गुलजार ने 1988 में एक फिल्म बनाई थी-लिबास. ये फिल्म अब 29 साल बाद रिलीज होगी. सुनने में अजीब लग सकता है, मगर लिबास ऐसी अकेली फिल्म नहीं है जिसे बनने के बाद सालों से रिलीज का इंतजार था. अमिताभ बच्चन से लेकर संजीव कुमार और शेखर कपूर तक कई कलाकारों की फिल्में आज भी सिनेमाघर तक पहुंचने का रास्ता देख रही हैं. ऐसी फिल्में जिनके शायद आपने गाने भी सुने हों, प्रोमो भी देखे हों, मगर वे फिल्में रिलीज नहीं हो सकीं. देखते हैं क्या है इन अनरिलिज्ड फिल्मों की कहानी-
जूनी- मुजफ्फर अली का सपना
विनोद खन्ना और डिंपल कपाड़ियां की मुख्य भूमिकाओं वाली यह फिल्म 1988 में बनी थी. इस फिल्म का निर्देशन किया था उमराव जान जैसी बेहद चर्चित फिल्म के निर्देशक रहे मुजफ्फर अली ने. बताया जाता है कि तीन करोड़ के बजट से बनी इस फिल्म को 1990 में रिलीज किया जाना था, मगर अब तक इसे रिलीज नहीं किया जा सका है. यह एक पीरियड फिल्म है. इसकी कहानी 16वीं सदी में कश्मीर के राजा रे युसुफ शाह की जिंदगी पर आधारित है. कहते हैं कि इसे पूरा करके रिलीज करने की मुजफ्फर अली ने काफी कोशिशें कीं, मगर ऐसा हो नहीं पाया.
चोर मंडली- राज कपूर की आखिरी फिल्म होती
माना जाता है कि राज कपूर की बतौर अभिनेता यह आखिरी फिल्म थी. इसमें उनके साथ अशोक कुमार भी मुख्य भूमिका में थे. इसमें संगीत भी किशोर कुमार और मोहम्मद रफी का ही था. मगर यह भी रिलीज नहीं हो सकी. मगर फिल्म की टीम के आपसी विवाद के चलते यह रिलीज नहीं हो सकी.
तालिसमान- अमिताभ बच्चन का वक्त नहीं मिला
मुन्ना भाई एमबीबीएस, लगे रहो मुन्नाभाई , परिणिता, पीके और थ्री ईडियट्स जैसी फिल्म बनाने वाले विधु विनोद चोपड़ा की एक और फिल्म है तालिस्मान. कहा जाता है कि यह हॉलीवुड फिल्म लॉर्ड ऑफ द रिंग्स को टक्कर दे सकती थी. मगर यह फिल्म भी रिलीज नहीं हो सकी. इसमें मुख्य भूमिका अमिताभ बच्चन ने निभाई है. जाने माने एडमेकर राम माधवानी ने इसका प्रोमो भी तैयार कर लिया था. मगर बताया जाता है कि अमिताभ बच्चन के पास वक्त की कमी होने के चलते इस फिल्म को पूरी तरह शूट नहीं किया जा सका.
सरहद- जे.पी.दत्ता की पहली फिल्म होती
आप जिस सरहद फिल्म के बारे में जानते हैं, वह 1995 में बनी थी। इसके निर्देशक थे महेंद्र शाह. यहां जिस सरहद की बात हो ही है, वह है 1976 में बनी फिल्म. अगर उस वक्त यह फिल्म रिलीज होती, तो यह बॉर्डर और रिफ्यूजी जैसी फिल्में बनाने वाले जे.पी.दत्ता की बतौर निर्देशक पहली फिल्म होती. मगर आर्थिक कारणों से फिल्म को रिलीज नहीं किया जा सका था.
कुची-कुची होता है- कुछ नहीं हो सका
1998 में करण जौहर की कुछ कुछ होता है, ने बॉक्स ऑफिस पर जब कमाल दिखाया, तो करण ने इसका एनिमेटिड वर्जन लाने का सोचा. नाम रखा कुची-कुची होता है. इसमें संजय दत्त, काजोल, शाहरुख खान, रानी मुखर्जी, रितेश देशमुख ने वॉयस ओवर दिया. साल 2010 में इसका प्रोडक्शन शुरू हुआ. साल 2011 में इसे रिलीज किया जाना था. मगर यह अब तक रिलीज नहीं हो सकी है. हालांकि इसका ट्रेलर जरूर रिलीज किया गया था. इसे काफी पसंद किया गया.
टाइम मशीन- आज भी अच्छे टाइम का इंतजार
यह फिल्म बनाई थी मासूम, मिस्टर इंडिया, बैंडिट क्वीन जैसी बॉलीवुड फिल्मों के अलावा न्यूयॉर्क आई लव यू, एलिजाबेथ जैसी हॉलीवुड फिल्में बनाने वाले निर्माता निर्देशक शेखर कपूर ने. 1992 में साइ-फाई थीम पर आधारित इस फिल्म का प्रोडक्शन शुरू हुआ. इसके लिए शेखर कपूर ने काफी मेहनत की. आमिर खान, रेखा, रवीना टंडन और नसीरुद्दीन शाह जैसे कलाकारों को फिल्म में कास्ट किया. यह फिल्म हॉलीवुड फिल्म बैक टू द फ्यूचर से प्रेरित थी. मगर अब तक रिलीज नहीं हो सकी. आर्थिक कारणों से आधी ही फिल्म शूट हुई और इसे रोकना पड़ा. 2008 में शेखर कपूर ने इस फिल्म को नई कास्ट के साथ दोबारा शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका. हालांकि अब तो शेखर कपूर की बहुचर्चित फिल्म पानी के भी रिलीज होने का इंतजार है.
लव एंड गॉड- एक के बाद एक दुर्घटना
1986 में आई फिल्म लव एंड गॉड के निर्देशक थे के. आसिफ. वही के.आसिफ जिन्होंने मुगले-आजम बनाई थी. इस फिल्म के जरिये वह लैला मजनूं की कहानी को बड़े परदे पर दिखाना चाहते थे. इस फिल्म का प्रोडक्शन 1963 में शुरू हुआ था. इसमें गुरुदत्त और निम्मी मुख्य भूमिकाओं में थे. 1964 में गुरुदत्त की असमय मौत ने इस फिल्म पर स्टॉप लगा दिया. इसके बाद गुरुदत्त की जगह संजीव कुमार को कास्ट किया गया. 1970 में फिर से फिल्म शुरू हुई.दुर्भाग्यवश 1971 में फिल्म के निर्देशक के. आसिफ की ही मौत हो गई.एक बार फिल्म अधूरी रह गई. 15 साल बाद के. आसिफ की पत्नी अख्तर आसिफ ने इस अधूरी फिल्म को रिलीज करने का फैसला किया. इसमें उनका साथ दिया निर्माता-निर्देशक के.सी बोकाडि़या ने. तीन अलग-अलग स्टूडियोज से फिल्म के अलग-अलग शूट किए गए हिस्सों को इकट्ठा करके एक साथ जोड़ा गया. ये कट-पेस्ट वर्जन 1986 में रिलीज हुआ. लेकिन जब तक ये फिल्म रिलीज हुई. तब तक फिल्म से जुड़े ज्यादातर कलाकार इस दुनिया में नहीं थे. संजीव कुमार का भी 1985 में निधन हो गया था. फिल्म का संगीत दिया था नौशाद अली ने. इसमें कुमार बाराबंकवी ने गीत लिखे थे.