अभिनेता रणदीप हुड्डा की फिल्म 'मैं और चार्ल्स' जल्द ही रिलीज होने वाली है जिसमें वो 1986 के तिहाड़ जेल ब्रेकर 'चार्ल्स शोभराज' के किरदार में दिखाई देने वाले हैं, हमने रणदीप से कुछ खास बातचीत की है , पेश हैं उसी के मुख्य अंश-
एक और बायोपिक में आप दिखाई देने वाले हैं?
ये बायोपिक नहीं है, ये 1986 में तिहाड़ जेल ब्रेक करके भाग निकलने वाले शख्स की कहानी है, वो कैसे निकला, क्यों निकला इस पूरी कहानी को फिल्म में दिखाया गया है. किरदार असली है बस इतना फर्क है.
चार्ल्स बनने के लिए क्या-क्या किया ?
डायरेक्टर प्रवल बेहतरीन डायरेक्टर हैं, आधे से ज्यादा काम उन्होंने पहले से ही कर रखा था, हमने किताबों को नहीं पढ़ा, सिर्फ न्यूज पेपर आर्टिकल और फुटेज देखकर तैयारी की. उसके चाल-ढाल और बोलने का तरीका हमने वहां से सीखा, असलियत के साथ-साथ थोड़ा काल्पनिक भी है.
क्या चैलेंज था ?
किरदार, चाल-ढाल, तरीका, और बोलने का लहजा बहुत ही चैलेंजिंग था. मिमिक्री नहीं की लेकिन उस किरदार तक पहुंचने की कोशिश की.
आपने ऑस्ट्रेलिया में भी जिंदगी के कुछ साल गुजारे हैं, कुछ सहायता मिली?
ज्यादा तो नहीं लेकिन जब मैं ऑस्ट्रेलिया में था उन दिनों लड़कियों से बात करने का सलीका पता लग गया. फिल्म 1970-80 के दशक से जुड़ी है.
चार्ल्स के बारे में आप कब जाने?
शोभराज, नागराज इन नामों को मैंने 11 साल की उम्र में जाना. उसके नाम से सब कांपते थे. अमिताभ बच्चन साब ने भी चार्ल्स के किरदार का 'डॉन' फिल्म में बहुत फायदा उठाया है. वो मुल्कों की पुलिस वाला डायलाग चार्ल्स की निजी जिंदगी से लिए हुए हैं.
क्या फिल्म से क्राइम को बढ़ावा मिलेगा?
मैंने बस उस किरदार को निभाने की कोशिश की है, और फिल्म के माध्यम से उसकी यात्रा दिखाई गयी है. वैसे भी हमारे देश में कोई फिल्म देख कर नहीं बदल जाता, मुन्नाभाई देखकर कितने लोग गांधी हो गए? रामायण देखकर कोई राम बना? यह एक मनोरंजन है जिसे आइए देखिए और जाइए.
आप खुद के फेमस होने का श्रेय किसी देते हैं?
नसीर साब (नसीरुद्दीन शाह) एक गुरु के तौर पर हैं. मेरे माता -पिता, और मेरे जितने भी करीबी लोग हैं, सबका बहुत बड़ा हाथ है.
चार्ल्स की अच्छी बातें आप क्या देखते हैं ?
वो किसी भी इंसान से मिलकर उसकी तरह ढल जाता है. उसका आकर्षण का चार्म भी बहुत बड़ा है. मैंने सुना था कि चार्ल्स के कमरे से एक सुरंग सीधे जेलर मैडम के कमरे तक जाती थी.
आपको सफल होने में क्या अड़चनें आ रही हैं?
मेरी खड़ी बोली, मेरा व्यवहार, मेरा इंडस्ट्री से ना होना, मेरी जीभ इसक्रीम चाटने के लिए इस्तेमाल करना इत्यादि.
अभी आप चार्ल्स शोभराज से काठमांडू जेल में मिलकर आये, कैसा रहा अनुभव?
चार्ल्स से मिलना मुश्किल नहीं, नामुमकिन है, बहुत जद्दोजेहद की,.चार्ल्स ने जेल में कहा है कि उसकी फिल्म 30 अक्टूबर को रिलीज हो रही है, हम वहां जेलर साब से मिले, रिक्वेस्ट की, फिर उन्होंने हमारे फिल्म के पोस्टर्स ले लिए और कुछ साईन करके वापस भी किए. फिर 10 मिनट मिलने का मौका मिला. सबसे पहले उन्होंने बोला- 'गुड क्वालिटी प्रोडक्ट'. फिर उसने कहा की -'हमने फिल्म को रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन तुमने हमें मात दे दी क्योंकि इसमें अमोद कांत भी शामिल थे. फिर मैंने उनसे कहा की -'मैंने आपसे ही सीखा है.' उन्होंने कहा की 3 नवंबर को उनकी कोर्ट में सुनवाई है और शायद 3 महीने में वो छूट जाएं. उन्होंने अमोद कान्त को शुभकामनाएं भी भेजी हैं. वो 72 साल के हैं लेकिन बहुत ही हैंडसम हैं. मुझे बुरा लगा की वो अभी जेल में हैं. अब हमारा प्रयास है की और कोई युवा 'चार्ल्स' ना बने.