सीनियर जर्नलिस्ट गौरी लंकेश की बंगलुरू में गोली मारकर हत्या कर दी गई. आ रही खबरों के मुताबिक चार अज्ञात हमलावरों ने राज राजेश्वरी इलाके में स्थित गौरी के घर में घुसकर उन पर काफी करीब से फायरिंग की, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई. गौरी लंकेश साप्ताहिक मैग्जीन 'लंकेश पत्रिके' की संपादक थीं. गौरी लंकेश का दक्षिणपंथी संगठनों से वैचारिक मतभेद चल रहा था.
इस मामले के सामने आते ही बॉलीवुड गौरी लंकेश के सपोर्ट में आया और उनके हत्या पर शोक जताने के साथ ही उनके लिए न्याय की मांग भी कर रहा है. बॉलीवुड के मशहूर राइटर जावेद अख्तर ने भी ट्वीट करते हुए लिखा कि दाभोलकर, पनसरे, कलबुर्गी और गौरी लंकेश. अगर एक ही तरह के लोगों की हत्या हो रही है तो उनके हत्यारे कौन हैं.
Dhabolkar , Pansare, Kalburgi , and now Gauri Lankesh . If one kind of people are getting killed which kind of people are the killers .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) September 5, 2017
नीरजा फिल्म के प्रोडूसर अतुल कासबेकर ने लिखा कि गौरी लंकेश के हत्यारों को जल्द से जल्द पकड़ने और सजा देने की बात कही है.
Dissent and opposing views are the bedrock of a functioning democracy.
Hope the murderers of #GauriLankesh are brought to book, and fast
— atul kasbekar (@atulkasbekar) September 5, 2017
वहीं डायरेक्टर शिरिश कुंदर ने कहा कि जब से बौद्धिक होना गाली जैसा हो गया है तक से गोलियां आवाज बन गई हैं.
When "intellectual" becomes an abuse, words are replied with bullets.
RIP #GauriLankesh.
— Shirish Kunder (@ShirishKunder) September 5, 2017
फिल्म मेकर अनुभव सिन्हा ने कहा कि इस मामले में सही फैसले का इंतजार.
वरिष्ठ महिला पत्रकार गौरी लंकेश को घर में घुसकर मारी गोली, मौके पर ही हुई मौत
Now looking forward to some of the cleverest justifications to this murder. #GauriLankesh
— Anubhav Sinha (@anubhavsinha) September 5, 2017
कलबुर्गी की हुई थी हत्या
इससे पहले वर्ष 2015 में कर्नाटक के धारवाड़ में इसी तरह के एक अन्य मामले में साहित्यकार एमएम कलबुर्गी की उनके घर पर ही हत्या कर दी गई थी. इस केस में दो लोगों पर कलबुर्गी की हत्या करने का आरोप लगा था.
गोविंद पनसारे
2015 में ही सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद पनसारे की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उनकी पत्नी को भी हमलावरों ने निशाना बनाया था. इस मामले में राइट विंग से जुड़े कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया था.वहीं इससे 2 साल पहले 2013 में पुणे में नरेंद्र दाभोलकर को भी गोलियों से छलनी किया गया था. अंधविश्वास और कुप्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाने वाले डॉ. दाभोलकर सनातन संस्था और अन्य दक्षिणपंथियों के निशाने पर रहते थे.