दीपिका पादुकोण ने इंडिया टुडे माइंड रॉक्स यूथ समिट 2014 में अपनी जिंदगी के कई सीक्रेट शेयर किए. इंडिया टुडे ग्रुप की चीफ क्रिएटिव ऑफिसर कली पुरी ने दीपिका से बातचीत की:
चार हिट फिल्में देने के बाद क्या आप 'फाइंडिंग फैनी' को लेकर नर्वस हैं?
'फाइंडिंग फैनी' बहुत ही मुश्किल फिल्म है, लेकिन हर कोई इस फिल्म को एन्जॉय करेगा और खुद को इससे जुड़ा हुआ पाएगा. ये गोवा पर आधारित है, इसलिए ये इंग्लिश में है, लेकिन इसे हिंदी में भी डब किया गया है.
फिल्म की शूटिंग गोवा में करना कितना मुश्किल या आसान रहा, जहां हमेशा लोग रिलैक्स करने के मूड में रहते हैं?
वहां काम करके बहुत मजा आया. फिल्म को हां करने की मुख्य वजह होमी भी थे, जिनके साथ मैं 'कॉकटेल' कर चुकी हूं. मुझे पता था कि उनके साथ काम करके बहुत मजा आने वाला है. इसके अलावा काम करने में मुझे हमेशा बहुत मजा आता है. मैं उन लोगों में से नहीं हूं जो आखिर में क्या होगा, उसके बारे में सोचते हैं.
बैडमिंटन से फिल्म में आना कैसे हुआ?
इस मामले में मेरे स्कूल ने मुझे बहुत प्रेरित किया. वहां हर किसी को अपनी रुचि के हिसाब से काम करने दिया जाता था. मैंने स्कूल के दिनों में ही मॉडलिंग की थी, तो शुरू से कैमरा फ्रेंडली होने से मेरे लिए फिल्मों में ज्यादा मुश्किलें नहीं आई.
आप लोगों से ज्यादा घुलती-मिलती नहीं हैं. तो अचानक लोगों से मिलने का आपके अंदर बदलाव कैसे आया?
मैं हमेशा से शांत और अपने आप में रहने वाली लड़की रही हूं. मैं पार्टी-डांस वाली लड़की नहीं हूं. मैं कोने में बैठकर लोगों को बात करते और डांस करते देखना पसंद करती हूं. अब भी मैं लोगों से मिलने में बहुत कंफर्टेबल नहीं हूं, लेकिन मेरे काम ने मुझे सबकुछ सिखा दिया है.
मेहनत करने के लिए आपको क्या प्रेरित करता है-पैसा या शोहरत? क्या आपको कभी काम करने का मन नहीं करता है?
मुझे एक्टिंग से बहुत प्यार है, मैंने अपने पूरे करियर में कभी बुखार के लिए छुट्टी नहीं ली है. मैं बुखार में भी काम करने जाती हूं, मैं कभी फोन करके नहीं बोलती हूं कि मैं काम करने नहीं आऊंगी.
आपको सबसे ज्यादा चाहत किस चीज की होती है?
मुझे खाना बेहद पसंद है. मुझे हर वक्त अच्छा खाना पसंद है. क्योंकि मैं साउथ इंडियन हूं इसलिए मुझे इडली, डोसा और रसम पसंद है.
तो क्या जब आपकी फिल्में नहीं चल रही थी तो ये अच्छा खाना आपका मददगार था?
नहीं, मेरा दिमाग था जो उस मुश्किल वक्त में मुझे बाहर खींचकर लाया. हममें से बहुतों को ये एहसास नहीं होता है कि हमारी ताकत क्या है और हम क्या कर सकते हैं. आपको खुद से कहते रहना पड़ेगा कि मुश्किल वक्त भी गुजर जाएगा.
आप अपने परिवार के लिए कैसे समय निकालती हैं?
मैं आज जहां भी हूं सिर्फ अपने परिवार की वजह से हूं. एक्टिंग के लिए हम बहुत कुछ खोते हैं, कैरेक्टर में घुसने के लिए हर वक्त उसके बारे में सोचते रहना पड़ता है. इसी के साथ-साथ हम करीबी लोगों से दूर होते हैं, ताकि हमारी ऑडियंस फिल्म को एन्जॉय कर सके. तो काम पूरा करने के बाद मैं दो महीने की लंबी छुट्टी लेकर सिर्फ परिवार के साथ समय बिताती हूं.