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जब ऋषिकेश मुखर्जी ने धर्मेंद्र को बना दिया था असरानी का ड्राइवर

ऋषिकेश मुखर्जी का आज जन्मदिन है. इस मौके पर जानिए उनकी फिल्मों से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से.

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ऋषिकेश मुखर्जी
ऋषिकेश मुखर्जी

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गोलमाल, चुपके-चुपके, आनंद, बावर्ची, खूबसूरत जैसी मजेदार और दिल को छूने वाली फिल्में बनाने वाले ऋषिकेश मुखर्जी 30 सितंबर के दिन इस दुनिया में आए थे. आज बेशक उन्हें याद किए जाने की खास वजह हैं उनकी लाइट हार्टेड कॉमेडी फिल्में, लेकिन असल में वह बहुत ही सख्त मिजाज के व्यक्ति थे. न उन्हें रीटेक लेना पसंद था, न लेट आना, न ही वह सीन शूट होने से पहले उसका खुलासा किया करते थे. अमिताभ बच्चन से लेकर धर्मेंद्र तक हिंदी सिनेमा के कई बड़े सितारों को उनकी डांट पड़ चुकी हैं. उनसे जुड़े ऐसे कई किस्से हैं, जो आज भी इन सितारों के लिए बहुत खास हैं-

 

शूटिंग से पहले सीन का खुलासा नहीं करते थे

एक इंटरव्यू में हास्य कलाकार असरानी ने ऋषिकेश मुखर्जी की इस आदत का जिक्र किया था. उन्होंने बताया कि वह शूटिंग शुरू होने के आखिरी पल तक फिल्म के अगले सीन के बारे में खुलासा नहीं करते थे. अपने असिस्टेंट डायरेक्टर्स को भी वो यही निर्देश देकर रखते थे. इससे जुड़ा एक वाकया भी असरानी ने बताया था. हुआ यूं कि चुपके-चुपके फिल्म की शूटिंग चल रही थी. अगले सीन के लिए असरानी को सूट पहनने के लिए कहा गया. असरानी सूट पहनकर तो आ गए, मगर उन्हें ये समझ नहीं आ रहा था कि उन्हें सूट क्यों पहनाया गया है, क्योंकि आमतौर पर उन्हें ऐसे कपड़े पहनने को नहीं दिए जाते थे.

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उन्होंने असिस्टेंट डायरेक्टर्स से सीन के बारे में पूछा,तो उन्होंने भी मुखर्जी के निर्देश के अनुसार कुछ नहीं बताया. तभी धर्मेंद्र वहां ड्राइवर के कपड़ों में आए और असरानी को सूट पैंट पहने देखकर हैरान हो गए. उन्होंने पूछा, मैं तेरा ड्राइवर बना हूं क्या! अगला सीन क्या है! तुझे सूट कैसे मिल गया !

उस वक्त मुखर्जी राही मासूम रजा के साथ शतरंज खेल रहे थे. उन्होंने जब देखा कि धर्मेंद्र उनसे अगले सीन के बारे में पूछ रहे हैं, तो वहीं से चिल्लाए, ' ऐ धरम, उससे क्या पूछता है? उसको अगला सीन मालूम होता तो वो एक्टर होता क्या, डायरेक्टर नहीं बन जाता! ये किस्सा अभी खत्म हुआ ही था कि तभी अमित जी वहां आ गए. उन्होंने भी असरानी को सूट में देखकर वही सवाल किया. तभी मुखर्जी फिर चिल्लाए और बोले,   ' ऐ धरम, इसको बताओ कि मैं तुमको अभी क्या जवाब दिया.

असरानी की मानें, तो मुखर्जी डायरेक्टर नहीं थे, वह हेडमास्टर थे. क्या कहना है, कैसे कहना, क्या नहीं कहना, वह हर किसी को निर्देश देकर रखते थे.

रीटेक करना पसंद नहीं था

मुखर्जी के साथ गोलमाल फिल्म में काम करने वाले अमोल पालेकर ने भी एक इंटरव्यू के दौरान उनसे जुड़े एक दिलचस्प वाकये को याद करते हुए बताया था, "कभी हम अपने शॉट से संतुष्ट नहीं होते थे, तो उनसे कहते थे कि ऋषि दा ये शॉट अच्छा नहीं हुआ. एक और टेक करते हैं. तो वो कहते कि नहीं, अच्छा तो किया है. फिर भी हम नहीं मानते तो वो कहते कि ठीक है एक टेक और लेते हैं. फिर वो दूसरा टेक करवा लेते, लेकिन जैसे ही टेक पूरा होता, वो कहते बहुत बढ़िया किया, लेकिन हम पहला टेक ही रखेंगे.'

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लेट आने वालों के साथ शूटिंग नहीं करते थे

रंग बिरंगी फिल्म में फारुख शेख ने भी ऋषिकेश मुखर्जी के साथ काम किया था. उन्हें याद करते हुए फारुख ने भी एक किस्सा बताया था.  फारुख की मानें, तो एक बार एक बड़े स्टार उनके सेट पर नौ बजे की शिफ़्ट में 12.30 बजे आए. ऋषि दा को लेट आना बिलकुल पसंद नहीं था. मगर तब वो कुछ नहीं बोले, जब वो स्टार मेक-अप करके शॉट के लिए तैयार हुए, तभी ऋषि दा ने कह दिया पैक-अप. आज शूटिंग नहीं होगी. वह काफी सख्त मिजाज थे. उनकी बिना परमिशन के कोई भी सेट पर इधर-उधर नहीं घूम सकता था.

धर्मेंद्र से करवाई कॉमेडी

कहा जाता है कि ऋषि दा ही पहले डायरेक्टर थे, जिन्होंने हिंदी सिनेमा के हीमैन धर्मेंद्र से कॉमेडी करवाई. उन्होंने चुपके-चुपके फिल्म में उनके साथ काम किया था. अपने करियर में ऋषिकेश मुखर्जी ने 42 फिल्में कीं. शुरुआत हुई थी 1957 में फिल्म मुसाफिर से. उनकी आखिरी फिल्म थी झूठ बोले कौआ काटे. ये फिल्म 1998 में आई थी. इसके अलावा उन्होंने हम हिंदुस्तानी, तलाश और धूप छांव जैसे टीवी सीरियल भी डायरेक्ट किए थे.

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