करणी सेना के तमाम विरोध के बावजूद संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' रिलीज हुई. फिल्म की रिलीज का विरोध करने वालों ने पद्मावती का रोल कर रही दीपिका पादुकोण की नाक तक काट लेने की धमकी दी थी. लेकिन दीपिका इस तरह की धमकियां देने वालों के सामने कभी नहीं झुकीं. अब रिलीज के बाद पद्मावत, भारत समेत दुनियाभर में बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी के झंडे गाड़ रही है. 'पद्मावत' विवाद के बाद दीपिका ने पहली बार इंडिया टुडे को दिए मेगा एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में फिल्म से जुड़े तमाम सवालों समेत अपने जीवन के खास पहलुओं पर बात की.
निडर हूं, धमकियों के सामने नहीं झुकती
जब करणी सेना ने नाक काटने की धमकी दी थी तो उस वक्त उनके दिमाग में क्या चल रहा था? इस सवाल के जवाब में दीपिका ने कहा, मेरे दिमाग में कुछ नहीं चल रहा था. मैं धमकियों के सामने नहीं झुकती. मैं निडर हूं. हालांकि दीपिका ने ये माना कि जब फिल्म के सेट पर हमला हुआ था तो वो बहुत निराश करने वाला था. दीपिका के मुताबिक, उन्होंने भंसाली से कहा था कि फिल्म को कुछ वक्त के लिए होल्ड कर देना चाहिए. लेकिन भंसाली ने कहा कि नहीं वे ये फिल्म करेंगे, यही उनका बेस्ट पार्ट है. हालांकि दीपिका ने साथ ही ये भी कहा कि वो कोई भी खतरा लेने को तैयार थीं. वो एक बड़े लक्ष्य के लिए मजबूती से खड़े रहना चाहती थीं.
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14 साल में हुई घटना से मुझे लेकर पैरेंट्स को हुआ विश्वास
दीपिका के मुताबिक, उनके माता-पिता को हमेशा ये विश्वास रहा है कि वे अकेले रहते हुए भी खुद की अच्छी तरह देखभाल कर सकती हैं. इसके लिए दीपिका ने अपनी टीन-एज की एक घटना का भी हवाला दिया. दीपिका ने कहा, ''मैं 14 या 15 साल की थी. एक शाम मैं अपने परिवार के साथ सड़क पर चल रही थी. शायद हम किसी रेस्टोरेंट से खाना खाकर आ रहे थे. पापा और बहन आगे चल रहे थे, मैं अपनी मम्मी के साथ पीछे चल रही थी. तभी एक शख्स ने मेरे साथ बदतमीजी की. उस समय मैं यह सब इग्नोर कर सकती थी, लेकिन मैं पीछे मुड़ी, उस शख्स के पीछे गई, उसका कॉलर पकड़ा और सड़क के बीच उसे थप्पड़ मारकर वापस आ गई. उसी दिन से मेरे पैरेंट्स को विश्वास हुआ कि मैं अकेले भी अपनी देखभाल कर सकती हूं.''
फिल्म जौहर पर नहीं, महिलाशक्ति और गरिमा का उत्सव
एक्ट्रेस स्वरा भास्कर के लगाए आरोपों पर दीपिका ने कहा, कुछ लोग इस तथ्य को भूल जाते हैं कि इस फिल्म की पृष्ठभूमि 13वीं सदी पर आधारित हैं. तब इस तरह की प्रथाएं समाज में देखी जाती थीं. दीपिका ने कहा, ‘शायद उन्होंने (स्वरा) फिल्म के शुरू में दिए डिस्क्लेमर को नहीं देखा कि ये फिल्म सिर्फ जौहर के बारे में नहीं है बल्कि महिलाशक्ति और गरिमा का उत्सव है.’
'पद्मावत' में राजपूतों के मान-सम्मान को इतने अच्छे ढंग से दिखाया गया, फिर क्यों इसका विरोध करने वाले समूह इतने हताश और क्रोधित थे? इस सवाल के जवाब में दीपिका ने कहा कि ये फिल्म महिलाशक्ति और नारीत्व को सेलिब्रेट करती है. रानी पद्मावती ने इसे बहुत गरिमा के साथ किया था.
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पद्मावत में निभाया रोल करियर का सबसे चुनौतीपूर्ण किरदार
दीपिका ने माना कि 'पद्मावत' में निभाया रोल उनके करियर का सबसे मजबूत करेक्टर रहा है. दीपिका ने कहा, ये करेक्टर खामोशी के बावजूद इतना कुछ कहता है. सब कुछ एक खास व्यवहार, राजसी ढंग से और गरिमा के साथ दिखाया गया. ये मेरे करियर का सबसे चुनौतीपूर्ण किरदार रहा. मैंने बाजीराव मस्तानी में तलवार चलाई थी, लेकिन पद्मावती के पास योद्धा की आत्मा थी. जब उसके पति को अगवा किया जाता है तो वो अपने दिमाग को ऐसी विषम स्थिति से जीतने के लिए तैयार करती है.
