निर्देशकः .जोया अख्तर
कलाकारः हृतिक रोशन, .फरहान अख्तर, अभय देओल, कैटरीना, कल्कि
फरहान अख्तर की दिल चाहता है (2001) में एक बेपरवाह-सा किरदार था आकाश. उसे एकाएक एहसास होता है कि महबूबा शालिनी को अपनाने में देरी की तो वह किसी और की हो जाएगी.
जिंदगी ना मिलेगी दोबारा में भी 40 साल तक पैसे बटोरने का लक्ष्य लिए भागते अर्जुन (रोशन) से गोताखोरी प्रशिक्षक लैला (कैटरीना) प्यारा-सा सवाल करती हैः ''कैसे पता कि 40 साल तक जिंदा रहोगे?''
पटकथा लेखक जावेद अख्तर की संतान फरहान-जोया आज के वक्त को अभी जी लीने की मुनादी पीटने निकले हैं. फरहान पटकथा में विट, हास्य और चुस्ती लाए हैं तो जोया अंतर्संबंधों की जटिलता को सलीके से खोलती हैं.
कहानी उच्च मध्यम वर्ग की ही है. शादी से पहले कबीर (देओल) और नताशा (कल्कि) दोस्त अर्जुन और इमरान (.फरहान) के साथ स्पेन की सैर पर निकलते हैं. वहां के टमाटीनो उत्सव (टमाटरों की होली) और सांड़ दौड़ का बैकड्रॉप इन सबकी जिंदगी में चल रहे ऊहापोह का प्रतीक बनते हैं.
किस्सागोई में संजीदगी के लिहाज से यह ताजा दौर की अहम फिल्म है. मार्टिन स्कोरसी.जी, तारेंतीनो और विश्व सिनेमा के दूसरे बड़े नामों के दीवाने और हिंदी फिल्मों से लगभग उदासीन फरहान-जोया साबित करते हैं कि उन्होंने अपने बीच से किरदार गढ़ना और आज की 'लैंग्वेज' में लिरिकल किस्सागोई सीख ली है. देओल, कल्कि के अलावा हृतिक और कैटरीना जैसे कलाकारों को भी हदों में, लो पिच अभिनय करते देखना अच्छा लगता है.