1947 की क्रांति पर आधारित फिल्म 'जुनून' की स्क्रीनिंग मुंबई में हो रहे 16वें मुंबई फिल्म फेस्टिवल में हुई. फिल्म में सरफ़राज़ के अहम किरदार को निभाने वाले नसीरुद्दीन शाह ने निजी ज़िंदगी की कुछ बातें शेयर की.
उन्होंने इस फिल्म को करने की 2 वजह बताई. पहली यह कि नसीर साब विदेशी मूल के एक्टर 'ज्यॉफ्री केंडल' के काफी बड़े प्रशंसक थे, जिनके साथ उन्हें मुश्किल से 2 मिनट का सीन करना था. दूसरा कारण बताया कि उन्हें एक्टर कुलभूषण खरबंदा के साथ किस्मत से एक ही कमरा शेयर नहीं करना पड़ा, जिसकी वजह से नसीरुद्दीन
शाह को कुलभूषण के खर्राटों से मुक्ति मिली.
नसीरुद्दीन शाह ने बताया की वो 'जुनून' फिल्म के दौरान बिल्कुल अपने बेटे विवान जैसे थे, जैसा वो हैप्पी न्यू ईयर में दिखते हैं.
नसीरुद्दीन शाह ने बताया की वो हिंदी कमर्शियल फिल्में नहीं देखते, और बाकी कोई भी सिनेमा देख लेते हैं. नसीरुद्दीन शाह ने बताया कि हमारे देश में चिल्लाने और रोने को ही 'एक्टिंग' कहा जाता है जो कि गलत है. गौरतलब है 'जुनून' फिल्म के निर्माता शशि कपूर हैं और निर्देशक श्याम बेनेगल. यह फिल्म मशहूर लेखक 'रस्किन बॉन्ड' की शॉर्ट स्टोरीज पर आधारित है.