बलराज साहनी फिल्म इंडस्ट्री के पहले नेचुरल एक्टर माने जाते हैं. लोग उन्हें एक महान एक्टर कह कर संबोधित करते हैं. मगर बलराज साहनी वो नाम है जिसे कभी भी सिर्फ एक एक्टर तक सीमित नहीं रखा जा सकता है. बलराज साहनी एक राइटर थे, कॉम्यूनिस्ट थे और जर्नलिस्ट भी थी. इसके अलावा बहुत ही कम लोगों को ये पता होगा कि वे एक शानदार स्विमर थे. झील हो, नदी हो या फिर समंदर हो उन्हें गहराई की परवाह नहीं थी उन्हें बस तैरने से मतलब था.
उनके बेटे परीक्षित साहनी ने एक इंटरव्यू में इस बारे में बताया था कि पिता बलराज साहनी बर्फ के पानी में, लेह में भी पूरे कपड़े उतार कर तैरने लग जाया करते थे. उन्हें स्विमिंग से इतना प्यार था कि उनका बस चलता तो सारा दिन वे पानी के अंदर ही बिता देते थे. मगर परीक्षित को पानी से बहुत डर लगता था. परीक्षित ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि कैसे एक बार उनके पिता ने उन्हें समंदर में तैरने के लिए कहा था. परीक्षित मरने से बाल-बाल बचे थे मगर इसी के साथ उन्हें जीवन का सबसे बड़ा सबक मिल गया था.
परीक्षित ने कहा कि मैं 10 साल का था और पानी से बहुत डरता था. मुंबई के समंदर में ऐसा देखा गया है कि मानसून में लहरें काफी तेज हो जाती हैं. पापा बलराज साहनी तैरने के बहुत शौकीन थे और वे हर रोज नियम से तैरने के लिए जाया करते थे. मॉनसून के समय समंदर में तेज टाइड आया करती थीं. ऐसे में मैं पापा से कहता था कि पापा प्लीज लहरों का बहाव बड़ी तेज है आप मत जाइए ऐसे में. मगर पापा कहते थे कि नहीं मुझे इतने टफ हालातों में ही तैरने में सबसे ज्यादा मजा आता था.
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पापा ने मुझसे भी कह दिया कि तू भी चल तैरने आज. मैंने तो हाथ जोड़ लिया कि मैं नहीं जा सकता. मगर इसके बाद जब पापा ने मुझसे कहा कि डरता है क्या. तब मुझे वो बात चैलेंज जैसी लगी और मैंने तैरने के लिए हामी भर दी. हम लोग पैर के नीचे भर के पानी में तैर रहे थे कि अचानक से लहरों का बहाव इतने तेज था कि हम 10-15 सेकेंड में ही समंदर में आधा मील अंदर पहुंच गए. मुझे लगने लगा मैं डूब रहा हूं मैं हाथ-पैर मारने लगा.
पापा बोले ऐसे पैनिक होगे तो मर जाओगे
पापा ने कहा कि ऐसे हाथ पैर मारोगे तो मर जाओगे. ये समंदर तुम्हारी मां है. ये पानी खारा है. तुम आराम से फ्लोट करो कुछ नहीं होगा. मैं फ्लोट करने की कोशिश करने लगा. उधर पापा मस्त तैरते हुए रिवॉल्यूशनरी गाना गा रहे थे इधर मुझे लग रहा था कि आज दोनों लोग जाएंगे. जब किनारे से लोगों ने देखा तो उन्हें लगा कि दो लोग डूब रहे हैं. एक अंग्रेज अपनी नाव लेकर आया और मुझसे कहा कि नाव पकड़ लो. मैंने जैसे ही नाव पकड़ी पापा गुस्सा गए. उन्होंने मुझे नाव छोड़ने को तो कहा ही साथ ही वो अंग्रेज जो हमारी मदद के लिए आया था उसे भी वापस चले जाने को कहा.
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मेरी हालत खराब हो गई. मैंने पापा की तरफ देखा तो वे फिर से गाने गाने लग गए. मेरे पास भी कोई विकप्ल नहीं बचा था. एक घंटे तक समंदर में एक मील अंदर हम लोग फ्लोट करते रहे फिर मैंने महसूस किया कि टाइड कि दिशा बदल गई है. अब टाइड खुद ब खुद हमें किनारे की तरफ लेकर जा रही है. पापा ने मेरी तरफ देखा और कहा कि अब तू स्विम कर. अब तू किनारे तक जल्दी पहुंच जाएगा. 20 मिनट में हम किनारे तक पहुंच गए.
किनारे पर जब पहुंचे तो मिला ये सबक
मैं तो किनारे पर पहुंच कर बेहोश सा हो गया. थोड़ी देर बाद जब मुझे होश आया तो मैंने देखा कि पापा मेरी तरफ देख रहे थे. उन्होंने मुझे उठाया और मेरे कंधे पर हाथ रख कर कहा कि बेटे तुम्हारे जीवन में ऐसा बहुत सा वक्त आएगा जब ऐसा लगेगा तुझे कि टाइड तुझे लेकर गई. मगर मेरी बात हमेशा याद रखना कि टाइड ऑलवेज टर्न्स. इसलिए कभी हार नहीं माननी है और पैनिक नहीं करना है. पैनिक करेगा किसी सिचुएशन में तो डूब जाएगा.