दीपिका ने माना कि इस तरह का किरदार निभाने के बाद उसका असर लंबे समय तक रहता है. उन्होंने कहा, किरदार आपको लंबे समय तक नहीं छोड़ते. पद्मिनी जैसी सशक्त महिला जैसा किरदार तो खास तौर पर. ये मेरे करियर की सबसे अहम फिल्म है. आज तक किसी महिली किरदार को लेकर इतनी महंगी फिल्म कभी नहीं बनाई गई. दीपिका ने कहा 'पद्मावत' से दूसरे निर्माता भी इस तरह के प्रोजेक्ट्स पर काम करने के लिए प्रेरित होंगे.
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जावेद अख्तर से मिला बेस्ट कॉम्पिलिमेंट
'पद्मावत' में अपने रोल को लेकर सबसे अच्छा कॉम्पिलिमेंट किससे मिला? इस सवाल के जवाब में दीपिका ने मशहूर स्क्रिप्ट राइटर और गीतकार जावेद अख्तर का नाम लिया. दीपिका ने कहा, अभी तक का सबसे अच्छा कॉम्पिलिमेंट मुझे जावेद साहब ने दिया. उन्होंने कहा कि मैंने फिल्म देखी और मैं जब नरगिस और मधुबाला के बारे में सोचता हूं और मुझे लगता है कि मदर इंडिया और मुगले आजम...पद्मावती तुम्हारी मदर इंडिया है.
पद्मावत में काम करना चुनौतीपूर्ण
'पद्मावत' में अपने रोल को निभाना कितना मुश्किल था और उसके लिए कितनी मेहनत करनी पड़ी. इस सवाल पर दीपिका का जवाब था- "ये कई मायनों में चुनौतीपूर्ण था. संजय लीला भंसाली के साथ जब आप काम करते हैं तो आपके जीवन की दूसरी सभी बातें पीछे हो जाती हैं. उनकी फिल्म हमेशा प्राथमिकता रहती है. आपको उनके विज़न को हकीकत में बदलने के लिए पूरा साल समर्पित करना पड़ता है. वो फिल्म को लेकर हमेशा कठोर रहते हैं. वो ऐसे व्यक्ति हैं जो अपनी चिंता और अपमान (जो शाब्दिक और शारीरिक तौर पर उन्हें फिल्म के विरोधी समूहों से सहना पड़ा), सबका जवाब अपने काम से देते हैं. आज सबसे बड़ी जीत फिल्म की कामयाबी है."
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मैंने रिस्क लिया
विरोध की बात करते हुए दीपिका ने कहा कि जो हुआ उसने मुझे सरप्राइज नहीं किया. लेकिन मैंने रिस्क लिया. इन सब बातों के बारे में कहने को बहुत कुछ है लेकिन मैं अभी सिर्फ इस पल को सेलिब्रेट करना चाहती हूं. कुछ दिन पहले मैं अपने परिवार के साथ दिल्ली में थी. मेरे पापा को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला और इस मौके को हम सबने मिलकर सेलिब्रेट किया. मेरे माता-पिता को मुझ पर गर्व है.
क्या वो मेल एक्टर्स से ज्यादा फीस लेने पर जोर देती हैं? इस सवाल के जवाब में दीपिका ने कहा, वो इसके लिए पूरी तरह लायक हैं. लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें जो मिल रहा है वो उससे खुश हैं. हालांकि दीपिका ने इससे पहले एक इंटरव्यू में ये बात मानी है कि फिल्म के लिए उन्हें ज्यादा फीस मिली थी.
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रणवीर-शाहिद के बिना पद्मावत अधूरी
दीपिका ने फिल्म में अपने साथ अहम रोल निभाने वाले रणवीर सिंह और शाहिद कपूर को जमकर सराहा. दीपिका ने कहा, ‘पद्मावत का रणवीर और शाहिद के बिना बनना संभव नहीं था. कई लोगों ने उनसे कहा था कि ये फिल्म ना करें क्योंकि ये एक महिला किरदार पर आधारित है. रणवीर ने फिल्म में अपने रोल के लिए अपना सब कुछ झोंका. जहां तक शाहिद का सवाल है तो उनके बिना ये फिल्म अधूरी रहती. वो अपने साथ इस फिल्म में कुछ खास लेकर आए. मैं इस फिल्म को करने के लिए शाहिद की शुक्रगुजार हूं.’