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चंद्र प्रकाश द्विवेदी से जानें 'मोहल्ला अस्सी' के ट्रेलर की सच्चाई

चाणक्य के जरिये घर-घर में पहचाना नाम बने चंद्रप्रकाश द्विवेदी बॉलीवुड में बतौर डायरेक्टर एक बड़ा नाम हैं. उनकी फिल्म 'पिंजर' रिलीज हुई तो उसने हर ओर दर्शकों का दिल जीता.

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फिल्म 'मोहल्ला अस्सी'
फिल्म 'मोहल्ला अस्सी'

चाणक्य के जरिये घर-घर में पहचाना नाम बने चंद्रप्रकाश द्विवेदी बॉलीवुड में बतौर डायरेक्टर एक बड़ा नाम हैं. उनकी पिंजर रिलीज हुई तो उसने हर ओर दर्शकों का दिल जीता.

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अब उनकी फिल्म 'मोहल्ला अस्सी' का ट्रेलर किसी ने रिलीज कर दिया है और इसके लीक होने की बात कही जा रही है. इस तरह के प्रचार के फंडों के धुर विरोधी फिल्म के डायरेक्टर चंद्र प्रकाश द्विवेदी की इस मामले पर राय:

'मोहल्ला अस्सी' का जिस तरह से गलत प्रचार  किया जा रहा है वह फिल्म के पूरे  होने, उसके रिलीज होने की कि किसी भी संभावना को समाप्त करने का प्रयास है. जो कुछ रिलीज हुई  फुटेज में दिखाया जा रहा है वह दर्शकों को भ्रमित करने, उत्तेजना और विरोध का वातावरण तैयार करने का एक  प्रयास है. यह  फुटेज मैंने भी आम दर्शकों की तरह एक सम्बन्धी के द्वारा भेजे जाने पर देखा. फिल्म 'मोहल्ला अस्सी' भारत के प्रसिद्ध लेखक और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित काशीनाथ सिंह के बहु चर्चित उपन्यास 'काशी का अस्सी' के 'पांडे कौन कुमति तोहें लागी पर आधारित है'.

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संस्कृत, संस्कृति और संस्कृति की सुरक्षा है 'मोहल्ला अस्सी'
इस फिल्म की कहानी  का मुख्य चरित्र धर्मनाथ पांडे एक संस्कृत शिक्षक है जो वेदांत पढ़ाता है और सुबह घाट पर बैठकर तीर्थ यात्रियों को गंगा जल देकर संकल्प करवाता है. धर्मनाथ पांडे बनारस में हो रहे सांस्कृतिक प्रदूषण का विरोध कर रहा है. संस्कृत, संस्कृति और संस्कृति की सुरक्षा उसकी चिंताएं है. देश में हो रहे बड़े बदलाव और पांडे के व्यक्तिगत जीवन में आत्म संघर्ष 'मोहल्ला अस्सी' का एक सूत्र है. साथ ही साथ देश में बड़े आंदोलन हो रहे हैं. देश राम जन्म भूमि के आंदोलन के लिए तैयार हो रहा है. राष्ट्रवादी पार्टियों और बलों का उदय हो रहा है और ऐसी पृष्ठभूमि में धर्मनाथ पांडे, अस्सी की पप्पू की दुकान और अस्सी के कुछ रोचक किरदारों का किस्सा है 'मोहल्ला अस्सी'. संस्कृति पर गर्व करने वाले, उसका संरक्षण करने के लिए जो प्रयास कर रहे हैं वे असफल हो रहे हैं और धूर्त सफल हो रहे हैं.

भगवान श‍िव के रूप में है बहुरूपिया
इस फिल्म की कहानी  सांस्कृतिक ह्रास और उससे जुड़े सवालों के इर्द गिर्द घूमती है. पांडे के अलावा  इस फिल्म में एक किरदार  एक टूरिस्ट गाइड है जो धूर्त है, एक बेरोजगार और असफल नाई है. फिल्म का एक किरदार  एक बहुरुपिया भी है. यह बहुरुपिया शिवजी का रूप बना कर पर्यटकों के साथ फोटो खिंचवाता है और अपनी रोजी रोटी कमाता है. घाट पर बैठने वाले धर्मनाथ पांडे से उसकी इसी बात के लिए बार-बार तकरार भी होती है. धर्मनाथ पांडे और इस बहुरूपिये में कैसे मेल जोल होता है, उसके कई रोचक सूत्र 'मोहल्ला अस्सी' की कहानी में देखने को मिलेंगे. जिसे शिवजी के रूप में देखकर लोग प्रतिक्रिया कर रहे हैं वह महादेव का रूप बनाकर घाट-घाट रोजी रोटी के लिए घूम रहा बहुरुपिया है. फिल्म एक सवाल खड़ा करती है कि जब बनारस और देश में शिव और शिवत्व नहीं रहेगा तो क्या भारत रहेगा? हमारे घरों और जीवन से भगवान शिव के हो रहे विस्थापन और उसे बचाए रखने के जद्दोजहद की कहानी है

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'मोहल्ला अस्सी' संस्कृति को बचाने का प्रचार है
'मोहल्ला अस्सी', जिसे कुछ लोग गलत तरीके से इस बात का  प्रचार कर रहे हैं  'अस्सी' की आत्मा का अपहरण हो रहा है' ( फिल्म से एक डायलॉग ) क्या कोई आगे आयेगा? संस्कृत और संस्कृति बचेगी तो देश बचेगा!  यह कहानी है 'मोहल्ला अस्सी' की. भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी बनारस की.

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