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श्रीदेवी को कॉपी करने की कोशिश करती थी - जूही चावला

बॉलीवुड अदाकारा जूही चावला की फिल्म 'चॉक एन डस्टर' रिलीज हो गई है. इस फिल्म में वह टीचर के किरदार में नजर आईं हैं. आइए जानें फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े जूही के अनुभवों के बारे में, उन्हीं की जुबानी.

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जूही चावला
जूही चावला

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फिल्म इंडस्ट्री में 2 दशकों से भी ज्यादा वक्त बिता चुकीं एक्ट्रेस जूही चावला की फिल्म 'चॉक एन डस्टर' हाल ही में रिलीज हुई है. एक छोटी सी मुलाकात के जरिए जानें इस फिल्म और जूही से जुड़े कुछ खास बातों के बारे में -

'चॉक एन डस्टर' में आपको टीचर का रोल क्यों पसंद आया?
मुझे फिल्म की स्क्रिप्ट अच्छी लगी थी. इस किरदार के लिए मुझे उन शिक्षकों को देखना पड़ा जो पैदल चलते हैं. छोटे बजट में जिंदगी गुजारते हैं. उन्हें चावल, दाल का भाव पता है. मैं असल जिंदगी में ऐसी बिल्कुल भी नहीं हूं. मैं रीयल किरदार निभाना चाहती थी. इसीलिए मैंने यह किरदार निभाया.

क्या आप फिल्म के लिए टीचर्स से मिली?
मिली तो नहीं, लेकिन जब अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने जाती थी, तो उनके टीचर्स को देखती थी. और उनके एक्टिविटी के हिसाब से ही मैंने यह रोल किया. फिल्म के राइटर की वाइफ भी एक टीचर हैं. मैनें सोचा था कि उनसे जाकर मिलूं, पर नहीं मिल पाई.

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एक जमाने में आप 'गर्ल नेक्स्ट डोर' वाली फिल्में करती थी, अब वैसी फिल्में क्यों नहीं बनती?
राजू हिरानी आजकल वैसी फिल्में बनाते हैं. वह हसाते और रुलाते हुए आपको फिल्म दिखाते हैं. लेकिन 'चॉक एन डस्टर' में मैंने असल जिंदगी का किरदार निभाया है.

आपने 2 दशक से भी ज्यादा का वक्त इंडस्ट्री में बिताया है, यहां पर कौन आपका टीचर रहा है?
मैंने कई लोगों से सीखा है. मुझे नहीं पता था की मैं एक एक्ट्रेस बनूंगी. मैं थोड़ी 'मुमताज' जी जैसी बनना चाहती थी, फिर पद्मिनी कोल्हापुरे की फिल्म 'प्रेम रोग' से प्रेरित हुई. फिर जब मैंने इंडस्ट्री ज्वाइन की तो श्रीदेवी एक बड़ी स्टार थी. उन्हें देखना काफी पसंद था. मैं उनके डांस, रोमांस और कॉमेडी की कायल थी.
फिर जब मैंने एक्टिंग शुरू की तो श्रीदेवी को कॉपी करने की कोशिश करती थी. लेकिन उनके करीब भी नहीं पहुंच पाई. फिर मैंने खुद को देखना शुरू किया. डायरेक्टर अजीज मिर्जा से मैंने अच्छी हिंदी सीखी है. महेश भट्ट जी ने भी कई बातें सिखाईं. यश चोपड़ा जी से मैंने रोमेंटिक फिल्मों में काम करना सीखा. ड्रीम वर्ल्ड जैसा होता था. बाद में मैंने नागेश कुकुनूर के साथ काम करते हुए असल जिंदगी पर आधारित फिल्मों से बहुत कुछ सीखा.

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इस फिल्म में शबाना आजमी आपकी को-स्टार हैं, कैसा अनुभव रहा?
शबाना जी को स्क्रिप्ट पसंद आई. उन्होंने फिल्म में महाराष्ट्रियन महिला का किरदार निभाया है. उन्होंने फिल्म में अपने घर के पर्दों के बारे में पूछा तो मेकर ने कहा की वो रेगुलर पर्दे होंगे. फिर शबाना जी ने कहा कि नहीं, घर के पर्दे पुरानी साड़ियों से बनाइए. क्योंकि कम खर्चे से घर चलाने वाले लोगों के यहां पर्दे उनके पुराने कपड़ों से तैयार किए जाते हैं. शबाना जी की ये बात सुनकर मैं खुश हो गई. आप हर दिन कुछ ना कुछ नया सीखते हैं.

शबाना आजमी की मौजूदगी से आप कम्फर्टेबल थीं?
मैं बहुत खुश थी की शबाना जी फिल्म में हैं. फिल्म में काम करते हुए उनके बारे में बहुत कुछ जानी.

आप अपने करियर के इस फेज को एन्जॉय कर रही हैं?
जी, बहुत, यह मेरे लिए नया है. मुझे मजा आ रहा है. फिल्म में ड्रामा के साथ जिंदगी की गहराई भी है.

आपने इस फिल्म के लिए स्कूटर चलाना सीखा, आपने 'यस बॉस' में भी स्कूटर चलाया था?
'यस बॉस' में तो उन लोगों ने मुझसे चलवा दिया था. मुझे उस वक्त स्कूटर चलाना नहीं आता था. मैनें उस सीन को बस एक टेक में कर दिया था. लेकिन 'चॉक एन डस्टर' में मुझे शबाना जी को भी बिठाना था. इसलिए सीखना पड़ा.

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