पुराने हिंदी फिल्मी गाने. बहुत पुराने. अच्छा वो केएल सहगल टाइप. 'जब दिल ही टूट गया'. हां वही. उन्हें एक शायर ने लिखा था. साल 1945 में. फिल्म शाहजहां के लिए. अच्छा. तो. वो गाना याद है, आमिर खान का? 'पापा कहते हैं'. 1988 में आई 'कयामत से कयामत तक' के लिए. हां-हां. वो तो आज भी अच्छा लगता है. बड़ा सुपरहिट गाना है. थोड़ा सा नॉस्टैल्जिक भी कर देता है. पर क्यों, क्या हुआ उस गाने. हुआ कुछ नहीं. बस सोचा बता दूं. इस गाने को भी उसी शायर ने लिखा था.
मजरूह सुल्तानपुरी. 'जब दिल ही टूट गया' से शुरुआत. 'राजा को रानी से प्यार हो गया' तक विस्तार. बीच में कहीं ख्वाह तो तुम या कोई हकीकत, तो कभी चढ़ती जवानी मेरी चाल मस्तानी.
आइए सुनें मजरूह के लिखे 10 बेहतरीन नगमे. कमेंट बॉक्स में अपनी पसंद भी जरूर बताएं.
1. जब दिल ही टूट गया, तो जी के क्या करेंगे
शाहजहां, 1946, केएल सहगल की आवाज, नौशाद का संगीत
2. अच्छा जी मैं हारी, चलो मान जाओ न, देखी सबकी यारी, मेरा दिल जलाओ न
काला पानी, मो. रफी और आशा भोंसले की आवाज, सचिन देव वर्मन का संगीत
3. ख्वाब हो तुम या कोई हकीकत, कौन हो तुम बतलाओ
तीन देवियां, किशोर कुमार की आवाज, एसडी बर्मन का संगीत
4. पहला नशा, पहला खुमार
जो जीता वही सिकंदर, 1992, उदित नारायण-साधना सरगम, जतिन ललित
5. ऐ मेरे हमसफर, इक जरा इंतजार
कयामत से कयामत तक, 1988, उदित नारायण, अलका याग्निक, आनंद मिलिंद
6. चुरा लिया है तुमने जो दिल को, नजर नहीं चुराना सनम
यादों की बारात, 1973, मोहम्मद रफी, आशा भोंसले, आरडी बर्मन
7. चढ़ती जवानी मेरी चाल मस्तानी
कारवां, 1971 लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी, आरडी बर्मन का संगीत
8. आजा पिया, तोहे प्यार दूं
बहारों के सपने, 1967, लता मंगेशकर, आरडी बर्मन
9. तुम बिना जाऊं कहां
प्यार का मौसम, 1969, मोहम्मद रफी, आरडी बर्मन
10. मेरी भीगी भीगी पलकों पर रह गए जैसे मेरे सपने बिखरकर
अनामिका, 1973, किशोर कुमार, आरडी बर्मन