'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले एक्टर सिद्धार्थ मल्होत्रा की फिल्म 'कपूर एंड संस' रिलीज हो गई है जिसने वीकेंड में 26.35 करोड़ का बड़ा बिजनेस किया है. पेश है सिद्धार्थ से हुई कुछ खास बातचीत के मुख्य अंश:
आप दिल्ली से हैं, मुंबई में रहने के चलते आपकी हिंदी गड़बड़ तो नहीं हुई?
हां, बंबइया हिंदी अजीब है. वैसे आलिया की भी हिंदी पहले से अब काफी बेहतर हो गई है. मेरी भी हिंदी फिल्म के हिसाब से ठीक होती गई है.
शूटिंग के दौरान क्या नया सीखा?
रोज कुछ ना कुछ सीखते रहते हैं, नया करने की कोशिश करते जा रहे हैं. आगे जाकर मेरी यही चाहत है कि मैं अलग-अलग किरदारों के साथ खेल सकूं. मैंने अक्षय कुमार के साथ जब काम किया था तो उन्होंने एकदम छोटे भाई की तरह मेरी देखभाल की थी. अभी भी उनका फोन आता है.
फिल्म में आप घर के छोटे बेटे बने हैं?
जी, मैं असल जिंदगी में भी घर का छोटा बेटा हूं. मेरा बड़ा भाई और दादी भी हैं . हम लोग जो फिल्मों में देखते हैं वो असल जिंदगी से ही प्रेरित होता है. फिल्म में काफी सारी चीजें असल जिंदगी से मिलती जुलती दिखाने की कोशिश की गई हैं.
आपको शादी के रिश्ते आते हैं?
जी रिश्ते तो नहीं, लेकिन हाल ही में जब मैं अपनी चचेरी बहन की शादी में गया तो वहां फोटो बहुत खिंचावाई. फ्लैश देख-देख कर आंखें चमक रही थी. इतना ही नहीं मैंने ढोल वालों के साथ डांस भी किया.
दिल्ली और मुंबई के कल्चर में क्या डिफरेंट पाते हैं?
बहुत फर्क है, नॉर्थ में मोहल्ले का अलग माहौल होता है, मुंबई में बिल्डिंग का अलग माहौल होता है. दिल्ली में कॉलोनी के अंकल, आंटी दोस्त, यार सब बहुत सारा धमाल मचाते हैं.
मुंबई के रंग में कितने ढल पाए?
मैं काफी ढल गया हूं, काफी यंग लोगों से मिलता जुलता हूं. पहले मराठी समझ नहीं आती थी , अब आने लगी है. कांदा, बटाटा ये सब पहले समझ नहीं आता था लेकिन अब जानकारी हो गई है.
स्टारडम कैसे मेंटेन करते हैं ?
सब कुछ काम के ऊपर है, ये कोई रेसिपी नहीं है. हर फिल्म में कुछ नया सीखने को मिल रहा है, लोग तारीफ कर रहे हैं. बस इसी चीज को और इम्प्रूव करता रहता हूं. मेरा ध्यान हमेशा ही दर्शकों को इंटरटेन करने में रहता है.
फिल्म में एक एक्ट्रेस और दो हीरो हैं, फिल्म में आप फवाद से कितने अलग हैं?
इस बार मैं हल्का किरदार प्ले कर रहा हूं, फवाद सक्सेसफुल हैं और मैं फिल्म में थोड़ा निकम्मा टाइप का रोल निभा रहा हूं जो घर का सबसे छोटा लड़का है.
'धर्मा प्रोडक्शन' से जुड़ना आपके लिए एक बड़ा प्लेटफॉर्म रहा ?
'धर्मा'(प्रोडक्शन हाउस) ने हमें लॉन्च किया, हमें 'धर्मा' के साथ रहने का एक फायदा है कि सारी स्क्रिप्ट्स पढ़ने का मौका मिलता है, शकुन मुझे 3 साल से कास्ट करना चाह रहा था. सबसे पहले मुझे फिल्म के लिए साईन किया गया. शकुन मेरा बहुत अच्छा दोस्त बन गया है. 'धर्मा' में अच्छी फिल्में बन रही हैं इसलिए बाहर जाने की जरूरत नहीं.
और कौन सी फिल्में हैं?
अभी एक्सेल प्रोडक्शन की 'बार बार देखो' फिल्म कर रहा हूं, उन्होंने बहुत ही अच्छी स्क्रिप्ट लिखी हैं. इसके बाद फॉक्स की एक फिल्म करूंगा.
आजकल बायोपिक का जमाना है. क्या आप भी ऐसी फिल्में करना चाहेंगे?
जी आजकल सच्ची घटनाओं पर भी फिल्में बन रही हैं, अगर कोई ऐसी स्क्रिप्ट आएगी तो जरूर करना चाहूंगा.