रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण की फिल्म 'तमाशा' 27 नवंबर को रिलीज होने वाली है. फिल्म के प्रोमोशन्स हर तरफ जोरों शोरों के साथ चल रहे हैं इसी बीच इन स्टार्स के साथ हुई खास बातचीत के पेश हैं कुछ खास अंश:
क्या है ये 'तमाशा'?
रणबीर- 'मैं वेद हूं, दीपिका तारा है और कहीं ना कहीं ये कहानी बताती है की हम सब एक सिस्टम में अटक चुके हैं. हम फिल्म में बचपन की चाहत
को लव स्टोरी के जरिए जीने की कोशिश करते हैं. फिल्म के प्रोमो में एक लाइन है 'मुझे मैथ (गणित) से बहुत डर लगता है, तो असल जिंदगी में ऐसा
क्या है जिससे आपको काफी डर लगता है?
दीपिका- 'जब हम दोनों स्कूल में थे, मैं बंगलुरू में और रणबीर मुंबई में, लेकिन जब हम दोस्त बन गए तो हमें पता चल गया की हम दोनों का
मैथ्स में कोई इंट्रेस्ट नहीं था. मेरा बचपन से ही अन्य कामों में मन लगता था जैसे थिएटर, फैशन शो, स्पोर्ट्स इत्यादि, लेकिन पढ़ाई की तरफ रुझान नहीं
था. मेरे माता- पिता को भी इस बात का इल्म था. उन्होंने मुझे हमेशा बढ़ावा दिया. जब मैंने माता-पिता को कहा की मुझे एक्ट्रेस बनना है तो उन्होंने मेरा
साथ दिया. आजकल बच्चों पर काफी प्रेशर है. तो फिल्म में 'वेद' की कहानी भी यही है. बचपन से ही उसका थिएटर की तरफ रुझान है. तो इस कहानी के
द्वारा हम यही कहना चाहते हैं की आप अपना सपना पूरा करो.
कहानी में कोई बड़ा चैलेंज था?
रणबीर- 'हर चैलेंज यही होता है कि सफलता या विफलता को भुलाकर अगले किरदार को महसूस करो और उसे निभाने की भरपूर कोशिश करें. फिल्म
की कहानी बदलाव, दिल टूटने, अलगाव, प्यार की है, तो हम उसी बहाव में ढल रहे थे.
दीपिका- 'हर किरदार में कुछ ना कुछ चैलेंज होता है, इस फिल्म में इंटरवल के बाद तो काफी अलग किरदार है, आपने 'अगर तुम साथ हो' वाला गीत भी
देखा होगा जिसमें इंटेंस इमोशंस लाना चैलेंजिंग था. खुलकर किसी भाव को दर्शाना चैलेंजिंग था.
रणबीर अपनी फिल्मों की विफलता की वजह क्या मानते हैं?
रणबीर- 'मेरी जिम्मेदारी है की जिस तरह से फैंस मेरे काम की तारीफ करते हैं उसके बदले में उनका मैं भरपूर मनोरंजन करूं. शायद मेरी पिछली
फिल्में थी जो बॉक्स ऑफिस पर नहीं चलीं, लेकिन काम का तरीका मेरा वही रहा. मुझे बुरा लगा की मैंने अपने फैंस को निराश किया. लेकिन कोशिश जारी
रहेगी की अच्छा काम करूं, लोगों का विश्वास जीतूं.. मुझे आशा है की आने वाले दिनों में लोगों के मानकों पर खरा उतरूंगा.
रणबीर आप दीपिका को अपना दाल चावल मानते हैं?
रणबीर- 'जिस तरह हम घर से बाहर होते हैं तो सैंडविच और बर्गर जैसी चीजें खाते हैं लेकिन वापस आकर घर का बना दाल-चावल खाते ही एक
सुकून मिलता हैं, ठीक उसी तरह दीपिका के साथ काम करके मुझे वही सुकून मिलता है. दीपिका मेरे लिए घर के बने दाल-चावल की तरह हैं..दीपिका एक
ऐसी को स्टार हैं जिनके सामने मैं कभी बनावटी नहीं बन सकता, वो आज बॉलीवुड की सबसे मशहूर एक्ट्रेस में से एक हैं और मैं उनकी बहुत इज्जत
करता हूं.
