90 के दशक में 'बॉम्बे' जैसी एक से बढ़कर एक फिल्में करने के बाद लगभग 15 साल का ब्रेक लेने के बाद अभिनेता अरविंद स्वामी एक बार फिल्मों में दिखाई देंगे. उनकी आगामी फिल्म 'डीयर डैड' मई के महीने में रिलीज होगी. हमें अरविन्द से उनकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बारे में बहुत सारी बातचीत की है, पेश हैं उसी के मुख्य अंश.
'डीयर डैड' से जुड़ना कैसे हुआ?
मेकर्स ने मेरी कांटेक्ट डिटेल्स निकलवाई, फिर उन लोगों ने स्क्रिप्ट ई मेल की और जब मैंने उसे पढ़ा तो थोड़ा अचंभित हुआ. आप फिल्म देखेंगे तो उसे समझेंगे, फिर
मैं कन्फर्म नहीं था कि इस फिल्म को कर पाऊंगा या नहीं, क्योंकि मैं बाकी चीजों में व्यस्त रहता हूं. फिर मैंने सोचा की अगर मैं एक एक्टर हूं तो मुझे किसी तरह इस
रोल के लिए झिझकना नहीं चाहिए. फिर मैंने इस फिल्म को हां कह दिया. तो इस फिल्म को करने का ये भी कारण था कि यह रोल मेरे लिए कम्फर्टेबल नहीं था
लेकिन मैंने चैलेंज स्वीकार किया.
15 साल बाद आप फिल्मों में आ रहे हैं , इतना बड़ा ब्रेक क्यों लिया?
जी मैंने 15 साल फिल्मों में तो काम नहीं किया लेकिन बाकी कामों में व्यस्त था. जब मैंने 'थलपति' फिल्म की थी तो मैं 20 साल का था, उसके बाद 'बॉम्बे' और
'रोजा' जैसी फिल्में भी आई, बहुत जल्दी शुरू कर दिया था, मुझे पता नहीं था कि एक्टिंग के बाद लोग इतना अटेंशन देंगे. फिर मुझे लगा की अगर मैं सिर्फ एक्टिंग
करता रहूंगा तो बाकी काम नहीं कर पाऊंगा.
बाकी किस तरह के काम?
जैसे मेरे दिमाग में टेक्नोलॉजी से जुड़े कई आइडिया थे, वो सब मैं करना चाहता था, तो मैंने फिल्मों से ब्रेक लिया. मेरे बच्चे भी बड़े हो रहे थे, उनके साथ भी वक्त
बिताना था. हमारा बिजनेस देश के बाहर भी हुआ करता था.
कैसा काम किया करते हैं?
हम लोग 'वर्क फ्लो' एप्लीकेशन बनाते हैं.
थोड़ा परिवार के बारे में बताएं?
मेरे दो बच्चे हैं, बेटी है अधीरा और बेटे का नाम है रुद्रा.
सुना है आपका एक्सीडेंट भी हो गया था?
हां, लगभग सात साल पहले मेरा एक एक्सीडेंट हो गया था जिसकी वजह से मेरी स्पाइन में इंजरी हो गई थी और मेरा पैर भी पैरालाइज्ड हो गया था, इन सबसे उबरने
में काफी समय लगा. फिर मणिरत्नम साहब ने मुझसे फिल्म करने के लिए पूछा तो मैंने 'कदल' फिल्म की. और पिछले साल मैंने 'तनी उरवन' फिल्म किया.
जब आपने एक वक्त पर फिल्में छोड़ी, तो आपको लगा नहीं की आप अपने फैंस का दिल तोड़ने जा रहे हैं?
हां, मैंने सोचा था, लेकिन एक वक्त के बाद मैं स्टारडम को हैंडल नहीं कर पा रहा था, काम करने में पूरा मन नहीं लगा पा रहा था. अब मैं ब्रेक के बाद पूरे प्रोसेस को
एन्जॉय कर रहा हूं.
पिछले कुछ सालों में आपने बॉलीवुड के दोस्तों से बातचीत की?
मैंने किसी के टच में नहीं था. कुछ साल पहले मेरी मनीषा कोइराला से मुलाकात हुई और अनुपम खेर साहब भी जब साउथ आते हैं तो उनसे मिलना होता है. बाकी
ज्यादा किसी से मिल नहीं पाता.
अच्छी फिल्में करने के बाद इतना बड़ा ब्रेक लेना सही था?
देखिये मैं अपने घर में अकेला लड़का था और भी जिम्मेदारियां थी. मैं खुद के साथ काफी वक्त बिताता हूं. मेरे पिता एक बिजनेसमैन थे, दसवीं से पहले मैं एक डॉक्टर
बनना चाहता था, लेकिन मेरे पिता चाहते थे की मैं बिजनेस में आऊं. उन्होंने मुझे कॉमर्स के सब्जेक्ट दिलाए. तो ऐसा होता है की आप उच्च करना चाहते हैं लेकिन कुछ
और हो जाता है. मैं सिर्फ पॉजीटिव सोचता हूं.
कोई सपना है ?
नहीं, मैं बस रिलैक्स रहना चाहता हूं. फिल्में भी अपने हिसाब से करना चाहता हूं. सुकून होना बहुत जरूरी है. मैं ऑनलाइन गेम्स खेलता हूं.
कौन सा गेम खेलते हैं?
मैं 'गेम ऑफ वार्स' खेलता हूं. साथ ही कुछ स्क्रिप्ट्स भी लिख रहा हूं जो बाद में डायरेक्ट भी करना चाहूंगा .
कुछ बॉलीवुड की फिल्में आपने देखी?
मैं ज्यादा फिल्में नहीं देखता, लेकिन लास्ट मैंने 'लंचबॉक्स' और 'पीकू' फिल्में देखी हैं. आजकल दर्शक भी बदल गए हैं. काफी रीयलिस्टिक सिनेमा बन रहा है.
किसी हिंदी फिल्म डायरेक्टर्स के साथ काम करना चाहते हैं?
काफी यंग डायरेक्टर्स हैं, नाम नहीं याद आ रहा, लेकिन उनके साथ काम जरूर करना चाहूंगा.