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गुस्सा काबू में, पर बेचैनी अभी भी बनी रहती है: मनोज बाजपेयी

मनोज बाजपेयी ने एक खास इंटरव्यू में अपने जीवन व करियर से जुड़े हर पहलुओं पर विस्तार से बात की. पेश हैं आरजे आलोक के सवाल और मनोज बाजपेयी के जवाब...

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बिंदास अंदाज में मनोज बाजपेयी
बिंदास अंदाज में मनोज बाजपेयी

मनोज बाजपेयी ने एक खास इंटरव्यू में अपने जीवन व करियर से जुड़े हर पहलुओं पर विस्तार से बात की. पेश हैं आरजे आलोक के सवाल और मनोज बाजपेयी के जवाब...

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सवाल: किस तरह का तेवर लेकर आ रहे हैं आप 'तेवर' फिल्म में?
जवाब: फिल्म 'तेवर' में मैंने मथुरा के बाहुबली गजेंदर सिंह का किरदार निभाया है. मारकाट के बीच मेरे किरदार को प्यार हो जाता है. जिस लड़की से प्यार होता है, वो मानती नहीं है. बस वहीं से कहानी शुरू होती है.

सवाल: बाहुबली बनने के लिए कुछ ट्रेनिंग ली आपने?
जवाब: किसी ट्रेनिंग की जरूरत नहीं पड़ी. मैं बिहार में पला-बढ़ा लड़का हूं. वहां बचपन से ऐसे बाहुबली लोगों को देखा है, तो ऐसी किसी ट्रेनिंग की जरूरत नहीं पड़ी. ट्रेनिंग की जरूरत पड़ी थी 'स्वामी' 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के सरदार खान के लिए. 'स्पेशल छब्बीस के अफसर', जुबेदा, 'पिंजर' के किरदार के लिए. वैसे सबसे मुश्किल काम था मथुरा की भाषा और जाट वाली बोली का मिक्स बोलना. कभी हरियाणवी, तो कभी ब्रजभाषा हो जाती थी, तो उस पर काफी मेहनत की.

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सवाल: 'स्वाभिमान' के मनोज बाजपयी और आज के मनोज में कितना बदलाव आया है?
जवाब: अब मैं खुद को बाहर का नहीं मानता, अब लगता है कि इंडस्ट्री अपनी है. पहले हर चीज मेरे खिलाफ थी. 21 साल के बाद मीडिया और इंडस्ट्री ने मुझे जान और अपना लिया है.

सवाल: क्या कला को महत्व दिया जाने लगा है आजकल?
जवाब: आज भी मुझे अफसोस है कि कला को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है. आजकल बॉक्स ऑफिस बोलता है, फिल्म की कमाई ज्यादा महत्वपूर्ण है. कहानी और अभिनय पर किसी की नजर नहीं होती आज भी. शुक्र है 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' और 'स्पेशल छब्बीस' चली.

सवाल: तो जो बाजार पहले कला के लिए रोड़ा बना हुआ था, वो आजकल आपको महत्व दे रहा है?
जवाब: हमें काम करने का मौका मिल रहा है, वैसे बाजार कभी भी छोटी फिल्म लेता है, चाहे वो 5 करोड़ की हो, तो वो चाहता है कि 15 करोड़ कमाए, नहीं तो वो डायरेक्टर को, एक्टर को खारिज कर देता है.

सवाल: 'राजनीति', 'वासेपुर या अब 'तेवर', क्या आपको लगता है अब आपको विलेन का ही किरदार मिलेगा?
जवाब: '1971', 'पिंजर', 'स्वामी', ये क्लासिकल फिल्में थीं, पर दर्शकों ने नहीं सराहा. मेरा बाजार नीचे चला गया था, तो फिर 'राजनीति' ने मुझे ऊपर उठाया, तो अब काम और भी मिलने लगे. अगर आप समय के साथ नहीं चले, तो डिप्रेशन में आ जाएंगे. मुझे कोई स्विटजरलैंड लेकर नहीं जाता फिल्में बनाने के लिए.

