फिल्म ‘काइट्स’ से करीब दो साल बाद रुपहले पर्दे पर लौट रहे बॉलीवुड अभिनेता रितिक रोशन का कहना है कि फिल्में भाषाओं के अवरोधों को पार कर ईमानदारी के साथ बनायी जाती हैं और भविष्य में वह इस तरह की फिल्मों में ही काम करना पसंद करेंगे.
रितिक ने कहा, ‘‘मैं डांस करना चाहता हूं और वो सब कुछ करना चाहता हूं, जिससे मैं आज यहां पहुंचा हूं. लेकिन मैं ईमानदारी से करना चाहता हूं. ‘धूम 2‘ एक ईमानदार फिल्म थी. इसमें फन, एक्शन और आइटम सांग का वादा किया गया था. यह ऐसी फिल्म थी, जिसे देखने के लिए आप बैठे रहें और पॉपकोर्न के साथ इसका लुत्फ उठाते रहें. वहीं ‘काइट्स’ जीवन का हिस्सा है. इसकी कहानी में ‘धूम’ के गीत नहीं रखे जा सकते.’’
क्या 21 मई को प्रदर्शित होने वाली ‘काइट्स’ उनके लिए बॉलीवुड से परे रास्ते खोलेगी, इस पर रितिक ने कहा, ‘‘मेरी सोच ऐसी नहीं है, मैं पटकथा पर टिप्पणी करता हूं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हर फिल्म में अपनी गहराई होती है, फिर चाहे वह कहीं भी बनायी गयी हो.’’ रितिक का मानना है कि भारतीय फिल्मों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसलिए खरीददार नहीं मिलते क्योंकि भारतीयों ने अपनी पुरानी सफलताओं को दोहराते रहने की सोच बना ली है.
रितिक ने कहा, ‘‘फिल्म एक साधारण, सीधी सी प्रेम कहानी है. मेरा किरदार लास वेगास में पले बढ़े एक शख्स का है. हमें एक ईमानदार फिल्म से डरना नहीं चाहिए क्योंकि यह अपना मकाम खुद पा लेती है.’’ 36 वर्षीय अभिनेता ने कहा कि मेक्सिकन अभिनेत्री बारबरा मोरी के साथ काम करना उत्साहजनक अनुभव रहा.
उन्होंने कहा, ‘‘वह एक अलग विचारधारा की हैं. लेकिन कला तो समान है.’’ रितिक ने कहा, ‘‘एक रचनात्मक व्यक्ति अपनी रचनात्मकता में हेरफेर नहीं कर सकता. यदि कलाकार अपने दिमाग से सोचना शुरू कर देता है तो रचनात्मकता प्रभावित होगी.’’ उनके मुताबिक वह अपनी सच्ची क्षमताओं का पता लगाने के मिशन पर हैं और अपनी रफ्तार से काम कर रहे हैं.
रितिक ने कहा, ‘‘कृष ने लोगों को यह सोचने का भरोसा दिलाया कि यहां सुपरहीरो पर फिल्में बनायी जा सकती हैं. इससे पहले यह अवधारणा नहीं थी. डैड और मेरे सामने यह चुनौती थी.’’