24 जून को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म बुलबुल दर्शकों को काफी पंसद आ रही है और इस फिल्म में बुलबुल का किरदार निभाया है उत्तराखंड की तृप्ति डिमरी ने. तृप्ति ने साल 2017 में फिल्म पोस्टर बॉयज से अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद साल 2018 में उन्होंने फिल्म लैला मजनू में लैला का किरदार निभाया और अभी कुछ समय पहले रिलीज हुई उनकी फिल्म बुलबुल में दर्शकों को उनकी एक्टिंग काफी पसंद आ रही है.
आजतक के साथ विशेष बातचीत में तृप्ति डिमरी ने फिल्म बुलबुल से लेकर अपनी बाकी फिल्मों पर भी विस्तार से बात की और हमें अपनी जिंदगी से जुड़ी कई दिलचस्प बातें बताई.
उनसे पूछा गया कि फिल्म लैला मजनू में आपने कश्मीरी लड़की का किरदार निभाया था और फिल्म बुलबुल में आप बंगाली किरदार में नज़र आईं. जबकि आप खुद रहने वाली उत्तराखंड की हैं तो एक कलाकार के तौर पर ऐसे अलग-अलग किरदार निभाना कितना मुश्किल होता है?
तृप्ति डिमरी– थोड़ा मुश्किल तो होता है, लेकिन अच्छी बात ये रही है कि फिल्म लैला मजनू और फिल्म बुलबुल दोनों की तैयारी के लिए मुझे काफी वक्त मिल गया था, क्योंकि मैं खुद पहाड़ी हूं तो मेरे लिए लैला का किरदार समझना थोड़ा आसान था. फिल्म बुलबुल को लेकर मुझे कभी भी डायरेक्टर अन्विता दत्त ने बंगाली बोलने के लिए फोर्स नहीं किया था बस उन्होंने मुझे मेरा कैरेक्टर समझा दिया था... उन्होने मुझे कहा कि आप बस बुलबुल बन जाओ बाकी चीजें अपने आप हो जांएगी. तो बुलबुल का कैरेक्टर मेरे लिए मुश्किल तो था लेकिन मुझे मजा आया उसे करने में.
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तृप्ति से पूछा गया कि फिल्म बुलबुल को देखने के बाद दर्शकों के कैसे रिएक्शन मिल रहे हैं आपको?
तृप्ति डिमरी- काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है लोगों का. दर्शकों को फिल्म काफी पसंद आ रही है. सबसे अच्छी बात ये है कि लोग फिल्म के सीन्स को लेकर बातें कर रहे हैं. लोग सिर्फ फिल्म की कहानी और एक्टिंग की तारीफ नहीं कर रहे हैं बल्कि वे फिल्म मेकिंग से जुड़े हर डिपार्टमेंट की तारीफ कर रहे हैं. बुलबुल फिल्म को देखने के बाद कई बंगाली लड़कियों ने कहा कि मैंने बंगाली किरदार अच्छे से निभाया है तो मेरे लिए वो भी खुशी की बात है. अब मुझे लग रहा है कि चलो मैंने अपना टेस्ट पास कर लिया है.
इंटरव्यू देखें यहां-
Tripti Dimri REACTS On The SUCCESS Of Her Web Series Bulbbul! Tripti Dimri Amith Tyagi #Bulbbul #netflix
Posted by Saas Bahu Aur Betiyaan on Saturday, 4 July 2020
तृप्ति से पूछा गया कि फिल्म बुलबुल में जो आपका कैरेक्टर है उसमें दर्शकों को काफी सारे शेड्स देखने को मिले. तो इतने सारे शेड्स पर्दे पर निभाने का अनुभव कैसा रहा?
तृप्ति डिमरी – मेरी डायरेक्टर ने मुझे पहले दिन ही बोल दिया था कि फिल्म में आपके कैरेक्टर का डबल रोल जैसा काम होगा. जैसे आपने देखा होगा कि जब बुलबुल 20 साल की थी तो थोड़ा झिझकती है, थोड़ी संकोची टाइप की होती है लेकिन जब आपने बुलबुल के 25 साल वाला रूप देखा होगा तो आपने पाया होगा कि बुलबुल तब काफी बोल्ड हो जाती है. तो मेरे लिए 20 साल वाली बुलबुल को समझना आसान था लेकिन 25 साल वाली बुलबुल के कैरेक्टर को पकड़ना मेरे लिए भी मुश्किल था. मेरे कैरेक्टर को सशक्त दिखाने में अन्विता का भी अहम योगदान है.
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एक्टर अविनाश तिवारी के साथ तो आप पहले काम कर चुकी हैं. लेकिन बाकी कलाकारों के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा ?
तृप्ति डिमरी – फिल्म बुलबुल में कई कलाकार ऐसे हैं जो मुझसे काफी ज्यादा अनुभवी हैं तो मुझे उनसे काफी कुछ सीखने को मिला. चाहे वो राहुल बोस हों, परमब्रत हों या पाउली हों, राहुल बोस काफी सीनियर एक्टर हैं तो पहले मुझे उनके साथ सीन्स करने में थोड़ा संकोच और डर हो रहा था. लेकिन उन्होंने मुझे कम्फर्टेबल फील करवाया जिसके बाद हम दोनों के बीच सीन्स को लेकर अच्छा टीम वर्क हो पाया, तो मुझे एक्टिंग करने में काफी मजा आया और मैंने अपनी सीनियर एक्टर्स से काफी कुछ नया सीखा.
क्या इस बात से सहमत हैं कि फिल्म बुलबुल की डायरेक्टर भी फीमेल हैं और प्रोड्यूसर भी एक फीमेल हैं तो ऐसे में फीमेल कैरेक्टर में जो दर्द आना चाहिए या जो ताकत दिखनी चाहिए कैरेक्टर के अंदर, उसे थोड़ा और ज्यादा सशक्त माध्यम से दिखाने में मदद होती है ?View this post on Instagram
तृप्ति डिमरी – एक बात जो मुझे पहले चुभी थी, वो ये कि जब मैंने लोगों को बताया कि मुझे एक फिल्म बुलबुल में काम करने का मौका मिला है तो कई सारे लोगों का पहला सवाल यही था कि इस फिल्म में हीरो कौन है, मतलब बुलबुल फिल्म का नाम है तो मैं हीरोइन हूं फिल्म की, हीरो हो ना हो उससे क्या फर्क पड़ता है. इसलिए मुझे लगता है कि अभी भी काफी चीजें बदलना बहुत जरूरी है. सबसे पहले तो ये कि हीरो हीरोइन जैसे शब्द निकाल देने चाहिए, क्योंकि हम कोई हीरो या हीरोइन नहीं हैं. हम सिर्फ कलाकार है जो एक्टिंग कर रहे हैं. मुझे लगता है कि हीरो वो लोग हैं जो हमारे लिए बॉर्डर पर लड़ रहे हैं, जो इस कोरोना काल में हॉस्पिटल के अंदर लोगों की मदद कर रहे हैं तो मुझे लगता है कि एक्टर्स को सिर्फ एक एक्टर के तौर पर ही देखना चाहिए और एक फिल्म को एक स्टोरी की नज़रिए से देखा जाना चाहिए बजाए हीरो और हीरोइन के नज़रिए से , जिस दिन ऐसा हो जाएगा उस दिन काफी चीजें अपने आप बदल जाएंगी.