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जंजीर को लेकर नर्वस नहीं हैं अपूर्व लखिया

मिशन इस्तानबुल के रिलीज होने के चार साल बाद जंजीर लेकर आ रहे हैं अपूर्व लाखिया. फिल्म 1973 की हिट जंजीर का रीमेक है. लेकिन अपूर्व इस बात को लेकर बिलकुल भी नर्वस नहीं हैं कि पिछले कुछ रीमेक का हश्र अच्छा नहीं रहा.

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अपूर्व लाखिया
अपूर्व लाखिया

अपूर्व लाखिया मिशन इस्तानबुल के रिलीज होने के पांच साल बाद जंजीर लेकर आ रहे हैं. फिल्म 1973 की हिट जंजीर का रीमेक है. हालांकि हिंदी फिल्मों के रीमेक का पिछला रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं रहा है, जिसकी ताजा मिसाल हिम्मतवाला के तौर पर ली जा सकती है, लेकिन अपूर्व इस बात को लेकर बिलकुल भी नर्वस नहीं हैं.

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अपूर्व कहते हैं, 'मैने देखा है हर अच्छी फिल्म सफल होती हैं. जो रीमेक अच्छे बने, वे सफल रहे. क्या ‘अग्निपथ’ का रीमेक सफल नहीं था. हमने अमिताभ बच्चन की आयकॉनिक फिल्म ‘जंजीर’ को हिंदी और तेलुगु दो भाषाओं में बनाया है, इसलिए आपको लग रहा होगा कि मुझ पर दबाव होगा. लेकिन ऐसा नहीं है. सबने बेहतरीन काम किया है.'

यह पूछे जाने पर कि यह पहली फिल्म से कैसे अलग है तो अपूर्व बताते हैं, 'जब सुरेश नायर और चेतन गांधी ने इसकी स्क्रिप्ट सुनाई, तो मैं बहुत प्रभावित हुआ. उन्हीं दिनो सोनावणे और पत्रकर जे डी की हत्या हो चुकी थी तो हमने इसमें इन वारदातों को नए अंदाज में जोड़ा और फिल्म को समसामायिक बनाते हुए ‘ऑयल माफिया’ के मुद्दे को इसमें उठाया है. इतना ही नहीं, मैंने इस फिल्म की शूटिंग शुरू करने से पहले काफी रिसर्च भी की.'

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अपूर्व न्यूयॉर्क से फिल्म डायरेक्शन का कोर्स करने और मीरा नायर तथा आंग ली जैसे हॉलीवुड डायरेक्टर्स के साथ असिस्टेंट के रूप में काम करने के बाद मुंबई से आया मेरा दोस्त, एक अजनबी, शूटआउट एट लोखंडवाला, मिशन इस्तानबुल जैसी फिल्में डायरेक्ट कर चुके हैं. अब देखें इस एक्शन फिल्म से वे क्या चमत्कार करते हैं.

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