हिन्दी सिनेमा ने एकबार फिर दर्शकों को अपना दीवाना बना लिया है, वजह है पिंक. हर किसी की जुबान पर शूजीत सरकार की फिल्म 'पिंक' की चर्चा है. यह बॉलीवुड की ऐसी पहली फिल्म कही जा रही है, जिसमें महिलाओं के अनकहे पहलू को पहली बार सशक्त तरीके से रखा है.
फिल्म रिलीज के समय जब फिल्म के निर्माता शूजीत सरकार से पूछा गया कि उन्होंने इस फिल्म का नाम 'पिंक' क्यों रखा तो उन्होंने कहा, 'जब लोग उनकी यह फिल्म देखेंगे तो उन्हें खुद पता चल जाएगा कि यह नाम क्यों रखा गया है. फिर हम सभी ने यह कयास भी लगाया कि इसका नाम पिंक कलर से संबंधित हो सकता है, जिसे आमतौर पर लड़कियों का रंग माना जाता है.
पर सच्चाई कुछ और है. शूजीत सरकार को ना केवल बेहतरीन फिल्में बनाने के लिए जाना जाता है बल्कि वह अपनी हर फिल्म का नाम भी ऐसा रखते हैं जिसमें गहरे मायने छिपे होते हैं. 'पिंक' नाम रखने के पीछे उनकी सोच काफी अलग थी. TOI के ब्लॉग पर वीरेश मलिक ने विस्तार से बताया है कि फिल्म का नाम 'पिंक' क्यों रखा गया है? उन्होंने लिखा है, 'कई डिक्शनरीज में पिंक को बलपूर्वक या क्रूरता से या डराकर, महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाना है.'
उन्होंने इसकी एक और व्याख्या दी है. कई देशों में पिंक एक ऐसी गाली है, जिसके मायने होते हैं एक महिला को शारीरिक रूप से जबरदस्ती हासिल करना.
तो अब आपको पता चला ना कि आखिर फिल्म का यह नाम क्यों है और क्यों स्क्रिप्ट के हिसाब से यह नाम बिल्कुल सटीक है.