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स्मार्टफोन के जमाने में अमिताभ बच्चन को याद आया लैंडलाइन, शेयर किया अपना अनुभव

अमिताभ बच्चन ने फैंस के लिए नया ब्लॉग लिखा है. ब्लॉग में अमिताभ बच्चन ने स्मार्टफोन और लैंडलाइन के बीच का मजेदार फर्क बता दिया है. उन्होंने उन दिनों को याद किया है जब वो अपने पिता के एक फोन का इंतजार किया करते थे.

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अमिताभ बच्चन
अमिताभ बच्चन

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एक्टर अमिताभ बच्चन सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं. वो अपने विचार से लेकर पुरानी तस्वीर तक, फैंस के साथ हर चीज शेयर करते हैं. वो अपने ब्लॉग पर भी फैंस को अपनी जिंदगी से जुड़े कई पहलू बताया करते हैं. एक बार फिर अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग के जरिए फैंस को एक जरूरी बात बताई है.

अमिताभ बच्चन को याद आए लैंडलाइन के दिन

अमिताभ ने फोन और उसकी अहमियत पर एक ब्लॉग लिखा है. उन्होंने बताया है कि कैसे एक स्मार्टफोन ने इंसान की जिंदगी बदल दी है. उन्होंने ट्वीट में लिखा है- पहिये को सबसे बड़ी खोज बताया जाता है. लेकिन आज के समय में स्मार्टफोन सबसे बड़ी खोज है. अमिताभ बच्चन ने इसी टॉपिक पर अपना ब्लॉग लिखा है.

उनके मुताबिक आज के पीढ़ी उनके वक्त को नहीं समझ सकती जब स्मार्टफोन की जगह लैंडलाइन हुआ करता था. वो कहते हैं- वो बार-बार उंगलियों से नंबर को घुमाना उस समय अलग ही मजा देता था. ये मजा उन लोगों को मिलता था जिनके घर में लैंडलाइन फोन होता था. उस लैंडलाइन को खरीदना भी उस वक्त आसान नहीं होता था. हमने खुद काफी समय तक उसका इस्तेमाल नहीं किया था.

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पिता हरिवंश को किया याद

अमिताभ बच्चन ने ब्लॉग में अपने पिता हरिवंश राय बच्चन को भी याद किया है. उन्होंने बताया है कि उस जमाने में कैसे वो अपने पिता से बात किया करते थे जब वो दूर चले जाते थे. वो लिखते हैं- जब बाबूजी कैम्ब्रिज में PhD कर रहे थे, एक वक्त ऐसा भी आया था जब हम उन से दो साल तक नहीं मिल पाए थे. उन्होंने तब हमे एक चिट्ठी के जरिए बस इतना बताया था कि किस दिन और कितने बजे वो हमे फोन मिलाएंगे. उस समय एक चिट्ठी को पहुंचने में 7 से 10 दिन लग जाया करते थे.

अमिताभ बच्चन ने जिक्र किया कि उस समय उनके पिताजी के वो फोन कॉल काफी मायने रखते थे. उनके मुताबिक वो बेसब्री से पिता के फोन का इंतजार करते थे. वैसे अमिताभ बच्चन ने बड़े ही आसान शब्दों में स्मार्टफोन और लैंडलाइन के बीच अंतर बता दिया है. उनके मुताबिक जब लैंडलाइन बजता था तो पूरा परिवार भागता था ये देखने के लिए किस का फोन है, लेकिन अब स्मॉर्टफोन के जमाने में इंसान के पास आजादी होती है कि उसे फोन उठाना है या नहीं.

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