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उरी-पुलवामा आतंकी हमले से केसरी को कितना फायदा? करण जौहर ने दिया ऐसा जवाब

केसरी का नया गाना तेरी मिट्टी रिलीज हो गया है. ये एक इमोशनल सॉन्ग है, जिसे बी पराक ने गाया है. 21 सिख जवानों की शहादत को नमन करता ये गाना रौंगटे खड़े कर देता है.

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करण जौहर-अक्षय कुमार
करण जौहर-अक्षय कुमार

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अक्षय कुमार और परिणीति चोपड़ा स्टारर मूवी केसरी का नया गाना "तेरी मिट्टी" रिलीज हो गया है. ये एक इमोशनल सॉन्ग है, जिसे बी पराक ने गाया है. 21 सिख जवानों की शहादत को नमन करता ये गाना रौंगटे खड़े कर देता है. तेरी मिट्टी के लॉन्च इवेंच पर फिल्म की स्टारकास्ट और मेकर्स मौजूद थे. मीडिया से बातचीत में अक्षय कुमार ने फिल्म में अपने सिख लुक, मूवी में काम करने के अनुभव को भी साझा किया.

अक्षय कुमार के लिए कितनी चैलेंजिंग थी केसरी?

एक्टर ने कहा, ''ये फिल्म करना मेरे लिए चैलेंजिंग नहीं था. एक या सवा साल से कहानी पर रिसर्च हो रहा था. मेकर्स ने सारी रिसर्च की. चैलेंजिंग पार्ट मेकर्स ने किया. ये मूवी मेरे लिए इमोशनल जर्नी रही है. मेरे पिता आर्मी में थे. ये कहानी भी सैनिकों की है. केसरी करते वक्त मुझे फील आती थी. ब्रिटिश सारागढ़ी डे सेलिब्रेट करते हैं, लेकिन हमारे यहां ये कहानी इतिहास के पन्नों में गुम हो गई है."

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"मैं चाहता हूं कि पैरेंट्स अपने बच्चों को ये मूवी दिखाए. ये सच्ची कहानी है तो इसे देखना चाहिए. ये मूवी बच्चे और यूथ जरूर देखे.''

अक्षय कुमार के लिए इमोशनल रही है केसरी

अक्षय ने कहा, ''लास्ट के 15 मिनट में डायरेक्टर ने जो कराया है वो इमोशनल था. उन सीन्स में एक सैनिक मौत के करीब है. उन आखिरी के 35-40 सेकंड में सैनिक क्या सोचता है वो इस गाने ''तेरी मिट्टी'' में दिखाया गया है. इन गाने के बोल शानदार हैं. ये मूवी शहीदों के लिए है, इसलिए ''भारत के वीर'' को डैडिकेट की गई है.''

उरी-पुलवामा आतंकी हमले से फिल्म को कितना फायदा मिलेगा?

इस तीखे सवाल का जवाब करण जौहर ने दिया. उन्होंने कहा- ''जब ये मूवी बनाई थी तब ये माहौल नहीं था. ये फिल्म उसी देश की मिट्टी से बनी है. इसका दिल बड़ा है. इसे किसी भी दौर या किसी भी माहौल में रिलीज कर लो, केसरी दर्शकों को पसंद आएगी. ये माहौल की बात नहीं है. कहानी और हिंदुस्तानी होने की बात है.''

केसरी के लुक पर बोले अक्षय कुमार

अपने सिख लुक पर बोलते हुए अक्षय कुमार ने कहा- ''मेरी पगड़ी सवा या एक किलो की थी. 4-5 किलो की तलवार थी. उस वक्त के सैनिक 20-22 किलो की तलवार पकड़ते थे. जब पगड़ी पहनता था तो अपने आप शान आ जाती थी. रीढ़ की हड्डी सीधी हो जाती थी. आप खुद में गर्व महसूस करते हो. जो सही पगड़ी पहनते हैं वो सीधे खड़े रहते हैं. कई राज्यों का कल्चर है कि जो जिम्मेदार होते हैं उन्हें ही पगड़ी पहनाई जाती है.''

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