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बॉडीगार्ड: सलमान के फुसफुसे करतब

बॉडीगार्ड का लवली सिंह (सलमान) दबंग के चुलबुल का भी बाप निकला. यूसैन बोल्ट-सा फर्राट, माइक टायसन-से मुक्के, प्रेतों-सी सर्वत्र पहुंच, अमेरिकी सैनिकों-सा मारक और हां, मालिक सरताज (राज बब्बर) के प्रति पन्ना धाय-सा समर्पण.

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बॉडीगार्ड
बॉडीगार्ड

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निर्देशकः सिद्दीक
कलाकारः सलमान खान, करीना कपूर
बॉडीगार्ड का लवली सिंह (सलमान) दबंग के चुलबुल का भी बाप निकला. यूसैन बोल्ट-सा फर्राट, माइक टायसन-से मुक्के, प्रेतों-सी सर्वत्र पहुंच, अमेरिकी सैनिकों-सा मारक और हां, मालिक सरताज (राज बब्बर) के प्रति पन्ना धाय-सा समर्पण.

उनकी बेटी दिव्या की हिफाजत करते हुए इन तमाम खूबियों के साथ लवली का कोमल पक्ष भी उठता और कहानी को आकार देता उभरता है. कोरस में उसके नाच पर मोहित हो कैटरीना तक साथ देने आ पहुंचती हैं. आंखों से टिचक्यांव-टिचक्यांव और कमर से मादक कमान साधती हुई.

अपने इस बॉडीगार्ड से पीछा छुड़ाने के लिए छाया बनकर दिव्या मोबाइल के जरिए उसे छेड़ने लगती है. उसके बाद! दो नदियों में उफान. पर यह फिल्म सिनेमाई दिलचस्पी के लिहाज से चवन्नी के महत्व की है.

कोई नयापन नहीं. दृश्य, सहयोगी कलाकार और जुमले लगभग उबाऊ. एक अतिकाय चरित्र सुनामी (रजत रवेल) लवली का हमदर्द पर दर्शकों का सरदर्द बन जाता है.

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सलमान के हीरोइक्स के अलावा फिल्म का उनका पहला संवाद याद रह जाता हैः ''मुझ पर इतना एहसान करना...कि मुझ पर कोई एहसान न करना.'' ऐसा कम ही होता है कि सलमान और करीना जैसे पहली जमात के सितारों वाली फिल्म दो घंटे की लंबाई में ही बोझ लगने लगे. पुखराज और मोती पहने करीना उत्तरार्ध में खासकर जज्‍बाती सीन्स में अपने प्रदर्शन को उफान पर लाती हैं. फिल्म का एस्थेटिक्स भी खासा निराश करता है.

रात के अंधेरे में नाच के काली-नीली शर्ट और धूसर शाम में पीली साड़ी! दृश्य उभरते ही नहीं. हां, उत्तरार्ध में बनावटी ड्रामे में ही सही, कहानी में थोड़ा घनापनऔर रोचकता बनती है. क्लाइमैक्स हालांकि इतना हास्यास्पद है कि भावपूर्ण संवादों पर भी दर्शक ठहाके लगाकर हंसते हैं. बॉडीगार्ड अपनी फिल्म की बॉडी की ही रक्षा नहीं कर पाता.

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