बॉलीवुड एक्टर दिलीप कुमार की बुधवार को अचानक तबीयत बिगड़ने के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया. बताया गया कि बुधवार दोपहर डिहाइड्रेशन के चलते उनकी तबीयत बिगड़ने लगी जिसके चलते उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पहले खबर आई कि गुरुवार तक उन्हें कुछ ही घंटो के लिए आईसीयू में रखा जाएगा लेकिन अब खबर है कि दिलीप कुमार की हालत में सुधार नहीं है उन्हें अभी भी आईसीयू में रखा गया है.
सूत्रों की जानकारी के मुताबिक दिलीप कुमार साहब को आईसीयू में डॉक्टर्स की निगरानी में रखा गया है. बताया जा रहा है कि उनकी किडनी संबंधी परेशानी अभी ठीक नहीं हुई है उनकी किडनी का ट्रीटमेंट चल रहा है. यह ट्रीटमेंट दिलीप कुमार के डॉक्टर जलील पपारकर और किडनी स्पेशलिस्ट डॉ नीतिन गोखले के अलावा कई दूसरे डॉक्टर्स की निगरानी में हो रहा है. लेकिन फिलहाल ये नहीं कहा जा सकता कि उनकी तबीयत में सुधार है.
हालांकि बुधवार को अस्पताल में भर्ती करवाने से पहले यह भी बताया जा रहा था कि वह कुछ दिनों से ब बुखार से पीड़ित थे. दिलीप कुमार की भतीजी और एक्ट्रेस सायशा की मां शाहीन ने भी ट्वीट कर उनकी तबीयत की जानकारी दी थी. उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि युसूफ अंकल जल्द ठीक हो जाएंगे. दिलीप कुमार के फैन्स भी लगातार सोशल मीडिया पर उनकी हालत में सुधार होने की दुआएं कर रहे हैं.
Yusuf uncle is at Lilavati hospital Mumbai he will be well soon.Thank you for all the care and wishes.#DilipKumar pic.twitter.com/5hzUZGGdkU
— Shaheen (@ShhaheenAhmeed) August 2, 2017
इससे पहले दिसंबर महीने में 94वर्षीय दिलीप कुमार को लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तब उनके दाहिने पैर में दर्द और सूजन की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
दिलीप कुमार के जीवन पर एक नजर'मुगले आजम', 'मधुमती', 'देवदास' और 'गंगा जमुना' जैसी बेहतरीन फिल्मों में अपने यादगार अभिनय के लिए याद किए जाने वाले दिलीप कुमार गत दिसंबर को 94 वर्ष के हुए थे.दिलीप कुमार का मूल नाम मुहम्मद युसूफ खान है. उनका जन्म पेशावर में 11 दिसंबर, 1922 को हुआ था. उन्होंने छह दशक में 60 से ऊपर फिल्मों में काम किया. उन्हें सर्वोत्तम अभिनेता का पहला फिल्मफेयर पुरस्कार 1954 में मिला. वे इस श्रेणी में कुल 8 बार यह पुरस्कार हासिल कर चुके हैं. यही रिकॉर्ड शाहरुख खान के नाम भी है. दिलीप कुमार को 1991 में पद्मभूषण और 1994 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया गया. वे 2000 से 2006 तक राज्यसभा के सदस्य मनोनीत किए गए थे.