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सवाल: क्या आप किसी कैंप के इंसान है?
जवाब: मैं अनुराग कश्यप, प्रकाश झा या बोनी कपूर, सबके साथ काम करता रहता हूं. मैं अच्छी कहानी का एक्टर बनना चाहता हूं, कैंप का हिस्सा नहीं हूं.

सवाल: आप आजकल ऑफ स्क्रीन काफी शांत हो गए हैं?
जवाब: अब गुस्सा लेकर कब तक घूमुंगा. 7 साल से प्राणायाम कर रहा हूं, लेकिन अभी भी बेचैनी बानी रहती है. गुस्से पर तो काबू आ गया है, लेकिन बेचैनी, खलबली अभी भी बनी रहती है.

सवाल: क्या आप सिंगल लीड वाली फिल्म नहीं करना चाहेंगे?
जवाब: 'राजनीति', 'आरक्षण', 'वासेपुर', 'स्पेशल छब्बीस' इन सभी फिल्मों में मैं एक तरह से लीड एक्टर ही था. होता क्या है कि मेन स्ट्रीम फिल्मों में मैं वैसा रोल करता हूं, जो हीरो के पास जज्बा नहीं होता है छूने का, तो वो रोल मैं करता हूं. ये शायद उनकी छवि को नुकसान पहुंचाए, तो जब-जब ऐसे रोल लिखे जाते हैं, जो हीरो नहीं करना चाहता, वो मैं करता हूं. अब तो नवाजुद्दीन और इरफान भी करने लगे हैं साथ-साथ.

सवाल: युवा एक्टर्स के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
जवाब: सोनाक्षी तो हमसे भी बड़ी स्टार है. मथुरा में भीड़ आती थी सिर्फ सोनाक्षी को देखने के लिए, हम और अर्जुन बाहर ही बैठे रह जाते थे. सोनाक्षी बहुत बड़ी हिरोइन बन चुकी है. वह वैनिटी वैन में ही ज्यादा वक्त बिता पाती थी, बाहर भीड़ सिर्फ उनके पीछे ज्यादा लगी रहती थी.

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सवाल: आप डायरेक्टर और प्रोड्यूसर भी बनेंगे?
जवाब: मैं नीरज पाण्डेय के साथ एक फिल्म प्रोड्यूस कर रहा हूं, जिसमें मैं और तब्बू लीड में हैं. मेरी एक और प्रॉब्लम है कि मैं रात को 11 बजे तक सो जाता हूं. उसी दिन मैं डायरेक्टर बनूंगा, जब कोई ऐसा डायरेक्टर मिल जाए, जो मेरे बदले मेरी फिल्म 11 बजे तक शूट कर दे.

सवाल: आने वाली फिल्में?
जवाब: 'सात उचक्के', 'दूरंतो', 'ट्रैफिक', हंसल मेहता की 'SRS' कर रहा हूं.

सवाल: आप ऐश्वर्या राय बच्चन के साथ फिल्म कर रहे हैं?
जवाब: नहीं, मैंने ऐसी कोई फिल्म साइन नहीं की है. बहुत पहले सिर्फ बात हुई थी संजय गुप्ता से, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है. गलत खबरें आ रही हैं. आजकल पहले खबरें आ जाती हैं.

सवाल: क्या आपको खबरों में बने रहने का कोई चाव है?
जवाब: नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है. मैं काम करता हूं, पैसे लेता हूं, घर जाता हूं. 10:30 बजे के बाद सिर्फ घर जाता हूं. बेटी सो जाए, सुबह उसको स्कूल भेजता हूं. मेरे घर में कोई पार्टी नहीं होती, सिर्फ अभिनय और बेटी... यही है मेरी जिंदगी.

सवाल: बिटिया अब आपको स्क्रीन पर पहचानने लगी है?
जवाब: जी हां, मैंने 'तेवर' का ट्रेलर दिखाया, तो 'पापा पापा' कह रही थी. वैसे मेरी बिटिया को 'शूटिंग' शब्द से काफी नाराजगी है, क्योंकि उसे पता है कि शूटिंग होती है, तो पापा बहुत दिनों के लिए बाहर जाते हैं.

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