'दुनिया के हर मर्द से यही अपील है कि हमें सिर्फ हाड़ मांस की गुड़िया न समझो. जब भी सांस लेते हैं तो गलती का एहसास होता है. चौकीदार...पति...पड़ोसी... हर किसी की नजर हमारी छाती पर होती है.' कुछ इस अंदाज में बॉलीवुड अभिनेत्री कल्कि कोचलिन ने पूरी दुनिया में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में अपनी आवाज उठाई.
कल्कि आगे कहती हैं, 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस तो मनाते हो, पर अधिकार नहीं देते. मुझे देखे. तुम्हारी जैसी ही हूं. एक और इंसान. बेहतर समाज चाहिए तो सोच बदलो. हमें अपने बराबर का समझो. एक बार पूछो तो सही कि हमें क्या चाहिए?'
इस सत्र में कल्कि ने मोनो एक्टिंग का परफॉर्मेंस दिया. जिसमें आदिकाल से महिलाओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार पर जोरदार प्रहार किया. परफॉर्मेंस के दौरान कल्कि की भाव भंगिमा, वो बच्चे जैसी मासूमियत किसी भी कला प्रेमी का मन मोह ले. कल्कि ने अपने इस एक्ट की शुरुआत नर्सरी की कविता...“Man, man, man. No chance for woman, sidelined from the big bang.”
कल्कि बोलीं, 'द्रोपदी याद है आपको..., और पांच पति. मजाक नहीं है ये. उसकी शादी महान योद्धा अर्जुन से हुई पर मिले पांच पति. मैं तो एक से ऊब जाउं. इंसान छोड़िए, हमने तो भगवान को भी नहीं छोड़ा.'
अपने परफॉर्मेंस की आखिर में उन्होंने कहा, 'मेरे पास पैसा है, ख्याति है, दोस्त हैं और 15 की उम्र से पहले मेरे साथ रेप भी नहीं हुआ फिर भी पहचान को तरस गई हूं. धर्म हमें चुप रहने को कहता है. अपनी जुबान बंद रखो. आवाज मत उठाओ. लगता है भगवान भी राजनेता बन गए हैं.'