निर्देशकः रामगोपाल वर्मा
कलाकारः दीपक डोबरियाल, माही गिल, अजय गेही, जाकिर हुसैन
यह वैसी ही कृति है, जैसे तुलसीदास सरीखे किसी कवि को स्कूली प्रतियोगिता में एक छंद लिखने को कह दिया गया हो. नॉट ए लव स्टोरी में रामगोपाल वर्मा का वही खिलंदड़ापन देखने को मिलता है. एक छोटी-सी बहुचर्चित प्रेम-अपराध कथा को वे चुस्ती और बला-सी तेजी के साथ नैरेट करते हैं, उपकथाओं/क्षेपकों में उलझे बगैर.
अभिनेत्री बनने की उमंग में उड़ती अनु (गिल) चंडीगढ़ से मुंबई पहुंचती है और दूसरी स्ट्रगलर्स की तरह निर्देशक (आशीष) के बेहद 'करीब' पहुंचकर फिसल पड़ती है. उसके अपने शहर में बैठा विक्षिप्त हो रहा उसका पजेसिव ब्वायफ्रेंड रॉबिन (डोबरियाल) मुंबई पहुंच आवेश में आशीष (गेही) की हत्या कर देता है.
उसके बाद पुलिस, गवाही, कोर्ट आदि का ड्रामा. कहानी, किरदार, अभिनेता, संवाद, कैमरा, उसकी पोजीशनिंग और म्युजिक यहां सब एक दूसरे के पूरक बनते हैं.
सेक्स, अपराध और ह्यूमर के खूबसूरत सिनेमाई तादात्म्य का एक दृश्य देखिए. (अपने फ्लैट में) आशीष की हत्या के बाद अनु घिघियाते हुए रॉबिन से कहती हैः ''इतनी बड़ी बॉडी है. कैसे ठिकाने लगाओगे?'' कत्ल जैसे कोई मुद्दा ही नहीं उसके लिए.
इसी तरह चरम तनाव की दशाओं में रॉबिन-अनु प्यार करने को वस्तुतः टूट पड़ते हैं. माही गिल अभी उतनी इंटेलिजेंट भले न हों, उनके मादक भराव और उनकी सेक्सुएलिटी को वर्मा ने सतर्कता के साथ पकड़ा है. स्तनों और टांगों के नीचे तक कैमरा ले जाने में वे संकोच नहीं करते.
घबराहट में चकर-बकर ताकते, सिर खुजाते, टांगें हिलाते डोबरियाल एक साइको किस्म के प्रेमी के किरदार में अपने अभिनय के एक नए पहलू का उद्घाटन करते हैं. गिल थोड़ी बेसब्र, जल्दबाज पर बोल्ड हैं. वर्मा की फिल्मों में स्थायी-से हो चले जाकिर हुसैन इंस्पेक्टर माने के छोटे-से अंडरटोन किरदार में अनुशासित संवाद अदायगी से गजब का टेक्सचर तैयार करते हैं. नॉट ए लव स्टोरी की पूरी प्रस्तुति का (रामगोपाल) वर्मा पन आपको याद रह जाता है.