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मिलेनियम स्टार से भी काफी आगे हैं 'बिग बी'

संघर्ष के दिनों में कई निर्माता निर्देशकों ने अमिताभ बच्चन को उनकी खामियां गिनाकर फिल्मों में लेने से मना कर दिया था. इतना ही नहीं जब वह आकाशवाणी में स्वर परीक्षा के लिए गए तो वहां उनकी आवाज को खारिज कर दिया गया, लेकिन उन्होंने अपनी इन सभी कथित खामियों को गुणों में बदलकर यह साबित कर दिया कि उन्हें नकारने वाले ही गलत थे.

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संघर्ष के दिनों में कई निर्माता निर्देशकों ने अमिताभ बच्चन को उनकी खामियां गिनाकर फिल्मों में लेने से मना कर दिया था. इतना ही नहीं जब वह आकाशवाणी में स्वर परीक्षा के लिए गए तो वहां उनकी आवाज को खारिज कर दिया गया, लेकिन उन्होंने अपनी इन सभी कथित खामियों को गुणों में बदलकर यह साबित कर दिया कि उन्हें नकारने वाले ही गलत थे.

आज भी हैं लोकप्रिय
फिल्म समीक्षकों की नजर में बिग बी की सफलता ने उन्हें मिलेनियम स्टार से भी काफी आगे पहुंचा दिया है. फिल्म समीक्षक राम किशोर पारचा का कहना है कि अमिताभ बच्चन किसी एक पीढ़ी के कलाकार नहीं, बल्कि हर पीढ़ी के कलाकार हैं. वह जितने लोकप्रिय 1970 और 80 के दशक में थे उतने ही लोकप्रिय आज की पीढ़ी में भी हैं.

भारतीय सिनेमा को दीं कई शैलियां
उन्होंने कहा कि बिग बी ने भारतीय सिनेमा को कई शैलियां दी हैं. 1975 के बाद जहां उन्होंने एंग्री यंग मैन की शैली को जन्म दिया वहीं 80 में उन्होंने कॉमेडी की एक नयी शैली स्थापित की. पारचा का कहना है कि 1970 के दशक में फिल्मों के चरित्रों को बेहतरीन ढंग से समझने में अमिताभ बच्चन से बेहतर कोई दूसरा कलाकर नहीं था. अन्य कलाकार किसी एक खास शैली से बंधे थे, लेकिन अमिताभ बच्चन ने हर तरह की भूमिकाओं को बखूबी निभाकर दिखाया.

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