अभिनेता शाहरुख खान ने हिंदी सिनेमा जगत में फिल्म 'रा.वन' से विज्ञान-फंतासी शैली की फिल्मों की शुरुआत की. वह कहते हैं कि फिल्म की अगली श्रृंखला 'रा.वन पार्ट 2' बनाना चाहते हैं, लेकिन इसमें काफी लंबा समय लगेगा क्योंकि हमारे पास प्रशिक्षित और अनुभवी तकनीशियनों की कमी है.
शाहरुख ने बताया कि अच्छी तकनीकी फिल्म बनाने के लिए सिर्फ तकनीक और उपकरणों की ही जरूरत नहीं होती. उन्होंने कहा, 'हमारे पास नई से नई तकनीक और उपकरण हैं, लेकिन अनुभवी और प्रशिक्षित तकनीशियन नहीं हैं. 'रा.वन' के लिए हमने 50 विदेशी तकनीशियन बुलाए थे. यह आसान काम नहीं है. 'रा.वन' जैसी विज्ञान-फंतासी शैली की फिल्म की तैयारी में ही मुझे दो-तीन साल लग जाएंगे.'
साल 2011 में आई 'रा.वन' 150 करोड़ की लागत से बनी महत्वकांक्षी फिल्म थी. अपनी फिल्म निर्माण कंपनी 'रेड चिली' के बैनर तले बनी फिल्म का तकनीकी पक्ष देखने के लिए शाहरुख ने अमेरिकी सिंथेसियन स्टूडियो के संस्थापक जेफरी क्लेइसर के साथ अनुबंध किया था.
शाहरुख ने अपनी फिल्म निर्माण कंपनी 'रेड चिली इंटरटेंमेंट' से अलग 'रेड चिलीज वीएफएक्स' की भी स्थापना की है, जो दूसरे फिल्मकारों की फिल्मों के लिए भी विशेष प्रभाव वाले दृश्य फिल्माने के लिए जरूरी तकनीक उपलब्ध कराता है.
'रेड चिलीज' की तकनीकी टीम ने हाल में फिल्मकार राकेश रोशन की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'कृष-3' के लिए काम किया है. फिल्म के ट्रेलर और प्रोमोज दर्शकों का ध्यान खींचने में सफल रहे हैं और लोग फिल्म की दृश्य परिकल्पना एवं तकनीक से प्रभावित मार-धाड़ वाले दृश्यों की तारीफ कर रहे हैं.
शाहरुख कहते हैं कि अब हिंदी सिनेमा जगत में भी फिल्म निर्माण और फिल्मांकन के तरीके और तकनीक में बदलाव आ रहा रहा है. अनुराग कश्यप की 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' और अनुराग बसु की 'बर्फी' में इसे देखा जा सकता है.