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'आइडिया' के सर जी को खुला खत, हैप्पी बर्थडे अभिषेक बच्चन

अपने बाप का भी 'बाप' बनने का सुख क्या होता है, यह जूनियर बच्चन से बेहतर कौन जान सकता है? किसी ने 'रिफ्यूजी' कहकर पुकारा तो किसी ने 'रावण'. लेकिन 'मुंबई से आया मेरा दोस्त' फिल्म इंडस्ट्री में अपनी 'जमीन' तलाशता रहा. इस 'युवा' कलाकार ने कभी 'नाच' सीखा तो कभी 'ब्लफमास्टर' बनकर सबका दिल बहलाया.

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अभ‍िषेक बच्चन
अभ‍िषेक बच्चन

अपने बाप का भी 'बाप' बनने का सुख क्या होता है, यह जूनियर बच्चन से बेहतर कौन जान सकता है? किसी ने 'रिफ्यूजी' कहकर पुकारा तो किसी ने 'रावण'. लेकिन 'मुंबई से आया मेरा दोस्त' फिल्म इंडस्ट्री में अपनी 'जमीन' तलाशता रहा. इस 'युवा' कलाकार ने कभी 'नाच' सीखा तो कभी 'ब्लफमास्टर' बनकर सबका दिल बहलाया. अपने लिए 'बबली' भी ढूंढी और वक्त पड़ने पर सबसे 'दोस्ताना' भी निभाया. लेकिन 'बस इतना सा ख्वाब' रहा कि इंडस्ट्री में अपनी भी 'सरकार' चले. अब 'गुरु' जैसा जादू बार बार तो नहीं चलता. तो 'पा' ने ही कह दिया कि स्क्रीन पर मुझे अपने बेटे के रोल में ले लो.

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जो भी हो, पर काफी उतार चढ़ाव से गुजरा अभिषेक बच्चन का करियर. अपने जीवन के 39 साल पूरे कर रहा यह चर्चित कलाकार हमेशा से ही सुर्ख‍ियों में नहीं था. इंडस्ट्री के लिए अपना डेढ़ दशक न्योछावर कर देने के बाद भी आपकी हर अपीयरेंस पर ताली या सीटी मिलेगी इसकी गारंटी नहीं है. दुख तब होता है, जब पब्लिक के तालियां पीटने के बावजूद आपकी अपनी मां फिल्म के प्रीमियर पर आकर सरेआम आपकी बुराई कर जाए! जूनियर बच्चन के मूल भी इतने तगड़े रहे कि इनके साथ काम करने वाला हर सितारा सफलता की सीढ़ियां चढ़ता गया लेकिन ये बस मुट्ठी भर हिट्स बटोरते रहे. साल 2000 में आई फिल्म रिफ्यूजी से अभिषेक के साथ करीना ने भी अपने करियर की शुरुआत की थी. लेकिन करीना इस रेस में काफी आगे निकल गईं. अभिषेक ने भी 'गुरु' और 'पा' जैसी सुपरहिट फिल्में दीं, लेकिन 'धूम' सीरीज से लेकर 'हैप्पी न्यू ईयर' तक इनके माथे पर कई बार सिर्फ सपोर्टिंग एक्टर का ठप्पा ही लगाया गया.

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कायस्थ पिता, बंगाली मां और पंजाबी दादी के लाडले रहे अभिषेक बचपन में डिस्लेक्सिया नामक बीमारी के शिकार थे. खुद को संभाला, भरपूर मेहनत की, आत्मविश्वास जगाया. मुंबई के जमनाबाई स्कूल और बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल से लेकर दिल्ली के मॉडर्न स्कूल तक और फिर स्विट्जरलैंड के ऐग्लो कॉलेज से लेकर बॉस्टन यूनिवर्सिटी तक अभिषेक ने घाट घाट का पानी पिया. शायद अपने पिता के बुरे वक्त से उन्होंने काफी सीख ली, इसीलिए भरपूर मेहनत कर अपने फ्यूचर को पहले ही सिक्योर कर लिया. प्रो कबड्डी लीग में जयपुर की पिंक पैंथर्स टीम खरीदी और साथ ही इंडियन सुपर लीग में चेन्नई की फुटबॉल टीम भी खरीदी. छोटे पर्दे पर साहब ने एलजी के प्रोडक्ट्स के साथ साथ अमेरिकन एक्सप्रेस के क्रेडिट कार्ड्स, वीडियोकॉन का डीटीएच, मोटोरोला के मोबाइल फोन, फोर्ड फिएस्टा कार और प्रेस्टीज कुकर तक बेचा. लेकिन सफलता मिली आइडिया मोबाइल नेटवर्क के 'सर जी' बनकर. 2009 के एनडीटीवी टेकलाइफ अवार्ड्स में अभिषेक को 'बेस्ट ब्रांड एम्बेसडर ऑफ द ईयर' का खिताब दिया गया. भैया जी की पॉपुलेरिटी उठने लगी थी.

