइन में किस्मत बहुत बड़ा रोल प्ले करती है इसलिए अगर आपकी किस्मत अच्छी है तो चाहे आप कितने खराब कलाकार हों आप स्टार बन जाओगे और अगर आपकी किस्मत खराब है तो चाहे आप कितने भी अच्छे कलाकार हों आपको काम नहीं मिलेगा.

आने वाला कल OTT प्लेटफॉर्म का है- राजू श्रेष्ठ

बॉक्स ऑफिस की जगह OTT प्लेटफॉर्म पर फिल्में रिलीज करने की बात पर राजू श्रेष्ठ का कहना है, 'आने वाला टाइम OTT प्लेटफॉर्म का ही है. थिएटर अब कब खुलेंगे कहना मुश्किल है लेकिन फिल्में तो बनेंगी ही. ऐसे में अब दर्शकों के पास सिर्फ एक ही विकल्प बचता है और वो है डिजिटल प्लेटफॉर्म.

बदलते वक्त के साथ एक्टर्स का स्टारडम भी बदलता है, इसपर राजू ने भी सहमती दिखाई. उन्होंने कहा- 'आज के दौर का जो स्टारडम है वो उतना गाढ़ा नहीं है जितने पहले के एक्टर्स का स्टारडम होता था. पहले सोर्स ऑफ एंटरटेंनमेंट ज्यादा नहीं था, टीवी पर भी सीरियल्स थोड़े बहुत ही आते थे और फिल्में भी उतनी रिलीज नहीं होती थीं जितनी आजकल होती हैं. आजकल चाहे टीवी हो, डिजिटल प्लेटफॉर्म हो या बॉक्स ऑफिस हो, हर जगह पर एंटरटेंनमेंट पहले के जमाने से काफी ज्यादा बढ़ गया है तो ऐसे में स्टार्स का स्टारडम था वो आज के दौर में बंट गया है.'

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