भारतीय सिनेमा जगत में वैसे तो कई बड़े फिल्मकारों ने काम किया है और एक से बढ़कर एक क्लासिक फिल्में दी हैं. मगर ऋषिकेष मुखर्जी ऐसे चुनिंदा फिल्म निर्देशकों में गिने जाएंगे जिनकी सारी फिल्में एक खास संदेश लोगों तक पहुंचाती हैं. चाहे जॉनर कोई भी हो, कॉमेडी या रोमांस, ऋषि दा की हर एक फिल्म में एक सीख होती है. चाहें वो बावर्ची हो या गोलमाल या फिर सत्यकाम, या राजेश खन्ना की सुपरहिट फिल्म आनंद. संवेदनशील चीजों को हल्के-फुल्के अंदाज में दिखाना और कॉमेडी में हंसी मजाक के साथ एक सीख परोसना ऋषिकेश मुखर्जी की फितरत रही. उनके जन्मदिन पर बता रहे हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ किस्से.
1- ऋषिकेश मुखर्जी का जन्म 30 सितंबर 1922 को कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में 'बंगाली ब्राह्मण' परिवार में हुआ था. उन्होंने साइंस की पढ़ाई की. कलकत्ता यूनिवर्सिटी से केमेस्ट्री में ग्रेजुएट हुए.
2- पढ़ाई के बाद ऋषि दा ने कुछ समय तक मैथ्स और साइंस के अध्यापक के तौर पर काम किया. सिनेमा में शुरुआत कैमरा वर्क से हुई. फिर फिल्म एडिटिंग में हाथ आजमाया. ऋषिकेश के पहले एडिटिंग गुरु सुबोध मित्तर थे, जो फिल्मी गलियारों में कैंची दा के नाम से मशहूर थे. उनका काम फिल्मों की एडिटिंग यानी कांट छांट करना था.
3- 1951 में ऋषिकेश मुखर्जी मुंबई आ गए. यहां उन्होंने बिमल रॉय को असिस्ट किया. कालजयी फिल्म दो बीघा जमीन और देवदास में ऋषिकेश बिमल दा के असिस्टेंट थे. बतौर डायरेक्टर ऋषिकेश मुखर्जी की पहली फिल्म थी मुसाफिर. 1957 में आई यह फिल्म फ्लॉप रही.
4- अपनी दूसरी फिल्म अनाड़ी (1959) से ऋषिकेश ने सफलता का स्वाद चख लिया. इस फिल्म ने पांच फिल्मफेयर अवॉर्ड जीते. अनाड़ी ने रेकॉर्ड बनाए. मगर बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड ऋषि दा अपने गुरु बिमल रॉय के हाथों हार गए.
5- इसके बाद तो हर बीतते साल और फिल्म के साथ ऋषिकेश मुखर्जी सिनेमा का एक स्कूल बनते चले गए. ऋषिकेश मुखर्जी ने ही सत्यकाम के जरिए धर्मेंद्र, गुड्डी के जरिए जया भादुड़ी (अब बच्चन) और आनंद के जरिए अमिताभ बच्चन को बड़ा ब्रेक दिया.
6- हीमैन धर्मेंद्र की छवि एक्शन या रोमांटिक फिल्म स्टार की थी. ऋषि दा की फिल्म चुपके चुपके से धर्मेंद्र ने कॉमेडी में जबरदस्त एंट्री मारी. ऋषिकेश मुखर्जी सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सेंसर बोर्ड) और नेशनल फिल्म डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन के चेयरमैन रहे.
7- ऋषिकेश मुखर्जी की आखिरी फिल्म थी झूठ बोले, कव्वा काटे. इसमें लीड रोल में थे अनिल कपूर और जूही चावला. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औसत रही.
8- ऋषि दा को 1999 में दादा साहब फाल्के अवॉर्ड और 2001 में पद्म विभूषण सम्मान मिला. ऋषि दा को कुल 8 फिल्मफेयर अवॉर्ड मिले. उन्हें पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड 1956 में नौकरी फिल्म की एडिटिंग के लिए मिला.
9. ऋषिकेश मुखर्जी के तीन बेटियां और दो बेटे हैं. उनकी पत्नी का काफी पहले निधन हो गया था. उसके बाद से वह बांद्रा के घर में अकेले ही रहते रहे. ऋषि दा के सबसे स्थायी साथी रहे कई कुत्ते और एक बूढ़ी पुरानी बिल्ली.
10. आखिरी वक्त में ऋषि दा 'क्रोनिक रीनल फेलियर' से जूझ रहे थे जिसकी वजह से उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में 6 जून 2006 को एडमिट किया गया था. 27 अगस्त 2006 को ऋषि दा ने दुनिया को अलविदा कह दिया.