पिछले
लगभग
दो
दशक
से
टेलीविजन
पर
सक्रिय
महेश
ठाकुर
इन
दिनों
घर
आ
जा
परदेसी
सीरियल
में
आधुनिक
और
पारंपरिकता
के
बीच
फंसे
राघव
का
किरदार
निभा
रहे
हैं.
इंडिया
टुडे
के
कॉपी
एडिटर
नरेंद्र
सैनी
से
हुई
उनकी
बातचीत
के
प्रमुख
अंशः
घर आ जा परदेसी में आपका कैरेक्टर?
मैं राघव का कैरेक्टर निभा रहा हूं जो बनारस में पला-बढ़ा हूं और लंदन में रहता है. इसमें आधुनिक और परंपरागत का टकराव है.
यह सीरियल बाकी सीरियल्स से कैसे अलग है?
कहानी अलग है. ट्रीटमेंट अलग है और रूटीन स्टोरी से हटकर है. दर्शकों को अब बदलना होगा. उन्हें एक ही तरह के सीरियल्स से हटकर नई तरह की कहानियों को भी देखना चाहिए.
इन दिनों सीरियल्स में विदेश की झलक बढ़ती जा रही है, क्या कहना है?
इस तरह का दौर आता रहता है, जो अभी टीवी सीरियल्स में हो रहा है. हमारे ऑडियंस देश में ही नहीं हैं, विदेशों में भी हैं, उन्हें भी ध्यान में रखकर कई बार कंटेंट तैयार करना होता है.
हाल-फिलहाल सीरियल्स में बोल्डनेस भी आई है?
यह सब तो हमारे टेलीविजन पर अठारह साल पहले हो चुका है. ज़ी टीवी के शुरुआती सीरियल्स में किसिंग सीन थे. अब विदेशी चैनल हमारी जद में हैं, और ऐसे में बोल्डनेस बढ़ना स्वाभाविक है.
आप फिल्में भी कर रहे हैं?
आशिकी-2 में मैं एक म्यूजिक डायरेक्टर बना हूं. सत्या-2 में बिल्डर का रोल है और सुनील दर्शन की कर ले प्यार कर ले भी कर रहा हूं.
टीवी करते हुए फिल्मों के लिए समय कैसे निकाल लेते हैं?
किसी फिल्म के लिए 18 दिन काफी रहते हैं और टेलीविजन के लिए महीने में 10 दिन काफी होते हैं इसलिए समय निकल जाता है, ज्यादा दिक्कत नहीं होती.