इसी बीच निजी जिंदगी में भी काफी उथल-पुथल रही. मां बाप को लगा कि बेटे की शादी कर दें तो शायद लाइफ पटरी पर आ जाए. अक्टूबर 2002 में बिग बी के साठवें जन्मदिन पर करिश्मा कपूर से सगाई करा दी. लेकिन 3 महीने में ही ना जाने क्यों ब्रेकअप हो गया. पर कहते हैं ना कि बुरा वक्त भी हमेशा नहीं रहता. भैया जी कि जिंदगी में एंट्री मारी दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की ऐश्वर्या राय ने. बस फिर क्या था, ग्रहों की दिशा और दशा सब पलट गयी. जिस लड़की के साथ 'ढाई अक्षर प्रेम के', 'कुछ ना कहो', 'उमराओ जान' और 'रावण' जैसी फिल्में फ्लॉप रही थीं, उसी लड़की ने साथ मिलकर 'गुरु' में सारा लॉस रिकवर करवा लिया. 'कजरारे' सॉन्ग में ऐश्वर्या ने बिग बी और जूनियर बी के साथ जो एवरग्रीन ठुमके लगाए थे, उनका नतीजा यह निकला कि इंडियन मीडिया ने अभिषेक और ऐश्वर्या को सुपर-कपल घोषित कर दिया.

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'तेरा जादू चल गया', 'बस इतना सा ख्वाब है', 'शरारत', 'मुंबई से आया मेरा दोस्त', 'रन' और 'द्रोण' जैसी फ्लॉप फिल्में ऑडियंस के जेहन से धुंधली होने लगीं. लोगों को अब 'सरकार' और 'धूम सीरीज' की पावरपैक्ड परफॉरमेंस से प्यार हो चला था. अभिषेक बच्चन अब इंडियन फिल्म इंडस्ट्री के ऐ ग्रेड एक्टर्स में शामिल हो गए थे. अकेले अपने दम पर वो पूरी फिल्म खींच सकते हैं या नहीं, यह एक विवाद का विषय है. लेकिन सर जी के पास काम की कोई कमी नहीं है. अभी भी सर जी असिन के साथ एक रोमांटिक फिल्म और अक्षय और रितेश के साथ 'हाउसफुल 3' की शूटिंग में बिजी हैं. लेकिन जनता अभी भी यह जानना चाहती है कि आखिर मां जया फिल्म 'हैप्पी न्यू ईयर' देखकर क्यों बिखर गयीं? कहीं वो इस बात की फ्रस्ट्रेशन तो नहीं थी कि उनके बेटे को इस मल्टीस्टारर फिल्म में लीड रोल क्यों नहीं मिला? मम्मी को भी समझना चाहिए कि 'धूम सीरीज' और 'युवा' जैसी मल्टीस्टारर फिल्में सुपरहिट इसीलिए रहीं क्यूंकि इनमें लीड रोल में और लोग थे. वरना 'दस' और 'प्लेयर्स' जैसी मल्टीस्टारर फिल्मों , जिनमें अभिषेक लीड रोल में रहे हैं, का क्या हाल हुआ सब जानते हैं. खैर, अंत भला तो सब भला. हम सबकी तरफ से 'हैप्पी न्यू ईयर'....ओह सॉरी, 'हैप्पी बर्थडे' अभिषेक !

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