FTII छात्र संघ और प्रशासन के बीच एक बार फिर से विवाद सामने आया है. छात्र संघ ने हाल ही में एक फिल्म 'होरा' की स्क्रीनिंग रखी थी. स्क्रीनिंग हॉल के बाहर पुलिस व्यवस्था की गई थी. छात्रों ने स्क्रीनिंग के दौरान थियेटर के बाहर स्पेशल ब्रांच के पुलिस ऑफिसर्स की मौजूदगी पर आपत्ति जताई. बता दें कि "होरा" को हरिशंकर नचिमुथु ने बनाया है. यह प्रोजेक्ट फिल्म है. इसकी कहानी, विवादित "कबीर कला मंच" के बारे में है.
कौन हैं हरिशंकर नचिमुथु
हरिशंकर नचिमुथु FTII छात्र विंग के अध्यक्ष रहे हैं. उन्होंने 2015 में गजेंद्र चौहान को FTII चेयरमैन बनाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. इस मुहिम में उन्होंने संस्थान के छात्रों का नेतृत्व किया था.
क्या है कबीर कला मंच?
कबीर कला मंच एक सांस्कृतिक संस्था है. जिसका निर्माण पुणे में हुआ था. 2002 गुजरात दंगों के बाद कई सारे छात्रों ने मिलकर इसे बनाया. इस संस्था का उद्देश्य संगीत-कविता के जरिए एंटी-कास्ट और प्रो-डेमोक्रेसी मैसेज को बढ़ावा देना है. इस संस्था पर कई तरह के आरोप लगे हैं.
क्या है छात्रों का नया आरोप?
FTII स्टूडेंट्स ने मीडिया को भेजे गए लेटर में आरोप लगाया कि इंस्टिट्यूट ने इस फिल्म की पहले भी स्क्रीनिंग रोकी है. पुलिस को संस्थान के अंदर और मेन थियेटर में आने दिया गया. छात्रों ने दावा किया कि उन्हें इंस्टिट्यूट की तरफ से मैसेज मिला था कि उनकी फिल्म को पुलिस ऑफिसर देखेंगे. उन्हें डर है आने वाले समय में संस्थान उनकी फिल्मों की स्क्रिप्ट संग छेड़छाड़ कर सकता है.
FTII ने क्या कहा?
थियेटर के अंदर और कैंपस में पुलिस के होने पर FTII डायरेक्टर ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा, ''छात्रों की फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान पुलिस की मौजूदगी की मुझे जानकारी नहीं है. लेकिन छात्रों और संस्थान की सुरक्षा के मद्देनजर राज्य और केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों की एंट्री नहीं रोकी जाएगी.''
इससे पहले स्क्रीनिंग रोके जाने के आरोप पर FTII एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा कि ''स्क्रीनिंग पर इसलिए रोक लगाई गई थी, क्योंकि फिल्म देखने के लिए बाहर के लोगों को इंवाइट किया गया था.'' लेकिन इस दावे को खारिज करते हुए स्टूडेंट्स का कहना है कि उन्होंने कभी आउटसाइडर्स को इंवाइट नहीं किया.