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'इज्जत मिलनी चाहिए', गदर 2 में गानों को री-क्रिएट करने पर क्यों बोले कम्पोजर मिथुन?

गानों के री-क्रिएशन को लेकर इंडस्ट्री हमेशा दो हिस्सों में बंटी रही है. म्यूजिक कंपोजर मिथुन शर्मा भी खुद इस ट्रेंड से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. फिर गदर 2 के गानों के री-क्रिएशन के लिए कैसे तैयार हुए. खुद बता रहे हैं.

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मिथुन-गदर पोस्टर
मिथुन-गदर पोस्टर

'गदर 2' एक ओर जहां अपनी बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की वजह से कई सारे रिकॉर्ड्स ब्रेक कर रही है. वहीं फिल्म के गाने भी लगातार चार्ट लिस्ट पर बने हुए हैं. बता दें, इस फिल्म के गाने को मिथुन ने कंपोज किया है. फिल्म के गानों पर मिल रही सीटियां व तालियों से मिथुन खासे खुश नजर आ रहे हैं. गदर की सक्सेस और उसके गानों पर मिथुन हमसे खास बातचीत करते हैं. 

गाने की मेकिंग के दौरान डायरेक्टर अनिल शर्मा के निर्देश पर मिथुन बताते हैं, 'अनिल जी ने बस यही कहा था कि गानों में मासूमियत और सच्चाई झलके. फिल्मों में वीएफएक्स का भी बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं हुआ था. वो गाने के साथ भी यही सच्चाई बरकरार रखना चाहते थे कि इसमें कोई मिलावट नहीं हो. हमने उसी के तर्ज पर यह काम किया है. मैंने यह समझ लिया था कि मैं उत्तम सिंह और आनंद बख्शी की म्यूजिक के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करूं. मैंने बहुत ही सम्मान के साथ उस पर काम किया है. शायद उसी का नतीजा है कि आज के म्यूजिक री-क्रिएशन के दौर में जहां मेकर्स को गालियां पड़ती हैं, किसी ने भी निगेटिव कमेंट नहीं किया है. मैंने उसमें कुछ भी जबरदस्ती जोड़ने या घटाने की कोशिश नहीं की है. बहुत ही पाक तरीके से मैंने उन गानों के साथ काम किया है.'

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उदित नारायण से ही गाना गवाना, फैंस करते थे ऐसे मेल 
री-क्रिएशन के इस ट्रेंड से न फैंस बल्कि कई म्यूजिक एक्सपर्ट भी नाखुश नजर आते हैं. ऐसे में उदित नारायण को कैसे राजी किया आपने. इसके जवाब में मिथुन कहते हैं, 'मैंने पहले ही तय कर लिया था कि मैं इन गानों से कोई छेड़छाड़ नहीं करूंगा. देखिए, आनंद और उत्तम जी ने अगर उदित नारायण जी को ही अपने गानों को लिया था, तो जाहिर सी बात है उन्होंने कुछ सोच समझकर ही उनसे गवाया लिया होगा. वो उस गाने का अहम हिस्सा रहे हैं. वैसे तो मेरे पास बहुत सारे ऑप्शन थे, जिनसे मैं ये गाना गवा सकता था. मैं समझता हूं कि क्रिएटिव और इमोशनल फैक्टर दोनों को मिला दें, तो उनसे बेहतर इससे कोई नहीं गा सकता था. इस गाने की रिकॉर्डिंग से पहले मुझे बहुत से मेल्स व मेसेजेस आए थे कि प्लीज इस गाने को उदित जी से ही गवाना. उन्होंने भी इस गाने के लिए खूब मेहनत की थी. मैंने म्यूजिक को भी धीमे रखा था ताकि वो उदित जी की आवाज को ओवरशैडो न कर दे. मैं मानता हूं अच्छी नीयत से आप कोई भी काम करो, तो उसका रिस्पॉन्स आपको मिल ही जाता है.'