दीपिका- 'मुझे भी ऐसा ही लगता है, रणबीर के साथ प्रोफेशनली और पर्सनली काफी कंफर्टेबल हूं, मुझे कभी भी लगता है की रिहर्सल की जरूरत है, वो
हमेशा रेडी रहते हैं. रणबीर को लेकर मैं बहुत ही प्रोटेक्टिव हूं. जब कोई इन्हे या इनके करियर के बारे में कुछ कहता है तो मुझे भी बुरा लगता है.
रणबीर एक वक्त पर आप दोनों काफी करीब थे, रिलेशनशिप में थे, फिर अलग हो गए, तो अलगाव के बाद भी कम्फर्ट लेवल कैसा है?
रणबीर- 'मुझे लगता है की इसमें हम दोनों का हिस्सा है, हम दोनों खुद को सम्मान देते हैं. खुद को प्यार भी करते हैं. दीपिका एक ऐसी एक्ट्रेस हैं
जिनके साथ काम करने में मजा आता है. मैं यही कोशिश करूंगा की जो भी हमारा पास्ट है, जो दर्शकों को खबरें मिलती थीं, उसे भुलाकर हम फैंस का
मनोरंजन करें. लोग हमारी जोड़ी की तुलना शाहरुख-काजोल जैसे करते हैं तो यकीन नहीं होता है. क्योंकि हमारे लिए वो दोनों लीजेंड हैं. तो एक जिम्मेदारी
जैसी मिली हुई है. दर्शकों के प्यार में हमारी हिस्ट्री का भी एक अहम हिस्सा है.
आप एक दूसरे के करियर को किस तरह से देखती हैं?
रणबीर- 'मैं हमेशा से ही दीपिका के एक्टिंग का कायल रहा हूं, खासतौर से इनकी फिल्में देखने जाता हूं कि आखिर इस बार किस तरह से उन्होंने
एक्टिंग की है, इनके करियर में एक नूर आ गया है जिसकी वजह से मुझे बहुत अच्छा लगता है.
दीपिका- 'जब मैं 'बर्फी' या 'रॉकस्टार' जैसी परफॉर्मेंस देखती हूं, उसे देखकर मैं आश्चर्चकित हो जाती हूं कि आखिर इन्होंने ऐसे कैसे कर लिया.
'तमाशा' में भी रणबीर ने बेहतरीन एक्टिंग की है. मैंने इन्हे कभी रिहर्सल करते हुए नहीं देखा लेकिन रणबीर बहुत ही अच्छी एक्टिंग कर जाते हैं. अब
काफी परिपक्व दिखते हैं. पहले मुझे लगता था कि कहीं ये रास्ते से भटक ना जाएं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
लाइफ का टर्निंग पॉइंट क्या रहा?
रणबीर- 'मेरे हिसाब से जब 'सावरिया' और 'ओम शान्ति ओम' एक ही दिन रिलीज हुईं थी और उस साल के डेब्यू अवॉर्ड हम दोनों को मिले, मुझे
लगता है वो दिन हम दोनों के लिए टर्निंग पॉइंट रहा. 9 नवंबर 2008 ही वो दिन था जब हमारी लाइफ बदल गई.
दीपिका- 'बिल्कुल मुझे याद है जब लंदन में 'ओम शान्ति ओम' का प्रीमियर हुआ और जब वापिस मैं मुंबई आई तो लोग मुझे पहचानने लगे, सब कुछ बदल गया. बचपन से हम अवॉर्ड्स टीवी पर देखते थे लेकिन खुद स्टेज पर जाना एक काफी दिलचस्प समय था.