अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने एक बार कहा था- लगभग हर इंसान कठिनाईयों और दुश्वारियों का सामना कर सकते हैं लेकिन अगर किसी इंसान का असली कैरेक्टर जानना है तो उसे आप पावर थमा दीजिए. पावर, स्टारडम और शोहरत जैसी चीजें ना तो पाना आसान है और ना ही उन्हें बनाए रख पाना.
बॉलीवुड के आगाज के बाद से कई ऐसे स्टार्स रहे हैं जो ये सब हासिल करने में कामयाब रहे. इन स्टार्स का दौर आया, इन्होंने बॉलीवुड में अपने आपको स्थापित करने के साथ ही एक ट्रेंड सेट किया और फिर अपने सामने ही इस स्टारडम को चाहे-अनचाहे पास ऑन होते हुए देखा. दिलीप कुमार, देव आनंद, राजेश खन्ना से लेकर शाहरुख खान तक, ये सभी सितारे किसी ना किसी दौर में सुपरस्टारडम की ऊंचाईयों तक पहुंचे लेकिन एक शख्स जो इसे दशकों बाद भी कायम रखे हुए है, वो अमिताभ बच्चन ही रहे.
दर्जन भर फ्लॉप देने के बाद एंग्री यंग मैन का टैग हासिल करने वाले अमिताभ बच्चन के स्टारडम की शुरुआत 70 के दशक में हुई. ये वो दौर था जब उनकी फिल्मों के टिकट खरीदना बेइंतहा भीड़ के बीच चक्रव्यूह भेदने जैसा प्रतीत होता था. ये वही दौर था जब फ्रेंच डायरेक्टर फ्रांसिस ट्रोफू ने उन्हें वन मैन इंडस्ट्री कहना शुरू कर दिया था. बॉलीवुड में आज के दौर के लगभग सभी आर्टिस्ट्स अमिताभ की फिल्मों से मंत्रमुग्ध हुए, एड्रनेलीन रश से भर उठे और इंडस्ट्री में आने को प्रेरित हुए. बच्चन का मैजिकल रियलिस्म सिनेमा कई लोगों के लिए एस्केस्पिम का माध्यम बनने लगा. विनोद खन्ना जरूर उनके करीब पहुंचे लेकिन उस समय में अमिताभ बच्चन लोगों के दिलोदिमाग पर थे और सिनेमाई कल्चर का एक अभिन्न हिस्सा हो चुके थे.
आज भी कायम है स्टारडम
समय बदला और अमिताभ भी अपने आपको उसी समय के हिसाब से ढालने लगे. उनके इस लचीलेपन के चलते वे अब पारंपरिक लीड रोल्स की जगह मेनस्ट्रीम कैरेक्टर एक्टर का फॉर्मूला अपनाने लगे. अक्स, पा, ब्लैक, शमिताभ, पीकू जैसी कई भूमिकाएं हैं जिनमें अमिताभ ने प्रयोग किए और कई बार कामयाबी भी पाई. घायल हुए, आर्थिक संकट से गुजरे लेकिन हर बार अपने आपको संभालने में कामयाब रहे. इतने उतार-चढ़ाव के बीच भी वे अपनी उपलब्धियों को विनम्रता के साथ स्वीकार करते आए हैं और अपनी सक्सेस का श्रेय कोस्टार्स और डायरेक्टर्स को देते आएं. उसी विनम्रता के साथ ही वे अपने बंगले पर हर रविवार को लगने वाली भीड़ का भी अभिवादन करते हैं. मुंबई के थियेटर से डीडीएलजे दो दशक बाद भले हट गई हो लेकिन अमिताभ के घर पर चालीस साल बाद आने वाली इस भीड़ का अब भी आना बदस्तूर जारी है.
अमिताभ अब भी फिल्मों की मेन प्लॉट का हिस्सा होते और खास तौर पर उनके लिए अब भी रोल लिखे जाते हैं. स्टारडम से वे अब ब्रैंड में तब्दील हो चुके है. टीवी का सबसे ज्यादा कामयाब शो भी होस्ट करते हैं और 102 नॉट आउट जैसी बेहद अलग किस्म की फिल्म को 100 करोड़ से ज्यादा कमाई भी करा ले जाते है. पिछले 20 सालों से 25 प्रतिशत लीवर के साथ लगातार काम कर रहे हैं.
फ्रांस का हाइएस्ट सिविलियन अवॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं और 77 की उम्र में भी उनका जलवा बरकरार है. कई लोगों के लिए अमिताभ का बॉलीवुड में आगमन एक जादुई घटना है जिसने इस इंडस्ट्री के परिदृश्य को पूरी तरह से बदल दिया है वही कई लोगों के लिए सदी का सबसे बड़ा महानायक. लेकिन इन सबके बीच वो आर्टिस्ट कहीं खो सा जाता है, जिसे सिनेमा से इतना लगाव है कि वो मरते दम तक रुपहले पर्दे का हिस्सा हो जाना चाहता है.