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आर्म्स एक्ट केसः जोधपुर कोर्ट में सलमान खान ने दी हाजिरी माफी अर्जी

फिल्म स्टार सलमान खान ने आर्म्स एक्ट मामले में जोधपुर की अदालत में हाजिरी माफी की अर्जी दी है. सलमान खान ने कोर्ट में पेश नहीं हो पाने के लिए तबीयत खराब होने का हवाला दिया है.

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सलमान खान की फाइल फोटो
सलमान खान की फाइल फोटो

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फिल्म स्टार सलमान खान ने आर्म्स एक्ट मामले में जोधपुर की अदालत में हाजिरी माफी की अर्जी दी है. सलमान खान ने कोर्ट में पेश नहीं हो पाने के लिए तबीयत खराब होने का हवाला दिया है.

सलमान की बहन अलवीरा अर्जी लेकर कोर्ट पहुंची हैं. आपको बता दें कि कोर्ट ने सलमान खान को 23 अप्रैल को पेश होने का निर्देश दिया था . पर अलवीरा का कहना है कि सलमान स्वस्थ नहीं हैं इस वजह से नहीं आ सके. मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अनुपमा बिजलानी ने गुरुवार को सलमान की उस याचिका पर अनुमति दे दी, जिसमें उन्होंने अदालती कार्यवाही में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की छूट मांगी थी. दंडाधिकारी ने सलमान के वकील को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि वह अगली सुनवाई (29 अप्रैल) के दौरान मौजूद रहें.

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गौरतलब है कि सलमान पर आर्म्स एक्ट के तहत गैर लाइसेंसी हथियारों से 1998 में दो काले हिरणों के शिकार का आरोप है. अगर आरोप साबित होता है, तो सलमान को 7 साल तक की सजा हो सकती है.

16 साल पहले 15 अक्टूबर, 1998 को सलमान खान के खिलाफ जोधपुर में फॉरेस्ट विभाग ने आर्म्स एक्ट के तहत दो काले हिरणों के शिकार का मामला दर्ज किया था.

क्या है पूरा मामला?
1998 में एक फिल्म की शूटिंग के लिए सलमान जोधपुर में थे और उसी दौरान 1 और 2 अक्टूबर के बीच की रात उनपर जोधपुर के पास कांकनी गांव में 2 काले हिरण के शिकार का आरोप लगा. जांच के दौरान पता चला कि शिकार के लिए जिस S एंड W 32 बोर रिवॉल्वर और 22 बोर राइफल का इस्तेमाल किया गया था, उनका लाइसेंस खत्म हो चुका है. यानी सलमान ने गैरकानूनी हथियारों से 2 काले हिरणों का शिकार किया. वन विभाग की शिकायत के बाद लूनी पुलिस ने आर्म्स एक्ट के तहत सलमान खान के खिलाफ गैर कानूनी हथियार रखने और इस्तेमाल करने का केस दर्ज किया.

2 फरवरी 2006 को इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने के बाद लोअर कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई, लेकिन अगले 7 सालों तक केस कोर्ट में रुका रहा और आखिरकार मई 2014 में फिर से सुनवाई शुरू हुई, जिसमें आखिरी बहस 5 फरवरी को खत्म हुई. इस मामले पर कोर्ट 25 फरवरी को फैसला सुनाने वाली थी लेकिन सरकारी वकील की तरफ से पेश चार लंबित याचिकाओं के सामने आने के बाद फैसला 3 मार्च तक के लिए टाल दिया गया था. सरकारी वकील ने चार अर्जियों में 24 गवाहों को कोर्ट बुलाने की इजाजत मांगी थी.

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