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दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए चुने गए गुलजार

‘तुझसे नाराज नहीं’ और ‘तेरे बिना जिंदगी से’ जैसे अनगिनत यादगार गीत लिखने वाले और ‘आंधी’ तथा ‘मौसम’ जैसी फिल्मों का निर्देशन करने वाले गुलजार साहब का नाम आज प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए चुना गया, जो भारत में फिल्मी हस्तियों को दिया जाने वाला सर्वोच्‍च सम्मान है.

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गुलजार
गुलजार

‘तुझसे नाराज नहीं’ और ‘तेरे बिना जिंदगी से’ जैसे अनगिनत यादगार गीत लिखने वाले और ‘आंधी’ तथा ‘मौसम’ जैसी फिल्मों का निर्देशन करने वाले गुलजार साहब का नाम आज प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए चुना गया, जो भारत में फिल्मी हस्तियों को दिया जाने वाला सर्वोच्‍च सम्मान है.

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‘मेरे अपने’, ‘कोशिश’, ‘खुशबू’, ‘अंगूर’, ‘लिबास’ और ‘माचिस’ जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके 79 वर्षीय गुलजार यह सम्मान पाने वाले 45वीं शख्सियत होंगे. सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा यहां जारी बयान के अनुसार प्रतिष्ठित कलाकारों की सात सदस्यीय ज्यूरी ने एकमत से इस पुरस्कार के लिए गुलजार के नाम की सिफारिश की.

आजादी के पहले के भारत में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 1934 में जन्मे गुलजार का नाम संपूर्ण सिंह कालरा है. उनका परिवार विभाजन के दौरान अमृतसर आ गया, लेकिन गुलजार बंबई गए और गैराज मैकेनिक के तौर पर काम शुरू कर दिया. इस दौरान उन्होंने खाली वक्त में कविताएं लिखना जारी रखा.

उनके फिल्मी कॅरियर की शुरुआत 1956 में बिमल रॉय की ‘बंदिनी’ से हुई जिसमें उन्होंने गीत लिखे. गुलजार साहब ने हिंदी फिल्मों के अनेक संगीतकारों के साथ काम किया है. फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ के गीत ‘जय हो’ के लिए उन्हें संगीतकार एआर रहमान के साथ ऑस्कर जारी पुरस्कार प्रदान किया गया था.

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