तेवर देखी तो हर बार की तरह इस बार भी यही मन में आया कि सोनाक्षी किस तरह की फिल्मों का चयन कर रही हैं. एकदम सुरक्षित राह पर बढ़ने के चक्कर में वह अलग ही रास्ते पर निकल पड़ी हैं और टाइपकास्ट होती जा रही हैं. फिल्म देखने के बाद सोनाक्षी को लेकर आए कुछ विचारः
सोनाक्षी सिन्हा अब थोड़ी मैच्योर हो जाओ. पापा-मम्मी की बिटिया होने की छवि से बाहर आओ और दिखलाओ की तुम कितनी अच्छी अदाकारा हो. दबंग की छाया बहुत हुई. सन ऑफ सरदार से भी काफी सहारा मिला. खिलाड़ी के साथ खूब खेलीं. लेकिन कहीं दिखी नहीं. साउथ की रीमेक का खुमार भी बहुत हुआ और अब कुछ अपना असली जलवा दिखाओ. बासी कहानियों को नए ढंग से परोसने की कोशिशें भी बहुत रही. हम चाहते हैं कि लुटेरा जैसा कुछ करके दिखाओ.
अब तुम खुद ही देखो, तुम्हारी एक्शन-जैक्सन और लिंगा का क्या हश्र हुआ. बेशक, तुम स्टार बच्ची हो लेकिन ऐक्टिंग और कुछ नया करना तुम्हारा भी हक है. अब तुम स्टार बच्चियों आलिया भट्ट और श्रद्धा कपूर को ही देखो, उन्हें भी तो लोग जानते हैं. वे तो अपने दम पर फिल्म चला ले जाती हैं. फिल्म में नजर भी आती हैं और आखिर तक रहती हैं. सोनम कपूर को ही देखो. उन्होंने मजबूत रोल वाली फिल्में करना सीख लिया है. उनकी खूबसूरत ऐसी ही फिल्म थी और अब वे डॉली की डोली भी लेकर आ रही हैं. आखिर सेफ खेलने की राह तुम्हारे लिए ही क्यों जरूरी थी. तुम्हारी वही हंसी. जाना-पहचाना-सा स्टाइल. चुलबुली लड़की की अदाएं. यह हमें भी अच्छी लगती हैं. लेकिन तुम चूकती नजर आती हो. तुम्हारा देसी चेहरा और काया बॉलीवुड में कई उम्मीदें लेकर आई थीं. लेकिन सीनियर ऐक्टर्स के प्रभामंडल ने तुम्हे ग्रस लिया. इससे उभरो.
तुमने कभी लुटेरा देखी. उसमें की गई अपनी ऐक्टिंग देखी. अब जरा उसकी टक्कर में अपनी बाकी फिल्मों को रखो जिसमें बीवी और गर्लफ्रेंड बनने तक ही सीमित रही हो. तुम एक खूबसूरत और टैलेंटेड अदाकारा हो, इस टैलेंट को पहचानो. टाइपकास्ट मत हो. अब जरा ऐक्टिंग दिखाओ और अपने पापा के अंदाज में सभी आलोचकों को कर दोः खामोश!