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जिंदगी में पहली बार यह पागलपन देखा है
गदर को लेकर जो अनोखा रिस्पॉन्स है, उस पर क्या कहना चाहेंगे. इसके जवाब में मिथुन कहते हैं, 'देखो, मैंने करियर में बहुत से हाई और लो देखे हैं. लेकिन गदर 2 का पागलपन, वो मैंने जिंदगी में पहली बार देखा है. मैंने जहर, मर्डर 2, कबीर सिंह जैसे फिल्मों के जरिए सक्सेस का स्वाद चखा है, लेकिन जो कुछ भी गदर के साथ हो रहा है, उसके बारे में बचपन में केवल सुना ही है. हम सुना करते थे कि राजकपूर, मनमोहन देसाई की फिल्मों के दौरान इस तरह का मैडनेस देखने को मिलता था. यहां देख रहा हूं कि लोग मेरे गाने पर सीट के ऊपर खड़े होकर गुनगुना रहे हैं. वो खुद को कव्वाली का हिस्सा मान रहे हैं. ये एक्सपीरियंस अद्भुत है. मैं शॉक्ड हो गया था. मैं खुद को बहुत गौरान्वित महसूस जरूर कर रहा था लेकिन एक आर्टिस्ट के तौर पर नहीं बल्कि एक सिनेप्रेमी की तरह मुझे इस बात की खुशी है कि सिनेमा हॉल में एक जश्न का महौल सा आया है. बीच में बातें चल रही थी कि ओटीटी पर ही फिल्में रिलीज होंगी. कई सिनेमा थिएटर्स बंद हो जाएंगे. गदर 2 का इस तरह सुपरसक्सेस होना, ये इंडियन सिनेमा की जीत है. ओमजी2, जेलर इन सब फिल्मों को भी पसंद किया जा रहा है. इस तरह के उत्सव की इस एंटरटेनमेंट टीम को जरूरत थी.'

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गदर 2 का गाना सुनकर सुभाष घई का आया कॉल
फैंस रिएक्शन पर बात करते हुए मिथुन कहते हैं, 'मुझे तो मेसेज आते ही जा रहे हैं. कुछ दिन पहले ही सुभाष घई जी का कॉल आया था. इस फिल्म में एक गाना है, 'चल तेरे इश्क में पड़ जाते हैं' उन्होंने मुझसे कहा कि ये गाना बिलकुल उनकी फिल्मों की मिजाज का है. ये उस किस्म का गाना है, जिसे मैं अपनी फिल्मों में रेकॉर्ड करना चाहूंगा. ये जो हिंदी सिनेमा की सेंसिबिलिटी है, रागधारी गाना..तुमने जो तरानों का इस्तेमाल किया है, पूरे इंस्ट्रूमेंट ऑर्गेनिक है. मेरी किसी से बात हो रही थी कि आज का दौर सोशल मीडिया का है. लोग रील्स और शॉर्ट्स की बात करते हैं. वहीं मुझे अनिल जी (डायरेक्टर) ने बताया कि मेरे गाने के पूरे वर्जन को री-एडिट कर डाला है. यानी जो गाना तीन मिनट के लिए सुनाया जा रहा था, उसे थिएटर में 7 मिनट सुनाया जा रहा है. ये जो गाना सुनने वाले हैं, वो भी तो इसी जनरेशन के हैं.'

री-क्रिएशन क्रिएटिव हेल्थ के लिए ठीक नहीं 
गानों के री-क्रिएशन पर अपनी राय रखते हुए मिथुन बताते हैं, 'मैं पर्सनली यही सोचता हूं कि री-क्रिएशन का जो ट्रेंड है, वो आपके क्रिएटिव हेल्थ के लिए ठीक नहीं है. मैं मानता हूं कि हमारे देश में ओरिजनल टैलेंट की कोई कमी नहीं है. मेरी करियर के जो हाइलाइट रहे हैं, मौला मेरे मौला, दिल संभल जा रहा, तुम्ही हो, मैं फिर भी तुमको चाहूंगा, सनम रे.. इन सारे ओरिजनल गानों ने ही मिथुन को मिथुन बनाया है. ऐसे बहुत सारे लोग हैं, जो अच्छा काम करते हैं और कर सकते हैं. मुझे लगता है री-क्रिएशन वहां जरूरी है, जहां इमोशन जुड़ा हो. मैं गदर 2 के गानों के री-क्रिएशन को इस तरह से जस्टिफाई करूंगा कि अगर हमने ओरिजनल गाने का इसमें इस्तेमाल नहीं किया होता, तो दर्शकों को भी दुख होता कि उस फिल्म में क्यों इस्तेमाल नहीं हुआ. दरअसल वो इमोशन का हिस्सा है. वो गीत उस परिवार का गीत है. मैं मानता हूं आप इसके क्रिएटिव सैंटीटी और इथॉस को न छेड़ें. इसके अलावा, जो ओरिजनल क्रिएटर हैं, उन्हें क्रेडिट जरूर मिलना चाहिए. आप इंटरनेट पर देख लें कि मैं हर जगह उत्तम सिंह और आनंद बख्शी जी को क्रेडिट दिया है. देखिए सोशल मीडिया पर आज के दौर में इज्जत मिलना इतना मुश्किल हो गया है, उन्हें दो मिनट नहीं लगता किसी को नीचा दिखाने के लिए. मैं प्रभु का आभारी हूं कि लोगों ने इस काम को इज्जत दिया है और सम्मान दिया है. 

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