बशीर बद्र का एक बड़ा ही मशहूर शेर है, जिसे उन्होंने लता मंगेशकर को समर्पित किया था. 'गले में उस के खुदा की अजीब बरकत है, वो बोलता है तो इक रोशनी सी होती है!'
संगीत के मूरीदों को लता की गायकी किसी ईश्वरी शक्ति से कम नहीं लगती. पर खराब सेहत की वजह से संगीत दिग्गज गायिका लता मंगेशकर संगीत के दुनिया से दूर थीं. पर अब वो बेहतर महसूस कर रही हैं और एक बार फिर गाने को तैयार हैं.
हालांकि, इन दो वर्षों के बीच कई फिल्मों के प्रोड्यूसर और निदेशक उनके पास गाने की मिन्नते लेकर पहुंचे थे, पर लता गाने में असमर्थ थीं. 87 साल की उम्र में अब लता मंगेशकर एक बार फिर संगीत के क्षेत्र में लौट आई हैं. इस पर उन्होंने कहा कि 'वो पिछले दो साल से इस पल का इंतजार कर रही थी और आखिकार वो लम्हा आ ही गया. पिछले दो वर्षों के मुकाबले अब मेरा स्वास्थ्य बेहतर है और मैं अच्छा महसूस कर रही हूं और अब मैं रिकॉर्डिंग कर सकती हूं.'
बता दें कि लता मंगेश्कर 13 साल की उम्र से ही पेशेवर गायिकी में हैं और उनकी गायिकी का लोहा पूरी दुनिया मानती है.
लता मंगेशकर, राम के 38 दोहों की रिकॉर्डिंग कर रही हैं. इस पर लता ने कहा कि 'भक्ति गाना गाकर जो संतुष्टी मिलती है, वह एक अलग स्तर पर लेकर जाती है. भजन के दो एलबम, राम रतन धन पायो और राम श्याम गुन गान, को लोगों ने खूब पसंद किया. पिछले सप्ताह मैं संगीतकार मयूरेश पई की देखरेख में दो श्लोकों किया है.'
आज भारत की स्वर सम्राज्ञी 'लता मंगेशकर' का जन्मदिन है, लता जी ने बचपन की गुरबत के दिनों से लेकर अभी तक बेहतरीन गीतों को जनता तक पहुंचाया है. जानिए आवाज की रानी के बारे में कुछ विशेष बातें:
- लता मंगेशकर का जन्म 28 सितम्बर 1929 को इंदौर में हुआ था.
लता मंगेशकर के पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक क्लासिकल सिंगर और थिएटर आर्टिस्ट थे.
- लता अपनी तीन बहनो मीना, आशा, उषा और एक भाई हृदयनाथ में सबसे बड़ी थी.
- लता मंगेशकर का जन्म के वक्त नाम 'हेमा' रखा गया था, लेकिन कुछ साल बाद अपने थिएटर के एक पात्र 'लतिका' के नाम पर, दीनानाथ जी ने उनका नाम 'लता' रखा.
- पांच साल की उम्र में ही लता जी ने अपने पिता से संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी और थिएटर में एक्टिंग किया करती थी. जब वो स्कूल गयी तो वहां के बच्चों को संगीत सिखाने लगी लेकिन जब लता जी को अपनी बहन 'आशा' को स्कूल लाने से मना किया गया तो उन्होंने स्कूल जाना छोड़ दिया.
- साल 1942 में जब लता जी मात्र 13 साल की थी तो उनके पिता का निधन हो गया फिर पूरे परिवार की देखभाल करने के लिए लता निकल पड़ी. उन्होंने मराठी फिल्म 'पहली मंगला गौर' में एक्टिंग की.
- साल 1945 में लता जी अपने भाई बहनो के साथ मुंबई आ गयी और उन्होंने उस्ताद अमानत अली खान से क्लासिकल गायन की शिक्षा ली. फिर साल 1946 में उन्होंने हिंदी फिल्म 'आपकी सेवा में' में 'पा लागूं कर जोरी' गीत गाया.
- प्रोड्यूसर सशधर मुखर्जी ने लता मंगेशकर की आवाज को 'पतली आवाज' कहकर अपनी फिल्म 'शहीद' में गाने से मना कर दिया था. फिर म्यूजिक डायरेक्टर गुलाम हैदर ने लता मंगेशकर को फिल्म 'मजबूर' में 'दिल मेरा तोडा, कहीं का ना छोड़ा' गीत गाने को कहा जो काफी सराहा गया . लता मंगेशकर ने एक इंटरव्यू में गुलाम हैदर को अपना 'गॉडफादर' कहा था.
- लता मंगेशकर ने 1942 से अब तक, लगभग 7 दशकों में , 1000 से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों और 36 से भी ज्यादा भाषाओं में गीत गाये हैं.
- लता मंगेशकर को साल 2001 में 'भारत रत्न' से भी नवाजा जा चुका है. लता जी को पद्म भूषण (1969) ,पद्म दादा साहब फाल्के अवार्ड (1989) , और पद्म विभूषण(1999) से भी नवाजा जा चुका है.